Saturday, April 20, 2024
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जर्मन तभी, जब जर्मनी में पढ़ाई जाएगी हिन्दी

केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के तौर पर जर्मन की पढ़ाई बंद करने के छह महीने बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जर्मनी यात्रा से पहले इस विवाद को सुलझाने की कोशिश की है। 

नए समझौते के तहत जर्मन को केंद्रीय विद्यालयों में वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा और इसके बदले में जर्मनी में समान संख्या में स्कूलों को हिंदी या किसी अन्य भारतीय भाषा की कक्षाएं शुरू करनी होंगी। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार अगले कुछ दिनों में जर्मनी के वार्ताकारों से समझौते की नई शर्तों पर बात करेगी। इस समझौते पर विदेश मंत्रालय ने विचार किया है। 

नए सहमति पत्र (एमओयू) पर केंद्रीय विद्यालय संगठन और गोथ इंस्टिट्यूट की ओर से हस्ताक्षर किए जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने पिछले वर्ष दिसंबर में मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जर्मन भाषा विवाद को लेकर सभी मुद्दे सुलझाने के लिए कहा था क्योंकि इससे मोदी की जर्मनी यात्रा पर असर पड़ने की आशंका थी। मोदी को जर्मनी में होने वाले दुनिया के सबसे बड़ी इंडस्ट्रियल फेयर हनोवर में हिस्सा लेना है। भारत इस फेयर में चीफ गेस्ट है। इससे पहले अमेरिका और चीन पिछले वर्षों में फेयर के चीफ गेस्ट रह चुके हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम के लिए इसे महत्वपूर्ण मान रहा है। 

इकनॉमिक टाइम्स ने 1 जनवरी को रिपोर्ट दी थी की तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह ने एक दो पेज के पत्र में एचआरडी सेक्रेटरी आर भट्टाचार्य से जर्मन पक्ष से बात करने और मोदी की ओर से जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल को पिछले वर्ष नवंबर में ब्रिस्बेन में दिए गए आश्वासन को पूरा करने को कहा था। इस पत्र में कहा गया था कि केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन भाषा की पढ़ाई जारी रखने का तरीका खोजा जाए, लेकिन यह तीसरी भाषा के तौर पर नहीं होनी चाहिए। 

तीसरी भाषा के तौर पर जर्मन की पढ़ाई बंद करने और इसकी जगह संस्कृत को देने के सरकार के आदेश की निंदा हुई थी और इससे दोनों देशों के बीच राजनियक विवाद भी पैदा हो गया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस फैसले का पक्ष लेते हुए कहा था कि स्कूलों में तीसरी भाषा के तौर पर कोई विदेशी भाषा नहीं पढ़ाई जा सकती क्योंकि इससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मौजूदा तीन भाषा के फॉर्म्युले का उल्लंघन होता है। मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, 'जर्मनी में बातचीत के दौरान यह विवाद उठ सकता है। हालांकि, एमओयू पर तुरंत साइन नहीं किए जाएंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह मुद्दा सुलझ जाए और प्रधानमंत्री के आश्वासन पर सरकार खरी उतरे।' 

साभार- इकॉनामिक टाईम्स से 

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