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हिंदी का वैश्विक विस्तार और ई-शिक्षण की संभावनाएं

2 फ़रवरी, 2017 को दिल्ली विवि के शहीद भगतसिंह कॉलेज में “हिंदी का वैश्विक विस्तार और ई-शिक्षण की संभावनाएं” विषय पर आयोजित संगोष्ठी के कुछ दृश्य, जिसमें प्रो. अशोक चक्रधर और विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार ने भाग लिया. इस अवसर पर इस संगोष्ठी के आयोजक और हिंदी विभाग के प्रभागी डॉ. कुमार भास्कर, बागेश्वरी जी और डॉ. प्रतिमा के साथ-साथ छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया.

हिंदी के वैश्विक विस्तार पर अपने विचार प्रकट करते हुए प्रो. अशोक चक्रधर ने गूगल द्वारा विकसित वॉइस टायपिंग के माध्यम से हिंदी में बोलकर टाइप करने का सफल प्रदर्शन किया. टाइप किये गये पाठ की गुणवत्ता देखकर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए.

विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व निदेशक (राजभाषा), रेल मंत्रालय, भारत सरकार ने “हिंदी में ई-शिक्षण के नये आयाम” विषय पर प्रस्तुति में मनोरंजन के साथ हिंदी के शिक्षण (EDUTAINMENT) पर विशेष बल दिया और आग्रह किया कि भविष्य में कंप्यूटर पर मात्र संगोष्ठी आयोजित करने के बजाय कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए, जिसमें सभी प्रतिभागी अपना लैपटॉप लेकर शामिल हों और कंप्यूटर पर स्वयं हिंदी में काम करने का अभ्यास करें. संयोग से यह कार्यक्रम सभागार की मरम्मत का काम चलने के कारण पुस्तकालय भवन में आयोजित किया गया था. पुस्तकालय की साज-सज्जा और आधुनिक कंप्यूटर की समुचित व्यवस्था देखकर प्रो. अशोक चक्रधर मुग्ध हो गए. लेकिन श्री मल्होत्रा ने जब यह पूछा कि इन कंप्यूटरों में हिंदी में काम करने और हिंदी में क्वेरी और सर्च की सुविधा है या नहीं तो युवा विदुषी लाइब्रेरियन से कोई जवाब देते नहीं बना. आगे बढ़कर प्रो. अशोक चक्रधर ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे स्वयं आकर उनके कंप्यूटर में हिंदी को सक्रिय कर देंगे.

अंत में श्री मल्होत्रा ने यह भी आग्रह किया कि कंप्यूटर लैब में उपलब्ध कंप्यूटरों में भी हिंदी को सक्रिय किया जाना चाहिए. हिंदी विभाग के प्रभागी डॉ. कुमार भास्कऱ और डॉ. प्रतिमा ने आश्वासन दिया कि वे इन तमाम सुझावों का कार्यान्वित करने का यथासंभव प्रयास करेंगे. चलते-चलते डॉ. कुमार भास्कर ने यह भी इच्छा व्यक्त की कि विकिपीडिया में हिंदी में विषयवस्तु को शामिल करने के लिए हमारे विद्यार्थी भी सहयोग करना चाहेंगे. श्री मल्होत्रा ने उन्हें विकिपीडिया के संपर्क सूत्र भेजने का आश्वासन दिया.

डॉ. प्रतिमा ने संगोष्ठी का कुशल संचालन किया और डॉ. कुमार भास्कऱ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ संगोष्ठी समाप्त हुई.