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भक्ति से बनते हैं भगवान, नहीं तो बागवान भी नहीं : सुधा सागर जी महाराज

कोटा। पंच कल्याणक महोत्सव के दौरान भगवान तीर्थंकर के जन्म कल्याणक उत्सव के दौरान श्रावक झूम उठे, बधाइयां दी गई, मधुर गीत के माध्यम से उनकी अगवानी की गई वहीं पूरा चंद्रोदय तीर्थ क्षेत्र भगवान के जन्म पर जयघोष से गुंजाएमान हो उठा। श्रावकों ने पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान भगवान के जन्म कल्याणक महोत्सव को धूमधाम से मनाया। शिशु स्वरूप के दर्शन को श्रावक आतुर दिखाई दिए। नाट्य मंचन के माध्यम से भगवान इंद्र तीर्थंकर के दर्शन पाने को आतुर दिखाई दिए और गर्भ गृह तक पहुंचे, वहां अपनी पत्नियों को भगवान के प्रथम दर्शन के लिए कहा, शिशु के गर्भगृह से बाहर आने पर उनकी पत्नी ने इंद्र को दर्शन नहीं करने दिया, जिसके चलते उन्होंने कई बार विनती कर बार-बार मनुहार की उसके बाद उन्हें भगवान तीर्थंकर के दर्शन हुए। इस दृश्य को देखकर श्रावक आनंदित हो उठे। इस दौरान प्रवचन में सुधा सागर जी महाराज ने मां व जन्म लेने वाले शिशु के दौरान होने वाली क्रियाओं को विस्तार से बताया सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि भक्ति से ही भगवान बनते हैं, भक्ति नहीं तो मंदिर के बागवान भी नहीं बन सकते।

उन्होंने शिशु के जन्म, उस दौरान उत्पन्न समस्याओं और खुशी के पलों को प्रवचन में समाहित किया। महाराज श्री ने कहा कि जिस मां ने 9 माह तक शिशु को अपने गर्भ में रखा वहीं मां 45 दिन तक मंदिर नहीं जा सकती, पूरे घर की शुद्धि की जाती है, लेकिन कभी भी मां अशुद्ध नहीं होती। मां कभी भी अपनी जिंदगी में अशुद्ध दशा को प्राप्त नहीं हो सकती। शिशु के जन्म पर महाराज, मुनि श्री का भी चोका बंद हो जाता है। सुधा सागर जी महाराज ने कहा कि जो मां पहले अभिषेक के बिना पानी नहीं पीती थी, भगवान के दर्शन के बिना अन्न नहीं लेती थी, उसे भी मंदिर से दूर रखने की व्यवस्था की गई है।

महाराज श्री ने कहा कि हमें परमार्थ की उपलब्धि नहीं होने से परेशानी होती है, हम मंदिर बनाने से पहले अपना मकान बनाने पर विचार आता है। सुधा सागर जी महाराज ने गृहस्थ जीवन पर भी अपने प्रवचन में कई विषय समाहित किए। उन्होंने कहा कि गृहस्थ में सुख समृद्धि चाहिए, नकारात्मक ऊर्जा नहीं हो इसलिए जन्म कल्याणक का कलश जरूर लेना चाहिए। उन्होंने अभिषेक करने का महत्व बताया, उन्होंने कहा कि सुंदरता राग पैदा करती है। इस अवसर पर पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें 9 महाराज श्री ने अपनी पिच्छी को बदला। चन्द्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेडी जैन मंदिर खानपुर के अध्यक्ष हुकम जैन काका ने बताया कि 17 दिसंबर को तप कल्याणक में युवराज आदि कुमार का राज्य अभिषेक सहित अन्य आयोजन होंगे।

पंच कल्याण महोत्सव के दौरान भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें स्थानीय एवं भारत के प्रसिद्ध बड़नगर एवं उदयपुर के सैमारी बैण्ड की धुनो पर सैकड़ो श्रद्धालु नाचते गाते हुए भक्तिमय माहौल मे झूमते गाते चल रहे थे। जैन समाज के कार्यकर्ता, महिलाए, बालक- बालिकाएं अपनी अपनी निर्धारित मंडल वेशभूषा मे नृत्य कर रहे थे। बिजौलिया का सैन्य बैण्ड एक बेहद आकर्षक का केन्द्र रहा, सैना की सभी टुकडियां अपने-अपने सैना प्रमुखो के निर्देशानुसार परेड कर रहे थे। जीप में सवार होकर अष्टकुमारिया, चार जयघोष पर चार राज्यो की वेशभूषा में महिलाएं 51 कलशो को सिर पर लेकर, 21 बग्गियो पर सभी इन्द्र इन्द्राणी एवं गजराज पर सवार होकर सौधर्म इन्द्र बालक आदिनाथ को गौद में बिठाकर, धनपति कुबेर रत्न वर्षा करते हुए एवं महायज्ञनायक सपरिवार बैठकर शोभायात्रा झूमते हुए चल रही थी। गाजो बाजो के साथ एक किलोमीटर से अधिक लम्बी शोभायात्रा खानपुर के मुख्य मार्गो से होकर निकली गई जिसका विभिन्न संस्थाओं और व्यापरिक संगठनों ने स्वागत किया। संध्याकाल में देवशास्त्र गुरू की महाआरती के पुण्यार्जक परिवारों ने गजराज पर सवार होकर श्रीजी की आरती की। शोभायात्रा मार्ग गेस्ट हाऊस से पुराने स्टेट बैंक होते हुए अटरू चौराहे से होकर चांदखेडी स्थित अयोध्या नगरी पहुंची। सौधर्म इन्द्र ने बालक को पाण्डुक शिला पर ले जाकर 1008 कलशों से अभिषेक किया।