Friday, March 29, 2024
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11वीं विश्वहिंदी सम्मेलन के भव्य यात्रा संस्मरण

हिंदी का सितारा आज विश्व रंगमंच पर चमक रहा है इसका एहसास ही रोमांचित कर देता है। मॉरीशस की धरती पर कदम रखते ही ऐसा महसूस हुआ जैसे हम भारत के ही किसी हिस्से में है, विश्व हिंदी सम्मेलन के महाकुंभ में डुबकी लगाने का मेरा यह पहला अनुभव था इसका आयोजन स्थल था गोस्वामी तुलसीदास नगर का विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय सभागार इसका शुभारंभ भी भारतीय संस्कृति अनुसार सरस्वती वंदना और भारत की गौरव गान से हुई। पहले मॉरीशस की राष्ट्रीय गान फिर भारत की राष्ट्रीय गान से पूरा समारोह गूंज उठा। हिंदी सम्मेलन के शुरुआत में एक एनिमेशन फिल्में दिखाई गई जिस में दिखाया गया कि समुद्र में डूबते हुए डोडो पक्षी जो कि मारीशस का राष्ट्रीय पक्षी है जो अब विलुप्त हो चुका है उसे भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर बचाकर किनारे ले आता है फिर दोनों मिलकर नृत्य करते हैं। श्रीमती सुषमा स्वराज ने अपने वक्तव्य में बड़े ही अनोखे अंदाज में कहा कि “मारीशस में आज हिंदी भी डोडो पक्षी की तरह डूब रही है लेकिन अब भारत का मोर उसे बचाएगा। कुछ पुस्तकों और पत्रिकाओं के लोकार्पण और UNOhindi नामक एक चैनल का उद्घाटन किया गया। यह चैनल विश्व स्तरीय है, और साप्ताहिक है, लेकिन जितने अधिक भारतीय दर्शक इस चैनल को देखेंगे उसी आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्रदान करने का वादा किया।

प्रथम दिन के शुभारंभ के बाद भोजन के पश्चात 8 विषयों पर सत्र आयोजित किए गए उस पर विचार मंथन हुआ। सबसे अच्छी बात यह लगी कि वहां के भूतपूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ जी ने अपना भाषण हिंदी में दिया और मॉरीशस को भारत का पुत्र बताकर भारत एक माँकी दर्जा दिया जिससे हमें बहुत गर्व महसूस हुआ। अटल जी की दुखांत से जगह जगह लगाई गयी भारत और मॉरीशस की राष्ट्रीय पताका 7दिन तक झुके रखने की निर्देश दी थी। यह दुखद माहौल का काला साया इस सम्मेलन में साफ साफ दिख रहा था। अटल जी के मॉरीशस यात्रा के दौरान मॉरीशस से भारत का रिश्ता और भी दुरुस्त बन गया था। और मॉरीशस को वहां के प्रधनमंत्री छोटा भारत कह कर संबोधित किया। यह भारत के लिए गौरव की बात रही। इस दौरान मारीशस के साइबर टावर का नाम अटल बिहारी वाजपेई साइबर टावर रखने की घोषणा की उन्होंने अपने भाषण में हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को बहुत महत्व दिया और युवाओं को प्रेरित किया कि वह हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काम करें । मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति परम शिवम पिल्ले जी अपना भाषण मेरा प्यार भरा नमस्कार कहकर प्रारंभ किया। वहां के लोगों में हिंदी के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव देखा इसकी मुझे बहुत खुशी हुई।

सर्वविदित है कि हर तीसरे वर्ष हिंदी का यह कुंभ आयोजित किया जाता है। इस बहाने ही सही सरकार को हिंदी भाषा और लेखकों की याद तो आती है | अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान लेखक और नेता के मृत्यु के समाचार से कार्यक्रम में कुछ बदलाव कर दी गयी। कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया और सम्पूर्ण सम्मेलन में इसकी छाया रही,यहाँ तक कवि सम्मेलन को काव्यांजलि के रूप में पेश किया गया और कई कवियों को अपनी प्रस्तुति पढ़ने में वंचित रह गये। वहाँ गिरमिटिया मजदूरों के वंशज आज भी भोजपुरी संस्कृति लिये घूम रहे हैं, महिलाएँ साड़ी, बिंदी और माँग भर कर सजी हुई कार्यक्रम में भाग लिए थे। वे काफी हद तक हिंदी बोल लेती थी पर इन दिनों मॉरीशस में आम लोग हिंदी या भोजपुरी की जगह ‘क्रिओल’ बोलते हैं जो फ्रेंच से उपजी है।

“भाषा और लोकसंस्कृति का सम्बंध”, मृदुला सिन्हा (राज्यपाल गोवा) की अध्यक्षता में व डा. सरिता बुधु की सहअध्यक्षता में हुआ| चार सामांतर सत्र चल रहे थे “प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिंदी सहित भारतीय भाषीओं का विकास” एवं “हिंदी शिक्षण में भारतीय संस्कृति ”

अगले दिन १९ अगस्त को “फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का संरक्षण” जिसमें सहअध्यक्ष प्रसून जोशी थे, जिनकी कुछ प्रतिभागियों ने अच्छी खिंचाई की वे हिंदी फिल्मों में अश्लीलता इसका विरोध कर रहे थे, कुछ ने तो यहाँ तक कहा फिल्में बंद हो जानी चाहिये | तभी लतातेजेश्वर जी ने भी फिल्मों में हिंदी या देवनागरी लिपि को न स्वीकारने और रोमन लिपि में लिखित स्क्रिप्ट को मान्यता देने की कारण पूछी लेकिन प्रसून जोशी ने हाथ खड़े करदिये और कहा इसका हम कुछ नहीं कर सकते। लेकिन आखिरी सत्र में हिंदी फिल्मों में देवनागरी लिपि को मान्यता देने और हिंदी में टंकित स्क्रिप्ट को भविष्य में स्वीकार करने के लिए अपील की गयी। मॉरीशस को ‘खारे पानी से घिरा मीठा देश ‘ है | कुछ देर पश्चात मॉरीशस के पूर्व प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने मॉरीशस में गाँधी जी के आगमन का जिक्र किया | वे काफी हद तक हिंदी ठीक तरह बोल लेते थ्, इसी दिन भ्रमण का कार्यक्रम था ,हमने आप्रवासी घाट, हिंदी सचिवालय जिसका उद्घाटन अभी कुछ दिनों पहले भारत के राष्ट्रपति द्वारा हुआ था, एवं हमने महात्मा गाँधी संस्थान देखा, शाम को कवि सम्मेलन था, कुछ कवि आमंत्रित थे,कुछ जुगाड़ लगाकर पहुँच गए थे, लगभग १०.३० रात तक काव्यांजलि कार्यक्रम सुना।

२० अगस्त समापन समारोह जोरदार हुआ, मॉरीशस के प्रधानमंत्री महामहिम परमशिवम पिल्लै वैयापुरी आए थे उन्होंने यथाशक्ति हिंदी बोलकर अंग्रेजी में भाषण दिया, सुषमा स्वराज और मृदुला सिन्हा,श्री एम जे अकबर की तीनों दिन की उपस्थित उल्लेखनीय रही, वहाँ सम्मेलन में तीनों दिन भोजन की व्यवस्था थी ,दालपूड़ी वहाँ का विशिष्ट पकवान है |

मॉरीशस में मौसम बहुत अच्छा था, नीला और हरा समंदर मन लुभा गया, पर्वत श्रृंखलाएँ, ज्वालामुखी, सतरंगी धरती, वाह सब कुछ बहुत सुंदर था पर समय कम ,हमारी धरती हमें पुकार रही थी, जहाँ हिंदी का ह भी हो वहाँ हम सारी मुसीबतें सहन कर जायेंगे….यही है हमारा हिंदी प्रेम।

सुषमा स्वराज जी की लगन और निष्ठा के साथ हिंदी के प्रचार-प्रसार को सराहना मिली। 3 दिनों का यह सम्मेलन हमारी हिंदी भाषा को जन -जन तक पहुंचाने में अपना सहयोग प्रदान करता है।

कुल मिलाकर 3 दिन का सत्र बहुत ही अच्छा रहा और हम सभी को बहुत कुछ जानने और सीखने का अवसर मिला। बिभिन्न देश राष्ट्र से पहुँचे साहित्यकारों से मिलने का सौभग्य प्राप्त हुआ। विश्व हिंदी सचिवालय की लाइब्रेरी में तरह तरह की पुस्तकें देखने को मिली। मारीशस के लोगों में हिंदी प्रेम भी स्पष्ट दिखाई दिया और यही हिंदी सम्मेलन उनके लिए भी एक अच्छी यादें छोड़ गया।
हिंदी को सिर्फ एक दूसरे के साथ बोलचाल की भाषा न बनाकर इसे व्यवसायिक भाषा भी बनाया जा रहा है ताकि हिंदी भाषा पूरे विश्व भर में उचित सम्मान प्राप्त कर सकें।
कार्यक्रम के आखिरी चरण में अंतर्जाल में हिंदी की प्रगति के लिए कई कदम उठाए गये। तकनीकी लेखन में सुविधा के लिए कईनए गैजेट बनाने के लिए प्रस्ताव रखी गयी। इसतरह पूरा कार्यक्रम एक मिश्रित भाव और सुखद रहा।

17 तारीख की शाम भारत से आए हुए अतिथियों गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा जी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी जी विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह जी अन्य आगंतुकों ने मॉरीशस के प्रसिद्ध शिव मंदिर मैं शाम की आरती और पूजा अर्चना की गंगा तालाब पर बने हुए इस मंदिर में गंगा आरती से शुरू हुई। इस भव्यता देखते ही बनती थी इस तालाब को गंगा तालाब नाम से नामित किया गया इसमें भारत से लाया गया गंगा का पानी डाला गया।

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