Saturday, April 20, 2024
spot_img
Homeअध्यात्म गंगावैष्णव संत थे गुरू नानक देव

वैष्णव संत थे गुरू नानक देव

गुरु नानक वैष्णव संत थे। आदि-ग्रंथ में ‘राम’ शब्द २५०० बार, और ‘हरि’ शब्द ८३०० बार मिलता है। गुरु नानक ने स्वयं ६३० बार ‘हरि’ कहा है। इन्हें जैसे भी अर्थ में लें, यह सनातन ज्ञान परंपरा ही है। सिख गुरुओं की उक्तियों में ब्रह्म, अद्वैत, माया, शिव व शक्ति, पुनर्जन्म, मुक्ति, निर्वाण, आदि धारणाएं उसी रूप में मिलती हैं, जो आम हिन्दू शास्त्रों में हैं।

सनातन ज्ञान परंपरा से ‘अलग’ हो कर *सिख* लोग अपनी ही हानि करेंगे। पश्चिमी व पूर्वी पंजाब का दो विपरीत हश्र इस का एक प्रमाण है।

दूसरी ओर, *हिन्दू* लोग भी चंद्रगुप्त, प्रताप, शिवाजी, आदि वाली वीर परंपरा अपनाकर ही पुनः प्रतिष्ठित हो सकेंगे। झूठी, पिलपिली, दब्बू दलीलों वाले नेताओं, विचारों, संगठनों ने ही उन्हें अपने ही देश में हेय, दूसरे दर्जे का समुदाय बना दिया है! मगर इसे दुरुस्त करने के बजाय हिन्दू और उन के नेतागण आत्म-प्रवंचना में अपने मुँह मियां मिट्ठू बनते रहते हैं।

इसीलिए दिनों दिन भारत में कई हिन्दू संप्रदाय अब हिन्दू कहलाना नहीं चाहते। क्योंकि किसी भीरू, नकलची, बहानेबाज, परमुखापेक्षी, परनिंदक, डींगबाज के साथ कोई सबल, आत्मविश्वासी, आत्माभिमानी नहीं दिखना चाहता! गत सौ सालों से हिन्दुओं ने अपनी कुछ यही दशा बना रखी है।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार