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लंदन में गर्मी ने कहर ढा दिया

आज लन्दन ने जो भोगा वो यहाँ के योजनकारों ने कभी सोचा भी नहीं था . तापमान चालीस डिग्री सेल्सियस . अपेक्षाकृत उत्तरी गोलार्द्ध से क़रीब होने के कारण मनुष्य , हरियाली और पशु पक्षियों के लिए ज़बरदस्त क़ातिलाना . 150 वर्ष के मौसम के आँकड़ों के आधार पर यहाँ की सड़कें और अंडरग्राउंड -10 से +35 डिग्री के ताप को सहने के लिए बनाई गई थीं . चालीस डिग्री पर पहुँचते ही धुआँ धुआँ हो गईं, लिहाज़ा कई महत्वपूर्ण हाइवे बंद कर दिए गए . अंडरग्राउंड सेवाएँ भी इसलिए बैठ गईं क्योंकि मेट्रोपालिटन लाइन को छोड़ कर बाक़ी सभी लाइन की अंडरग्राउंड सेवा ग़ैर वातानुकूलित हैं , सोचिए ऐसी सेवा में इस भीषण तापक्रम पर सुरंगों के भीतर ट्रेन सेवा कैसे काम करेगी . नतीजा लन्दन का स्पंदन यानी अंडरग्राउंड आज फेल हो गया , घर से काम के लिए निकले लोग भीषण गरमी में झुलसते रहे . गरमी का यह क़हर केवल लन्दन तक ही सीमित नहीं है यूरोप के अन्य देशों में भी भीषण गरमी के कारण जगह जगह जंगलों में आग लगी हुई हैं .

लेकिन आज का यह वाक़या प्रकृति की ओर से चेतावनी है कि मेरा अंधाधुंध दोहन करना बस बंद करो . पता नहीं देशों के प्रमुख, योजनाकार , संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण को लेकर अपने ऐक्शन और आचरण में कितने गम्भीर हैं . लेकिन अभी भी अगर प्रकृति का यह अंधाधुंध दोहन बंद नहीं हुआ तो मानवता के लिए आगे भी ऐसी ही चुनौतियाँ आती रहेंगी .