1

यहाँ बनते हैं पारे और जड़ी बूटियों के शिवलिंग कीमत है एक करोड़ तक

रायसेन/भोपाल.शिव-पूजा में ‘पारद शिवलिंग’ का खास महत्व है। देश भर में महाशिवरात्रि पर इनका विशेष पूजन किया जाता है। भोपाल से 142 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे बने बापौली-मांगरोल आश्रम में इन दिनों पारद शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। सवा 8 महीने में 64 जड़ी-बूटियों के साथ सोना-चांदी मिलाकर इन्हें तैयार किया जा रहा है। इनकी कीमत 11000 रुपए से शुरू होकर 1 करोड़ तक होती है। साल में बनते हैं 30 से 45 शिवलिंग…
रायसेन जिले के बरेली तहसील में नर्मदा किनारे मांगरौल आश्रम बना है। यहां बरसों से पारद शिवलिंग बनाया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी 30 से 45 शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। यहां के प्रमुख ब्रह्मचारी महाराज के मुताबिक, ‘देश के कई हिस्सों से लोग साल भर यहां शिवलिंग बनवाने आते हैं। ये काम पूरे साल चलता रहता है। सावन सोमवार और महाशिवरात्रि आने पर इनकी मांग बढ़ जाती है।’
8महीने में ऐसे बनता है पारद शिवलिंग
ब्रह्मचारी महाराज के मुताबिक, पारद शिवलिंग को बनाना बेहद मुश्किल काम है। बिना किसी मशीनी मदद से पारे को साफ करने के लिए 8 संस्कार (अष्ट-संस्कार) किए जाते हैं। इसके बाद सभी 64 औषधियां मिलाकर पारद का बंधन (ठोस बनाना) किया जाता है। पारद का प्रभाव बढ़ाने के लिए सोना-चांदी भी मिलाया जाता है।
– अष्ट संस्कार में 6 महीने लग जाते हैं। 2 महीने 15 दिन से लगते हैं बाकी क्रियाओं में और इसके बाद पारद शिवलिंग बन कर तैयार होता है।
वजन और सोना-चांदी पर तय होती है कीमत

– ब्रह्मचारी महाराज के मुताबिक, ‘आप कितना सोना-चांदी डलवाना चाहते हैं और कितने वज़न का शिवलिंग चाहते हैं, इस आधार पर कीमत तय होती है।’
– 11000 रुपए से 1 करोड़ तक के शिवलिंग बन सकते हैं। अभी 25,000 रुपए से 1.21 लाख तक के शिवलिंग बनकर तैयार हैं।
यहां से केदारनाथ और रामेश्वरम भी जाते हैं शिवलिंग-

यहां बने शिवलिंग हैदराबाद, जयपुर, केदारनाथ, धौलपुर, बनारस, नागपुर, मुंबई, वृंदावन, ऋषिकेश, कोल्हापुर, रामेश्वरम, रायपुर, पुरी और दिल्ली भेजे जाते हैं।
पारद शिवलिंग का धार्मिक महत्व –
वैदिक मान्यताओं के अनुसार, पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है। ब्रह्मचारी महाराज के अनुसार हिंदू धर्म के रूद्रसंहिता, शिवपुराण, ब्रह्मपुराण, वायवीय संहिता, ब्रह्मवैवर्तपुराण आदि कई ऐसे ग्रंथ हैं, जिनमें पारद के शिवलिंग की महिमा का उल्लेख मिलता है। सौभाग्य बढ़ाने वाले पारद शिवलिंग का पूजन हमेशा श्रेष्ठ होता है।
इनका कहना है-
रायसेन जिले के आसपास और अब पूरे देश में ये आश्रम शुद्ध पारद शिवलिंग के लिए मशहूर हो चुका है। कई भक्त तो ऐसे हैं जो बरसों से जुड़े हैं। यहां कोई भी, कभी भी आकर पारे के शिवलिंग बनते देख सकता है।
-विनोद तिवारी, इतिहास संकलन समिति रायसेन

साभार- http://www.bhaskar.com/ से