Tuesday, April 16, 2024
spot_img
Homeहिन्दी जगतहिंदी पत्रकारिता दिवस और हम

हिंदी पत्रकारिता दिवस और हम

आज से 195 वर्ष पूर्व 30 मई, 1826 को ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता यानी आधुनिक भाषाई वर्गीकरण के हिसाब से ‘ग’ क्षेत्र से राष्ट्रभाषा हिंदी के पहले समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तंड की शुरुआत पं. युगल किशोर शुक्ल ने की थी।

तब से अब तक हिंदी पत्रकारिता ने ऐतिहासिक सफर तय किया है। हिंदी पत्रकारिता देशी संपर्क एवं भाषाओं, बोलियों की आवाज बनकर उभरी है। हालांकि इसके पक्ष एवं विपक्ष में विमर्श किए जा सकते हैं । मैंने अपने शोध प्रबंध ‘भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और हिंदी -१९९० के दशक के बाद: एक समीक्षात्मक अध्ययन तथा पुस्तक- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया :भाषिक संस्कार एवं संस्कृति में इन तथ्यों को उठाने का प्रयास किया है। कैसे हिंदी राष्ट्रभाषा से राजभाषा, स्वतंत्रता, समानता, साहित्य, संस्कृति, संस्कार की भाषा का सफर तय करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के सहारे ज्ञान-विज्ञान, अर्थ, व्यापार, संपर्क की भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सहारे हिंदी ने एक नयी राष्ट्रीय संस्कृति को जन्म दिया है। जिसकी परिकल्पना हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने की थी। इस पत्रकारिता की नींव उद्यंत मार्तंड ने रखी थी। पर इसी के साथ यह हाल के दशकों में अनैतिकता एवं मानसिक विकृति का भी कारक बना। आज पुन: हिंदी इसी संक्रमण काल से गुजर रही है। इसमें संचार और पत्रकारिता का महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी को इस देश का संचार मंत्र माना जाता है।

मूल रूप से कानपुर के रहने वाले पंडित युगल किशोर शुक्ल ने इसे कलकत्ता (अब कोलकाता) से एक साप्ताहिक अखबार के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक भी वह खुद थे। यह अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था।

‘उदन्त मार्तण्ड’ के पहले अंक की 500 प्रतियां छपी थीं। पर यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि उस काल में भी पाठकों की कमी की वजह से उसे असमय बंद करना पड़ा। पैसों की तंगी की वजह से ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और आखिरकार 4 दिसम्बर, 1826 को इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया।

यह अखबार ऐसे समय में प्रकाशित हुआ था, जब हिंदी को एक स्वतंत्र पत्र की आवश्यकता महसूस हो रही थी। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘उदन्त मार्तण्ड‘ का प्रकाशन किया गया था। वह ऐसा दौर था जब भारत ब्रिटिश गुलामी में जकड़ा हुआ था। इसे मुक्त करने का बीड़ा पत्रकारिता ने अपने कंधों पर उठाया। हिंदी पत्रकारिता ने स्वाधीनता से लेकर, आम आदमी के अधिकारों तक की लड़ाई लड़ी। समय के साथ पत्रकारिता के मायने और उद्देश्य बदलते रहे, परंतु हिंदी भाषा से जुड़ी पत्रकारिता में देश भर के लोगों की दिलचस्पी बनी रही। हिंदी पत्रकारिता ने देश को कई बड़े लेखक, कवि और विचारक दिए। हिंदी का भाषिक मानकीकरण किया। भाषा को राष्ट्रीय विस्तार दिया। रोज़गार, कला, संवाद के नए आयाम दिए। इस देश के नेताओं, कलाकारों, लेखकों, प्रशासकों एवं विचारकों की लोकप्रियता में हिंदी पत्रकारिता का अहम् योगदान हैं । असंख्य नाम ऐसे हैं जिन्होंने इस तथ्य को व्यापकता प्रदान की है । जिनका अस्तित्व ही हिंदी के सहारे पनपा। हिंदी के द्वारा पूरे देश में पताका फहराई जा सकती है। यह हिंदी ही है जो सबको सत्ता एवं पहचान देती है पर पद, पैसा और रसूख़ पाने के बाद अधिकांश इसे भूल जाते है। इन तथ्यों को हिंदी पत्रकारिता ने सिद्ध किया।

इस अवसर पर सभी हिंदी प्रेमियों से अपील है कि पत्रकारिता की समृद्धि के लिए हिंदी और लिपि देवनागरी की व्यापकता को एक नया फलक दें । दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निवासियों की भाषा हिंदी के सशक्तिकरण के लिए यह आवश्यक है कि वह ज्ञान-विज्ञान और संचार की भाषा के रूप में और मज़बूती के साथ स्थापित हो और यह कार्य हिंदी पत्रकारिता ही कर सकती है।
आइए, हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम हिंदी तथा इसकी लिपि को देशी भाषाओं के समन्वय के प्रतीक रूप में स्थापित करने का प्रण करें।

जय हिंद! जय हिंदी!!

डाॅ. साकेत सहाय
संप्रति
वरिष्ठ प्रबंधक-राजभाषा
पंजाब नेशनल बैंक
मण्डल कार्यालय, पटना
सम्पर्क [email protected]

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार