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होम्योपैथिक चिकित्सा पूर्ण उपयोगी, भ्रांतियां दूर हो –डॉ.मुकेश दाधीच

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति पूर्णतया उपयोगी और कारगर हैं। इसके प्रति व्याप्त भ्रांतियों को दूर कर इसे और लोकप्रिय बनाया जा सकता हैं। पिछले चालीस वर्षों से होम्योपैथी से जुड़े वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मुकेश दाधीच ने एक इंटरव्यू में यह जान कारी देते हुए बताया कि कई मरीज लंबे समय तक अन्य पद्धति में इलाज से ठीक नहीं होने पर आज होम्योपैथी की और खींचे चले आते हैं। ऐसे मरीजों से जब चर्चा करते हैं तो पता चलता है कि जब उनकी बीमारी लंबे इलाज से ठीक नहीं हुई तो होम्योपैथी से निरोग हुए व्यक्तियों की सलाह पर इस ओर आए हैं।

वे कहते हैं मानव की सभी प्रकार की बीमारियों में उपचार की सभी पद्धतियों का अपना – अपना महत्व हैं। प्रत्येक पद्धति की अपनी – अपनी विशेषता है। आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचलन प्राचीन समय से रहा हैं। आज यद्यपि एलोपैथी का बोल – बाला है परन्तु हमारी प्राचीन चिकत्सा पद्धति भी पूरी दमदारी से प्रचलन में हैं। इक्कीसवीं सदी के समय में होमियोपैथी उपचार पद्धति किसी से कम नहीं हैं। निरन्तर शोध और अनुसंधानों ने होमियोपैथी को और अधिक समर्थ एवं ज्यादा कारगर बनाया है।

डॉ.दाधीच ने बताया कि आम आदमी दिन भर की भागम भाग और व्यस्तता का जीवन जी रहा है। इस वजह से मानसिक तनाव, चिंता, कुपोषण और पर्यावरण प्रदूषण से शरीर में रोगों से लडने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। इसकी वजह से अनेक प्रकार की श्वास सम्बन्धी समस्याएं एवं विभिन्न रोग जैसे मानसिक तनाव, अनिद्रा, ह्रदय रोग, मधुमेह, केंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। इन सब का उपचार आधुनिक चिकित्सा पद्धति से सम्भव नहीं है। साथ ही वह इतनी महंगी है कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई है। एक और महत्वपूर्ण त्थाय यह है कि मरीज ठीक भी हो जाता है परन्तु अन्य दूसरे दुष्परिणाम उसे अन्य बीमारियों से घेर कर अधिक रोगी बना देते हैं।

वे कहते हैं ऐसे में आवश्यकता है ऐसी चिकित्सा की जो सरल व सुलभ हो, दुष्परिणाम रहित हो और आम आदमी की पहुंच में हो। रोगी के रहन – स हन, आचार – विचार, व्यवहार एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रख कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने की क्षमता हो। रोगी में रोगों से लडने की क्षमता उत्पन्न कर सके, वह पद्धति है होम्योपैथी, जिसका आविष्कार डॉ. हैनिमेन ने किया था।

डॉ.दाधीच बताते हैं होम्योपैथी पद्धति कारगर होते हुए भी इसके प्रति जनमानस में भ्रांतियां व्याप्त हैं। आम लोगों की धारणा है कि केवल बच्चो और किशोरों के लिए ही यह पद्धति उपयोगी है। इससे उपचार में समय ज्यादा लगता है, लाभ देर से होता है, परहेज करने और एक ही दवाई होने जैसी भ्रांतियां भी व्याप्त हैं।आज यह धारणा निर्मूल सिद्ध हो रही है। यह पद्धति छोटे – बड़े , नए – पुराने, साधारण – गम्भीर सभी प्रकार के रोगों के उपचार में कारगर हो रही है। इन भ्रांतियों का निराकरण करके ही आमजन में होम्योपैथी का स्थान बनाया जा सकता है। वे बताते हैं होम्योपैथी पद्धति पूर्णतया वैज्ञानिक हैं। इसमें और अधिक ज्ञानार्जन की आवश्यकता है जिससे इसके गुणों और उपयोगिता का पूर्ण उपयोग हो सके।