Friday, April 19, 2024
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Homeजियो तो ऐसे जियोआत्महत्या की रोकथाम के लिए पूरा हुआ होप सोसायटी का सपना.......

आत्महत्या की रोकथाम के लिए पूरा हुआ होप सोसायटी का सपना…….

खुशियां ही खुशियां ले कर आया आशा की किरण का वह दिन जब “चौबीस घंटे संचालित होने वाली होप सोसायटी” की स्थापना से कोटा के कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या रोकने की ठोस पहल सार्थक होने वाली थी। जवाहर नगर की एक दुकान में सेवा के इस प्रक्लप का अति विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में कुछ कोचिंग स्टूडेंट्स ने फीता काट कर शुभारम्भ किया। इससे पहले श्रीजी मैरिज हॉल में इन्हीं स्टूडेंट्स द्वारा दीप प्रज्जवलित कर भव्य समारोह की शुरुआत की गई। होप को शुरू करने में आर्थिक मदद के लिए आगे आने वाले डी. एस. सी. एल., चंबल फर्टिलाइजर लि., रेजोनेंस, एलन, केरियर प्वाइंट, वाइब्रेंट, कोर एजुकेशन प्रा. लि., गेमन इंडिया, हुंडई लि., अग्रवाल न्यूरो साई केटिक सेंटर, मधुश्री होटल एवं सेवाराम चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रतिनिधियों को माल्यार्पण कर करतल ध्वनि कर सम्मानित किया गया। होप के लिए पचास हजार रूपए और अपने बेटे विपुल अग्रवाल की दुकान निशुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा होप के अध्यक्ष डॉ.एम.एल.अग्रवाल की तो सबने करतल ध्वनि से स्वागत किया गया। हजारों लोगों समारोह के साक्षी बने। इस महत्वपूर्ण सेवा को शुरू करने में सूत्रधार बने जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर टी. रविकांत के प्रयासों की सभी ने मुक्तकंठ से सराहना कर कहा कोटावासी सदैव उन्हें याद रखेंगे और 22 जुलाई 2010 का यह दिन भी हमेशा याद रहेगा।

होप की स्थापना में सक्रिय रूप से काम करने का मौका मिलने से जिस असीम आंनद की अनुभूति हुई वह हमेशा के लिए मेरे स्मृति पटल पर अंकित हो गई। इसकी दास्ता,स्थापना से करीब सात माह पहले शुरू हुई जब तनाव,निराशा,अवसाद,पढ़ने का दबाव, पढ़ने में मन नहीं लगना और अन्य अज्ञात वजह से करीब 13 वर्ष पूर्व एक समय ऐसा आया जब कोटा में कोचिंग स्टूडेंट में आत्महत्या करने की घटनाओं में अचानक वृद्धि हो गई। लोगों को लगने लगा यह क्या हो रहा है? कोटा को किस की नजर लग गई। इस प्रसंग पर जिला प्रशासन के साथ आयोजित अनेक बैठकों,निर्देशों,उपायों और निर्णयों से समस्या का कोई विशेष हल नहीं निकल पाया।

तत्कालीन जिला कलेक्टर टी.रविकांत ने समस्या के समाधान की दृष्टि से “चौबीस घंटे संचालित होप सोसायटी” जिला प्रशासन के सहयोग से शुरु करने का निर्णय किया। स्टूडेंट्स के मन में आत्महत्या का विचार आ रहा हो तो वे यहां फोन कर विशेषज्ञ परामर्शक की सेवाएं प्राप्त कर सकें और जीवन बचाने में होप सोसायटी कारगर भूमिका निभा सके। जन सम्पर्क विभाग में सहायक निदेशक और समाजसेवियों से अच्छा सम्पर्क होने की वजह से मुझे बुला कर उन्होंने विस्तृत चर्चा की और मनोवैज्ञानिक, समाजसेवी व्यक्तियों, प्रशिक्षकों आदि के बारे में सूचना एकत्रित की गई। अमली जामा पहनाने के लिए एक कोर ग्रुप का गठन किया गया।

जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में उनके कक्ष में हर रविवार को कोर ग्रुप की बैठकों की लंबी श्रृंखला में व्यापक विमर्श हुआ। आजीवन सदस्य बना कर होप सोसायटी को पंजीकृत कराने का दायित्व एडीएम सिटी को सौंपा गया। कॉल ऑपरेटर्स के लिए नाम आमंत्रित किए गए। इन्हें समुचित प्रशिक्षण के लिए पहले प्रशिक्षकों को बाद में ऑपरेटर्स को कई पारियों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। कॉल सेंटर की स्थापना की गई। मीडिया का सहयोग प्राप्त करने के लिए मीडिया कर्मियों की बैठक की गई। संचालन में आर्थिक सहयोग के लिए उद्योग, कोचिंग एवं अन्य संस्थानों में टीम बना कर व्यक्तिश सम्पर्क कर प्रेरित किया गया। होर्डिंग,पोस्टर,पंपलेट आदि से व्यापक प्रचार किया गया। होप सोसायटी के अध्यक्ष डॉ.एम.एल.अग्रवाल, उपाध्यक्ष
डॉ.आर.सी.साहनी, सचिव डॉ.बी. एस. शेखावत बनाए गए और सदस्यों के रूप में डॉ.अरुणा अग्रवाल, समाजसेवी रामगोपाल अग्रवाल, कमल हिसरिया श्रीमती पुष्पा अग्रवाल, गोपाल सप्रे, डॉ.अविनाश बन्सल, डॉ.एल.के.दाधीच, अनिल अग्रवाल, यज्ञ दत्त हाड़ा, रामगोपाल शर्मा और मुझे शामिल किया गया। होप शुरू होने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया में से. नि.कर्नल पीयूष अग्रवाल, डॉ.अजित शर्मा, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ.रश्मि मोधे हिरवे, डॉ.अनुभव नायक, डॉ.सुप्रिया अग्रवाल, जे.के.शर्मा, शिव ज्योति कान्वेंट स्कूल और अध्यक्ष रोटरी क्लब राजेश अग्रवाल की भी भूमिका महत्वपूर्ण रही।

समस्त तैयारियों के साथ आखिरी काम बचा था सोसायटी का पंजीकरण और बैंक में एकाउंट खुलवाना। करीब तीन महीने का समय बीत गया, एडीएम सिटी की व्यस्ताओं की वजह से पंजीकरण नहीं हो सका था। कलेक्टर साहब ने मुझे करीब 11 बजे सुबह अपने कक्ष में बुला कर इस पर चिंता जताई और कहने लगे पता नहीं कब बदली हो जाए, सारी मेहनत बेकार हो जाएगी। मै चाहता हूं कि पंजीकरण जल्द होकर मूल काम शुरू हो जाए। हालंकि काम कठिन था फिर भी आत्मविश्वास से मैंने कहने का साहस किया सर अगर एडीएम साहब को बुरा नहीं लगे तो मै इस काम में लग जाता हूं और चौबीस घंटों में कल दोपहर तक पंजीयन प्रमाण पत्र आपके सामने होगा। उन्होंने कहा आप तो अभी से लग जाओ और यह काम हो जायेगा तो मज़ा आ जाएगा।

एडीएम साहब से मैंने समस्त कागजात प्राप्त किए। आवेदन के पांच सैट तैयार करवाए। सोसायटी के सदस्यों से उनके घरों पर जा कर हस्ताक्षर करवाए। रात को डॉ.एम.एल.अग्रवाल के यहां बैठक हुई। रह गए सदस्यों को निवेदन कर वहीं बुला कर हस्ताक्षर करवाए गए। रात का करीब एक बज गया। सुबह 7 बजे उनके साथ डॉ. आर.सी.साहनी के घर जा कर उनके हस्ताक्षर करवाने का तय कर मै अपने घर के लिए रवाना हुआ। नींद तो कोसो दूर थी प्रमाण पत्र जो लेना था। सुबह ही 6 बजे मै जा पहुंचा डॉ.अग्रवाल साहब के यहां। उन्होंने कुछ देर नींद लेली थी और खुमारी में दरवाजा खोला और बोले आप तो आ गए। कुछ समय में हम साहनी साहब के सामने थे। हमें यूं अचानक सामने देख वे आवाक रह गए। जब उन्हें मंतव्य बताया तो बोले चलो आज पंजीयन हो जाए तो अच्छा रहेगा और उन्होंने उपाध्यक्ष के रूप में अपने हस्ताक्षर कर दिए। मैंने अग्रवाल साहब से विदा लेते हुए कहा डॉ. साहब आप किसी भी हालत में दोपहर पूर्व बैंक में खाता खुल वालें।

आवेदन की सभी ओपचारिकताएं पूर्ण कर करीब 9 बजे फोन पर कलेक्टर साहब को बताते हुए आग्रह किया कि सहकारी समिति पंजीयक को फोन करदें सर, जिससे वहां काम नहीं रुके और विलंब नहीं हो। मै तो तैयार ही था, ठीक 10.30 बजे पंजीयक महोदय के सामने पहुंच गया। उन्होंने बताया कलेक्टर साहब का फोन आया था, अभी करवाते हैं। बैंक खाता खुलवाने, पंजीयन शुल्क जमा कराने एवं कुछ अन्य ओपचारिकता पूर्ण करने में कुछ समय लगा और पंजीयन प्रमाण पत्र हासिल हो गया। पंजीयक महोदय को धन्यवाद देकर मै वहां से रवाना हो गया।

करीब एक बज रहा था जब मैंने सोसायटी का पंजीकरण प्रमाण पत्र कलेक्टर साहब को सौंपा। इसे देख उनकी खुशी का पारावार नहीं रहा और खड़े हो कर गले लगा कर मेरा उत्साहवर्धन कर बधाई दी। मुझे भी अपार प्रसन्नता थी इस काम की जिसे पूरे आत्मविश्वास से करने की ठानी थी। सभी काम और तैयारियां हो चुकी थी और अंततः होप सोसायटी प्रारम्भ हुई और मीडिया द्वारा किए गए व्यापक प्रचार प्रसार से सुपरिणाम भी सामने आए। स्टूडेंट्स सहित अन्य लोगों ने हजारों की संख्या में इसका लाभ उठाया और आत्महत्या की घटनाओं में कमी भी दर्ज हुई। आज तक डॉ.एम.एल. अग्रवाल बिना किसी सहयोग के इसका निर्बाध संचालन कर समाज को लाभ पहुंचा रहे हैं और रविकांत जी के प्रयास को जीवित रखे हैं।

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