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विश्वविद्यालय की गरिमा कैसे बचे?

मैं जब परास्नातक(PG) का छात्र था; उस समय जिस भी छात्र का जवाहरलाल नेहरू एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में एमफिल एवं पीएचडी (M.phil&Ph.d)में दाखिला होती थी, उसको विश्वविद्यालय के कुल गुरु (कुलपति महोदय) उसकी पीठ थपथपाते थे एवं विभाग में आगमन पर उसको शानदार पथिक का स्वागत किया जाता था। किसी खास तबके से तालुकात रखने पर उस तबके के राज्यमंत्री(कैबिनेट के पास फुर्सत ना होने पर) (फोटो खिंचवाने और चर्चा में आने के लिए) सार्वजनिक मंचों से आर्थिक सहयोग प्रदान करते थे, एवं कान में मंत्र एवं मंत्रणा देते थे ।दुर्भाग्य की घटना है कि जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय (JNU) और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री का मनगढ़ंत एपिसोड दिखाने के लिए राजनीतिक दलों के समर्थित युवा नेतृत्व के राजनीतिक युद्ध का कुरुक्षेत्र बनता जा रहा है ।जिन विद्यार्थियों को उचित क्षेत्र में प्रवेशिका हुआ है ,एवं उनके समर्थक आचार्य का इन महान ,श्रेष्ठ आदर्श विश्वविद्यालय में चयन हुआ है, उनको गुणवत्तापूर्ण शोध कराना चाहिए क्योंकि यही राष्ट्र – धर्म है।

भारतीय मनीषी ,प्रशासन कला के मर्मज्ञ एवं व्यावहारिक राजनीति के प्रणेता आचार्य चाणक्य का कहना था कि” सौभाग्य या दुर्भाग्य (कान में मंत्रणा वाले) से मिले हुए कर्तव्य को मनोयोग से गुणात्मक कार्य करना चाहिए ” ।दुर्भाग्य की बात है कि शिष्य अपने अंतःकरण के दर्द को किससे कहें ? इस डॉक्यूमेंट्री में कौन सा आदर्श मूल्य ,आदर्श न्याय एवं आदर्श राज्य का अंश है जिसको दिखाने के लिए राजनीतिक दलों के युवा कार्यकर्ता एवं युवा नेता इस कद्र उर्जित है?

इन संस्थाओं को दैवीय वरदान, ख्याति इनके शोध एवं अन्वेषण के कारण है।उपर्युक्त उपादेयता, महत्व ,आदर्श औरमूल्य को बनाए रखने में कुल गुरु(कुलपति महोदय), आचार्य ,उपाचार्य व्याख्याता एवं शोधार्थी मिलकर कायम रखें; क्योंकि व्यक्ति एवं संगठन की उपादेयता उच्च गुणवत्तापूर्ण अध्यता एवं विद्वान प्राध्यापकों के कारण होता है। तनावपूर्ण माहौल को बनाने के लिए धरना- प्रदर्शन मौलिक अधिकार माना जाए ,तो संविधान (राज्य की सर्वोच्च विधि/ ईश्वर की पदयात्रा )द्वारा प्रदान 6 मौलिक अधिकार को किस आजादी की श्रेणी में रखा जाए ?

जब इन विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई तो हेडगेवार जी ,गोलवलकर जी ,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी, भीमराव रामजी अंबेडकर जी एवं जाकिर हुसैन जी का स्वप्न था कि भारत – माता के कर्णधारों को ज्ञानात्मक एवं राष्ट्रीयता का आदर्श देंगी ;अफसोस है कि उनके आत्मा को दुख ना दे करके उनके महान कर्मयोगी लक्ष्यों को पूरा करने का महत्ती प्रयास किया जाए। हमें उस एपिसोड को मिल करके देखने का प्रयास करना चाहिए कि कैसे आम व्यक्ति गुजरात को विकसित राज्य बनाता है?
कैसे गुजरात अन्य राज्यों से ऊंची छलांग(leap forward) देता है ।राज्य की जनता की सेवा करके मोदी जी राष्ट्रीय नेतृत्व के कतार में खड़े होते हैं, और अपने राष्ट्र – सेवा के व्रत को आगे बढ़ा कर वैश्विक नेतृत्व में प्रभाव कारी , उपापदेई एवं प्रासंगिक योगदान देते है।

भारत का सर्वोच्च न्यायालय( न्याय का अंतिम न्यायालय, नागरिकों एवं व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक एवं संविधान की संरक्षक की भूमिका में योज्य न्यायालय) ने आदरणीय मोदी जी को क्लीन चिट( बरी) कर दिया है। इस डॉक्यूमेंट्री पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता (जो आईएफएस की सेवा को उत्तीर्ण करके आते हैं) जिसने कहा है कि “मुझे यह साफ करने दीजिए कि भारतीयों की राय में एक प्रोपेगेंडा पीस है ,इसका मकसद नैरेटिव को पेश करना है जिसको जनमत( ईश्वर की आवाज) पहले ही खारिज कर चुकी है”। इस पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भी कह दिया है कि “यह डॉक्यूमेंट्री गलत तथ्यों पर दिखाया गया है”। इसका सार है कि देश का प्रधानमंत्री 130 करोड़ लोगों का प्रधान सेवक है ।17 घंटे सातों(7 दिन) काम करने वाले (17×7) काम करने वाले भारत वर्ष के ऊर्जावान प्रधान प्रधानमंत्री हैं।इनके त्याग,कार्य एवं उत्साह को समस्त देशवासियों की तरफ साधुवाद।

( लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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