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मकान खरीदने में बजट से मिली छूट का फायदा कैसे ले

जो अपना पहला घर खरीदने का इरादा बना रहे हैं, उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई है क्योंकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के बजट में उन्हें अतिरिक्त रियायत का तोहफा दे दिया है। जेटली ने पहला मकान खरीदने के लिए आवास ऋण लेने पर ब्याज में आयकर अधिनियम की धारा 80 ईई के तहत 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त रियायत देने का प्रस्ताव किया है। मकान खरीदने वाले अगर उसमें खुद रह रहे हैं तो ब्याज भुगतान पर आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत 2 लाख रुपये तक की छूट पहले से मिल रही है। धारा 80 सी के तहत ही मूलधन के भुगतान पर भी 1.5 लाख रुपये तक की छूट प्राप्त है। हालांकि यह छूट ऐसे ही नहीं मिल जाएगी। बजट में वित्त मंत्री ने शर्तें भी रखी हैं। आप आयकर कटौती के जिस भी दायरे में आते हैं, उसके मुताबिक इस कटौती से आपको आयकर में 5,150 से 15,450 रुपये तक बचाने का मौका मिल सकता है।

मिसाल के तौर पर एक ऐसे व्यक्ति पर नजर डालते हैं, जिसने 15 साल के लिए 35 लाख रुपये का आवास ऋण लिया है और उनसे 9.5 फीसदी की दर से ब्याज वसूला जा रहा है। उनकी मासिक किस्त 36,548 रुपये बैठती है। पहले साल वह बैंक को जो भी रकम चुकाते हैं, उसमें ब्याज का हिस्सा करीब 3.28 लाख रुपये बनता है। उन्हें 2 लाख रुपये तक की रियायत पहले ही मिल रही थी, लेकिन बजट की नई घोषणा के बाद वह 2.50 लाख रुपये तक की राहत ले सकते हैं। लेकिन ब्याज के तौर पर जमा की गई पूरी राशि पर उन्हें फायदा नहीं होगा। दूसरी दिक्कत यह है कि 25 साल में से केवल 9 साल तक उन्हें कर में फायदा हो सकता है। उसके बाद उनके भुगतान में ब्याज की हिस्सेदारी 2 लाख रुपये से नीचे चली जाएगी। इसलिए उन्हें धारा 80 ईई के तहत फायदा मिलना बंद हो जाएगा। ऐसे में अगर फायदा उठाना है तो इस व्यक्ति के सामने दो विकल्प हैं। पहला विकल्प तो यह है कि 35 लाख रुपये के बजाय वह केवल 27 लाख रुपये का ऋण ले। इससे पहले साल कुल भुगतान में ब्याज की हिस्सेदारी 2.5 लाख रुपये ही रह जाएगी।

इस व्यक्ति के लिए दूसरा विकल्प यह हो सकता है कि वह पत्नी के साथ संयुक्त रूप से आवास ऋण ले। ईवाई एलएलपी के एक नोट के मुताबिक संयुक्त रूप से ऋण लेने पर धारा 80 ईई की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत पत्नी को ब्याज भुगतान पर जो छूट मिलेगी, पूरी रकम उसी में बच जाएगी। यहां अहम बात यह है कि आवास ऋण में दोनों की कितनी हिस्सेदारी है। डेलॉयट हस्किंस ऐंड सेल्स के पार्टनर आलोक अग्रवाल कहते हैं, ‘अगर पत्नी आयकर के ऊंचे दायरे में आती है और ऋण में उसकी हिस्सेदारी ही ज्यादा होती है तो कर भी ज्यादा बच जाएगा।’ लेकिन याद रखिए कि पति और पत्नी दोनों को ईएमआई चुकाने का मौका तभी मिलेगा, जब दोनों कामकाजी हों।

इसके साथ ही छूट तब मिलेगी, जब दोनों का ही यह पहला घर हो। धारा 80 ईई के तहत छूट कुछ शर्तों के साथ आती है। ऋण की मंजूरी वित्त वर्ष 2017 में मिलनी चाहिए और यह खरीदार का पहला घर होना चाहिए। मकान या जायदाद की कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और आवास ऋण भी 35 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। क्रेडिटमंत्री डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी रणजीत पुंजा कहते हैं, ‘जायदाद की कीमत और ऋण की रकम के बारे में जो भी शर्तें हैं, उनके कारण महानगरों में रहने वाले लोग इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे। छोटे और मझोले शहरों में रहने वाले लोगों को इसका फायदा जरूर मिलेगा।’

साभार- बिज़नेस स्टैंडर्ड से