
मैं नासिर हुसैन से शादी करना चाहती थी मगर वो शादीशुदा थे, इसलिए कुँआरी रह गईः आशा पारेख
नई दिल्ली: बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा आशा पारेख (Asha Parekh) ने शादी ना करने के अपने फैसले के बारे में कुछ खास बाते बताईं. बताया कि आखिर क्यों उन्होंने सिंगल लाइफ चुनीं और क्यों शादी नहीं की. आशा पारेख ने बताया कि उनके समय में काम कर रहे कलाकारों के साथ धोखा होता था और पत्नियों को भुला दिया जाता था. ये कुछ ऐसी स्थितियाँ थीं, जिसे वो अपने साथ होता नहीं देख सकती थीं.
दरअसल, आशा पारेख ने वर्व पत्रिका को दिए साक्षात्कार में शादी से जुड़े सवाल पर जवाब देते हुए कहा ‘मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा निर्णय है सिंगल रहना. मैं एक शादीशुदा आदमी से प्यार करती थी, लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि मैं कोई घर तोड़ने वाली औरत बनूं. तो मेरे पास एक यही चॉइस थी कि मैं सिंगल रहूं और मैंने अपनी पूरी जिंदगी ऐसे ही गुज़ारी है.’
अपनी जीवनी द हिट गर्ल में भी आशा पारेख ने बताया है कि उन्होंने अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को सबसे पहले चुना. अपनी इस किताब में आशा पारेख ने लिखा ‘वो डायरेक्टर नारिस हुसैन से प्यार करती थीं, लेकिन उनके शादीशुदा होने के चलते आशा पारेख ने उनसे दूरी बनाए रखी.’
उन्होंने बताया कि शादी करने के बजाय उन्हें खुद के साथ वक्त बिताना ज्यादा पसंद है और अपनी दो दोस्त वहीदा रहमान और हेलेन के साथ घूमना पसंद है.
बता दें, 77 साल की आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को मुम्बई में हुआ. वह एक गुजराती परिवार से हैं. आशा पारेख ने लगभग 80 बॉलीवुड फिल्मों में काम किया. वहीं, सिर्फ लेखक और डायरेक्ट नासिर हुसैन के साथ बतौर एक्ट्रेस 7 फिल्मों दिल देके देखो (1959), जब प्यार किसी से होता है(1961), फिर वही दिल लाया हूं (1963), तीसरी मंजिल (1966), बहारों के सपने (1976), प्यार का मौसम (1969) और कारवां (1971) में काम किया. वहीं, नासिर हुसैन की एक और फिल्म ‘मंजिल-मंजिल’ (1984) में एक कैमियो भी किया. उन्हें साल 1992 में पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया.
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