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ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ता प्रचलन

आजकल ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते प्रचलन को लेकर नकली सामानों की बिक्री एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। वेलोसिटी एमआर द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन सामान मंगवाने वाले हर तीन ग्राहकों में से एक को पिछले छह माह में कोई ना कोई खराब सामान मिला है। इसी तरह लोकल सर्विस के सर्वे के अनुसार 38 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्हें एक साल के अंदर ई-कॉमर्स साइट से कोई न कोई नकली खराब सामान मिला है। इस स्थिति में एक ऐसी गाइडलाइन घोषित की जानी चाहिए जो ऑनलाइन विक्रेता कंपनियों के लिए नियमों का निर्धारण करने में सक्षम साबित हो जिससे ग्राहक ठगी से बच सकें। ग्राहकों को भी चाहिए कि मंगवाये गए माल को लेकर किसी भी प्रकार की समस्या होने पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराने की तत्परता दिखाएं। वास्तव में समाज के पढ़े-लिखे लोग आगे आकर उपभोक्ता कानूनों का प्रचार-प्रसार कर आम जनता को इसके संबंध में जागरूक करें। हम लोगों को अपने व्यस्त समय में से कुछ क्षण निकाल कर उपभोक्ता अधिकार कानून के बारे में प्रचार-प्रसार का कार्य करना चाहिए।

नि:संदेह, कानून बनने से उपभोक्ता अधिकारों के घेरे में आ गया है। जिसके तहत उपभोक्ता को स्वयं के हितों पर विचार करने के लिए बनाए गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार, अनुचित व्यापार पद्धतियों या उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार, सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार, अपने अधिकार के लिए आवाज उठाने का अधिकार, जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं के विपणन के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार, सामान अथवा सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, जैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार प्राप्त हुए हैं। वहीं उपभोक्ता को वस्तु एवं सेवा में दोष पाये जाने पर उपभोक्ता अदालतों में मुकदमा लड़ने व न्याय पाने का भी प्रावधान किया गया है। आज उपभोक्ता जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, बिना मानक की वस्तुओं की बिक्री, अधिक दाम, गारंटी के बाद सेवा नहीं देना, हर जगह ठगी, कम नाप-तौल इत्यादि संकटों से घिरा है। उपभोक्ता संरक्षण के लिए विभिन्न कानून बने हैं, इसके फलस्वरूप उपभोक्ता आज सरकार पर निर्भर हो गया है। जो लोग गैर-कानूनी काम करते हैं, जिन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है। उपभोक्ता चूंकि संगठित नहीं है इसलिए हर जगह ठगा जाता है। उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत यहीं से होती है। उपभोक्ता को जागना होगा व स्वयं का संरक्षण करना होगा।

एक ऐसे समय में जहां आज उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है। बाजार आकर्षण का अहम केंद्र बनकर उभर रहे हैं। विज्ञापनों का मायावी जाल उपभोक्ता को अपनी ओर खींच रहा है। वस्तु को बेचने की होड़ में हर सही गलत उपाय अपनाया जा रहा है। जीवन में सुख का अभिप्राय केवल भोग और उपभोग को माना जाने लगा हैं। ऐसे में झूठी शानो-शौकत के दिखावे के चक्कर में उपभोक्ता अविवेकशील होकर अनावश्यक चीजों को भी थैले में भरकर घर ला रहा है। बाजार एवं उपभोक्तावादी संस्कृति के इस काले जादू के आगे उपभोक्ता बेबस एवं लाचार खड़ा है, जिसके कारण वस्तुओं की गुणवत्ता के स्तर में गिरावट आ रही है। कोई भी चीज मिलावट रहित मिलना अब संभव नहीं है। न चाहते हुए भी उपभोक्ता लूट का शिकार बन रहा है।

 

 

 

 

 

 

अशोक भाटिया, A /0 0 1 वेंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208) फोन/ wats app 9221232130