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अतुल्य भारत ग्रंथ भारतीयता को एक नई पहचान देगाः श्री अश्वनी लोहानी

मुंबई के श्री भागवत परिवार ने भारतीय जीवन मूल्यों, अध्यात्मिकता और संस्कारों को नई पीढ़ी से जोड़ने और इनके वैज्ञानिक महत्व को सामने लाने की दिशा में अतुल्य भारत ग्रेंथ के माध्यम से जो अभिनव प्रयास किया है, इसका दूरगामी प्रभाव सामने आएगा। अतुल्य भारत ग्रंथ नई पीढ़ी को हमारी हजारों साल की परंपराओं से जोड़ने की दिशा में एक अभिवन प्रयास है। अतुल्य भारत ग्रंथ भारतीयता को एक नई पहचान देगा।

यह बात एअर इंडिया के अध्यक्ष एवँ प्रबंध निदेशक श्री अश्वनी लोहानी ने मुंबई में आयोजित अतुल्य भारत ग्रंथ के विनोचन समारोह में अपने संदेश में कही। श्री लोहानी खुद इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले थे, लेकिन अचानक संसदीय समिति के समक्ष उपस्थित होने की वजह से वे इसमें शामिल नहीं हो पाए। श्री लोहानी की ओर से कार्यक्रम में एयर इंडिया के उपस्थित पश्चिमी क्षेत्र के निदेशक श्री मुकेश भाटिया ने कहा कि यह ग्रंथ अपने आप में पूरी भारतीयता को समेट हुए है। उन्होंने कहा कि मैंने देश के सूदुर उत्तर पूर्व से लेकर कई प्रदेशों में अपनी सेवाएँ देते हुए भारत को, इसकी विरासत को प्रत्यक्ष अनुभव किया है। इस ग्रंथ से भारतीयता को एक नई पहचान मिलेगी।

कार्यक्रम की शुरुआत लक्ष्य शर्मा द्वारा प्रस्तुत शिव स्तुति नृत्य से हुई। श्री लक्ष्य शर्मा ने गोआ में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी सहित प्रमुख विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के सामने इसी प्रस्तुति के माध्यम से वाहवाही लूटी थी। इस अवरस पर श्री बनमाली चतुर्वेदी ने कविता भी प्रस्तुत की।

इस ग्रंथ से प्रभावित होकर श्री सुरेश खंडेलिया ने घोषणा की वे इस ग्रंथ की 500 प्रतियाँ युवाओँ को बाँटेंगे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतुल्य भारत ग्रंथ के समन्वयक एवँ श्री भागवत परिवार के मार्गदर्शक श्री वीरेन्द्र याज्ञिक ने कहा कि ये ग्रंथ भारत को जानने, पहचानने और इसके प्रति गर्व व सम्मान व्यक्त करने की एक शुरुआत है। इस ग्रंथ में देश–विदेश के लब्ध प्रतिष्ठित लेखकों ने अतुल्य भारत को प्रतिध्वनित करते हुए रोचक व शोधपूर्ण लेख दिए हैं। आने वाले समय में श्री भागवत परिवार द्वारा भारतीय जीवन मूल्यों से जुड़े विविध विषयों पर अलग अलग ग्रंथ प्रकाशित किए जाएंगे। इस ग्रंथ में हिंदी और अंग्रजी में 52 लेखों का संग्रह है।

श्री याज्ञिक ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ने हमें अपने मूल्यों, संस्कारों और रीति-रिवाजों से दूर कर दिया है। हमारी शिक्षा ऐसी हो गई है कि हम पश्चिम की संस्कृति के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन अपने देश के भूगोल, इतिहास और जीवन दर्शन के बारे में कुछ नहीं जानते। हमारे पास गीता जैसा अद्भुत ग्रंथ है जिसमें प्रबंधकीय कौशल के गहनतम सूत्र हैं, लेकिन हमारी युवा पीढ़ी समझती है कि गीता को बुढ़ापे में पढ़ने का ग्रंथ है। जबकि गीता ऐसा ग्रंथ है जिसे पढ़कर जवानी और बुढ़ापा दोनों को सुधारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी अतीत के बारे में जानना चाहती है लेकिन उसे इस दिशा में मार्गदर्शन देने वाला कोई नहीं है। ये ग्रंथ युवा पीढ़ी को एक नई दिशा देने में सहायक होगा।

इस ग्रंथ के शुरु होने से लेकर प्रकाशित होने की यात्रा का रोचक उल्लेख करते हुए श्री याज्ञिक ने कहा कि सप्तर्षि मंडल के रूप में सात लोगों ने इस ग्रंथ के प्रकाशन की कल्पना की, नवग्रह के रूप में नौ लोगों की संचालन समिति ने इस कल्पना को विस्तार दिया और पाँच संपादकों के पंचतत्वों ने इसे प्रकाशित कर अतुल्य भारत के एक सूर्य के रूप में इस ग्रंथ के प्रकाशन को साकार कर दिखाया।

उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ भारतीयता का एक अंदोलन है और हमारी कोशिश होगी कि आने वाले समय में हम अलग-अलग विषयों पर ऐसे ग्रंथों का प्रकाशन कर इस यात्रा को अनवरत जारी रखेंगे।

इस अवसर पर श्री भागवत परिवार के अध्यक्ष श्री एसपी गोयल ने कहा कि हमारे पास अतीत का जो खजाना है उसे सामने लाने का एक छोटा सा प्रयास इस ग्रंथ के माध्यम से किया गया है।

ग्रंथ के संपादन मंडल के प्रमुख सदस्य श्री महावीर अग्रवाल नेवटिया ने कहा कि हमारी संस्कृति तो ऐसी है कि हम ज़हर उगलने वाले को भी दूध पिलाते हैं। श्री वीरेंद्र याज्ञिक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यूँ तो हर क़तरा समुद्र में समाया है, ये वो क़तरा है जिसमें समुद्र समाया है।
महाराष्ट्र हिंदी अकादेमी के अध्यक्ष श्री नंदलाल पाठक ने कहा कि हमारे देश की दो विशेषताएँ हैं एक है परिवार और दूसरा रिश्ते। दुनिया में कहीं भी परिवार और रिश्ते की वो परंपरा नहीं है जो भारत में है। यहाँ ताऊ, काका-बुआ, मामा, फूफा सब मिलकर परिवार बनता है जबकि विदेशों में बस अंकल और आंटी से काम चल जाता है।

इस अवसर पर संपादन मंडल के सभी सदस्यों सर्वश्री बनमाली चतुर्वेदी, चन्द्रकांत जोशी, चन्द्रशेखर अग्रवाल, दिनेश चन्द्र बेसवारी का सम्मान किया गया।

समारोह में जाने माने उद्योगपति श्री सुरेश चतुर्वेदी, भोपाल के एलेक्सी ग्रुप के अध्यक्ष श्री सुशील केड़िया, श्री भागवत परिवार के न्यासी श्री सुशील राजगढ़िया, श्री सुरेश खंडेलिया और ग्रंथ संयोजन समिति के श्री सुनील सिंघल, मधुसूदन सिंगड़ोदिया, पीएस श्रीमाली, संजीव चौधरी, कमलेश पारीक, सुभाष चौधरी, लक्ष्मीकांत सिंगड़ोदिया, शिवकुमार सिंघल, मुकुल अग्रवाल, टिवड़ेवाला विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री विनोद टिबड़ेवाला आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री सुरेंद्र विकल ने किया।