Thursday, April 18, 2024
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भारतीय रेल ने रचा इतिहास, बनाया दुनिया का सबसे ऊँचा पुल

भारतीय रेल ने आज प्रतिष्ठित चिनाब पुल का मेहराब बंदी काम पूरा कर लिया है।

यह चेनाब पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पुल है और यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना (यूएसबीआरएल) का हिस्सा है, रेलवे ने इस प्रतिष्ठित चिनाब पुल की इस्‍पात मेहराब को पूरा करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। चिनाब के ऊपर पुल बनाने का यह सबसे कठिन हिस्सा था। यह उपलब्धि कटरा से बनिहाल तक 111 किलोमीटर लंबे खंड को पूरा करने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। यह निश्चित रूप से हाल के इतिहास में भारत में किसी रेल परियोजना के सामने आने वाली सबसे बड़ी सिविल-इंजीनियरिंग चुनौती है। 5.6 मीटर लंबा धातु का टुकड़ा आज सबसे ऊंचे बिंदु पर फिट किया गया है, जिसने वर्तमान में नदी के दोनों किनारों से एक-दूसरे की ओर खिंचाव वाली मेहराब की दो भुजाओं को आपस में जोड़ा है। इससे मेहराब का आकार पूरा को गया है, जो 359 मीटर नीचे बह रही जोखिम भरी चिनाब नदी पर लूम करेगी। मेहराब का काम पूरा होने के बाद, स्टे केबल्स को हटाने, मेहराब रिब में कंक्रीट भरने, स्टील ट्रेस्टल को खड़ा करने, वायडक्ट लॉन्च करने और ट्रैक बिछाने का काम शुरू किया जाएगा।

रेल, वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल, रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष और सीईओ श्री सुनीत शर्मा, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक श्री आशुतोष गंगल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से ऐतिहासिक मेहराब का काम पूरा होते हुए देखा है।

प्रतिष्ठित चिनाब पुल की मेहराब की प्रमुख विशेषताएं:

भारतीय रेलवे कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए यूएसबीआरएल परियोजना के एक हिस्से के रूप में चिनाब नदी पर प्रतिष्ठित मेहराब पुल का निर्माण कर रही है।
यह पुल 1315 मीटर लंबा है।
यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है जो नदी के तल के स्तर से 359 मीटर ऊपर है।
यह पेरिस (फ्रांस) की प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है।
इस पुल के निर्माण में 28,660 मीट्रिक टन इस्‍पात का फैब्रिकेशन हुआ है। इसमें 10 लाख सीयूएम मिट्टी का कार्य हुआ है। 66,000 सीयूएम कंक्रीट का इस्‍तेमाल हुआ है और 26 किलोमीटर मोटर योग्य सड़कों का निर्माण शामिल है।
यह मेहराब में इस्‍पात के बक्सों से बनी है। टिकाऊपन में सुधार के लिए इस मेहराब के बक्‍सों में कंक्रीट भरी जाएगी।
इस मेहराब का कुल वजन 10,619 मीट्रिक टन होगा।
भारतीय रेलवे ने पहली बार ओवरहेड केबल क्रेन द्वारा मेहराब के मेम्‍बर्स का निर्माण किया है।
संरचनात्मक कार्य के लिए सबसे आधुनिक टेक्ला सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है।
संरचनात्मक इस्‍पात -10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के लिए उपयुक्त है।

कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

1. ग्राहक: उत्तर रेलवे

2. कार्य निष्‍पादन एजेंसी: मैसर्स कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड

3. पुल की लागत: 1486 करोड़ रुपये

4. ठेकेदार: मैसर्स चिनाब ब्रिज प्रोजेक्ट अंडरटेकिंग [अल्ट्रा-एएफसीओएनएस-वीएसएल (जेवी)]

5. पुल की कुल लंबाई: 1.315 किलोमीटर

6. स्‍पैन्स की संख्या: 17 नग

7. मुख्य मेहराब स्‍पैन अवधि की लंबाई: 467 मीटर (रैखिक); 550 मीटर (वक्रीय)

8. पुल का डिजाइन काल: 120 वर्ष

9. डिजाइन गति : 100 किलोमीटर प्रति घंटा

10. कुल इस्पात निर्माण: 28660 मीट्रिक टन (लगभग)

11. डिजाइन वायु गति: 266 किलोमीटर प्रति घंटा

12. डिजाइनर:

ए. वायडक्‍ट एंड फाउंडेशंस : मैसर्स डब्ल्यूएसपी (फिनलैंड)

बी. आर्क: मैसर्स लियोनहार्ट, आंद्रा एंड पार्टनर्स (जर्मनी)

सी. फाउंडेशन संरक्षण: भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर

13. प्रूफ कंसल्‍टेंट :

ए. फाउंडेशन एंड फाउंडेशन प्रोटेक्शन: मैसर्स यूआरएस, यूके

बी. वायडक्ट एंड आर्क की सुपर स्‍ट्रक्‍चर: मैसर्स सीओवीआई, यूके

14. स्‍लोप स्थिरता विश्लेषण: (स्वतंत्र सलाहकार) मैसर्स आईटीएएससीए, यूएसए

15. स्‍लोप स्थिरता विश्लेषण: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली

16. भूकंपीय विश्लेषण: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और रुड़की

इस पुल की अनूठी विशेषताएं:

यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति की हवा की गति का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
यह पुल देश में पहली बार डीआरडीओ के परामर्श से ब्लास्ट लोड के लिए डिजाइन किया गया है।
यह पुल एक खंभे/ सहारे को हटाने के बाद भी 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर परिचालित रहेगा।
यह भारत में उच्चतम तीव्रता वाले जोन-V के भूकंप बलों को सहन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
पहली बार भारतीय रेलवे ने वेल्‍ड परीक्षण के लिए चरणबद्ध ऐरे अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मशीन का उपयोग किया है।
भारतीय रेलवे ने पहली बार स्‍थल पर वेल्‍ड परीक्षण के लिए एनएबीएल मान्‍यता प्राप्‍त प्रयोगशाला स्थापित की।
ढांचे के विभिन्‍न भागों को जोड़ेने के लिए लगभग 584 किलोमीटर वेल्डिंग की गई है जो जम्‍मू तवी से दिल्‍ली की दूरी के बराबर है।
श्रीनगर एंड पर केबल क्रेन के पाइलन की ऊंचाई 127 मीटर है, जो कुतुब मीनार से 72 मीटर से कहीं अधिक है।
भारतीय रेलवे ने पहली बार एंड लॉन्चिंग विधि का उपयोग करके घुमावदार वायडक्ट भाग का शुभारंभ किया है।
अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंटेशन के माध्‍यम से व्‍यापक स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी और चेतावनी प्रणालियों की योजना बनाई गई है।


मेहराब बंदी के समारोह के बारे में विवरण:

बंद करने से पहले और लॉन्चिंग के दौरान, मेहराब को स्टे केबल्स से मदद मिल रही है।
मेहराब बंदी में मेहराब के पिछले 8 खंडों (4 अपस्ट्रीम और 4 डाउनस्ट्रीम) खंडों का निर्माण शामिल है।
मेहराब बंद करने की प्रक्रिया 20 फरवरी, 2021 को शुरू हुई। मेहराब बंदी के समारोह से पहले 07 खंडों का अग्रिम रूप से निर्माण कर लिया गया था।
मेहराब बंदी के समय खंड संख्‍या डब्‍ल्‍यूटी28 को खड़ा किया गया था। यह खंड क्राउन के कौरी छोर (पश्चिम छोर) पर है।
नाम: डब्‍ल्‍यूटी28 (अपस्ट्रीम साइड टॉप कॉर्ड सेगमेंट)
आकार: 5.6 मीटर x 4.0 मीटर x 0.98 मीटर (एल xबी xएच); वजन = 18.95 एमटी
मेहराब के बंद होने के बाद, स्टे केबल हटाने, सेल्फ-कॉम्पैक्टिंग कंक्रीट द्वारा कंक्रीट मेहराब की भराई, ट्रेस्टल्स का निर्माण, इंक्रिमेंटल लॉन्चिंग द्वारा मुख्‍य मेहराब के ऊपर डेक की लॉन्चिंग का कार्य किया जाएगा।

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