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भारतीय फौजियों के हत्यारे का बेटा अदनान सामी भारतीय नागरिक बन गया, मगर पाकिस्तान से आए हिन्दुओं की सरकार को फिक्र नहीं

अहमदाबाद । पाकिस्तानी मूल के गायक अदनान सामी को भारतीय नागरिकता दिए जाने की खबर हर कहीं थी, लेकिन कुछ ऐसे भी परिवार हैं जो कई साल भारत में गुजारने के बाद अब पाकिस्तान जा रहे हैं। इन परिवारों को ‘घर वापसी’ का मौका नहीं मिला।

पिछले एक साल के दौरान कम-से-कम 100 परिवार भारत से पाकिस्तान लौट गए हैं। इनमें से ज्यादातर सिंधी और कच्छ के गुजराती मूल के हैं। गुजरात में पिछले कई साल से रहते आ रहे इन परिवारों को इंतजार था कि एक दिन भारत सरकार उन्हें यहां की नागरिकता दे देगी, लेकिन उनकी उम्मीद पूरी नहीं हो सकी और उन्हें मजबूरन पाकिस्तान लौटना पड़ा। कई लोग अब अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर पाकिस्तान लौटने की तैयारी कर रहे हैं। इन परिवारों का कहना है कि भारत में ‘घर वापसी’ का उनका सपना केवल एक छलावा साबित हुआ।

37 साल के मोतीराम खत्री साल 2009 में पाकिस्तान से भागकर भारत आ गए थे। वह अहमदाबाद में बसना चाहते थे। उन्होंने अब वापस सिंध लौटने का आवेदन दिया है। खत्री की पाकिस्तान में एक दुकान थी। उन्होंने देहगाम में शहर के बाहरी हिस्से में अपने परिवार का गुजारा चलाने के लिए मोबाइल की एक दुकान खोली। उनके परिवार में 5 लोग हैं। उनके खिलाफ कथित तौर पर वीजा नियमों का उल्लंघन करने के लिए एक पुलिस केस दर्ज हुआ है। इस मामले के कारण वह शहर के बाहर कदम भी नहीं रख सकते हैं।

मोतीराम बताते हैं, ‘मुझे अहमदाबाद में रहने के लिए ना कोई जगह मिल सकती है और ना ही कोई नौकरी ही मिल सकती है। अगर अपने परिवार का गुजारा चलाने के लिए मैं शहर के बाहर 15 किलोमीटर चला भी गया, तो मैंने क्या गुनाह कर दिया।’ वह बताते हैं कि पाकिस्तान लौटकर सिंध स्थित अपनी दुकान को वह फिर से जमाने की कोशिश करेंगे।

अहमदाबाद-थारा लोहान समाज के अध्यक्ष रामभाई भीमानी ने पुष्टि की कि पिछले एक साल में लगभग 100 हिंदू परिवार पाकिस्तान लौट चुके हैं। ये परिवार सुरक्षा व बेहतर जिंदगी का विकल्प तलाशने बड़ी उम्मीद से पाकिस्तान से भागकर गुजरात आए थे। भीमानी कहते हैं, ‘यह बड़ी अजीब स्थिति है। हिंदू संगठनों ने धर्मपरिवर्तन के बाद मुसलमान बने हिंदुओं को वापस हिंदू बनाने के लिए घर वापसी अभियान चलाया, लेकिन जो उनके अपने हैं उन्हें अपनाने के लिए वे कुछ नहीं कर रहे हैं।’

38 साल के डॉक्टर रमेश लोहाना का कराची में जमा-जमाया काम था। वह दिसंबर 2012 में सुरक्षा के लिए अहमदाबाद आए। अब उनका भारत से मोहभंग हो चुका है। वह इंतजार कर रहे हैं कि जैसे ही उनके बच्चों की परीक्षा खत्म होगी, वैसे ही वह पाकिस्तान लौट जाएंगे। वह बताते हैं, ‘मैं पाकिस्तान में डॉक्टर था और महीने में लगभग ढाई लाख रुपये कमाता था। यहां कोई भी अस्तपाल मुझे नौकरी देने को तैयार नहीं है। मुझे मजबूरन कपड़े की एक दुकान में 25,000 की नौकरी करनी पड़ी। अधिकारी, प्रशासन व सामान्य लोग हमें शक की निगाहों से देखते हैं। हमें यहां ऐसा लगता है कि जैसे हम दोयम दर्ज के नागरिक हों।’ डॉक्टर लोहाना अप्रैल में पाकिस्तान लौटने की तैयारी कर रहे हैं।

अदनान सामी को नागरिकता दिए जाने के बाद डॉक्टर महादेव ने पीएओ और गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू को एक चिट्ठी लिखा। महादेव और उनका परिवार पिछले 12 साल से भारतीय नागरिकता का इंतजार कर रहे हैं। उनका सवाल है, ‘भारत में हमेशा के लिए बस जाने के इरादे से पाकिस्तान से आए हिंदुओं को सरकार नागरिकता क्यों नहीं दे रही है।’

उनका कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर जबरन धर्म परिवर्तन का खतरा है। उन्हें धमका कर उनसे पैसा वसूला जाता है, जबरन शादियां करा दी जाती हैं और अपहरण कर लिया जाता है। पीएम मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘पाकिस्तान के हिंदू भारत आए। उन्हें लगा कि वे हिंदू हैं और यहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा, लेकिन यहां के हालात बिल्कुल अलग हैं।’

साभार-टाईम्स ऑफ इंडिया से