Friday, April 19, 2024
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वैश्विक स्तर पर भारत की उपादेयता

वैश्विक स्तर पर भारत की उपादेयता अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों पर कर्ज के दबाव को कम करने में भारत के तार्किक विवेकी प्रत्यय कि उपादेयता समकालीन परिवेश में भारत संसार की उम्मीदों व विश्वासों का केंद्र बिंदु बन गया है ,क्योंकि भारत वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण उपादेयता निभा रहा है। दुनियाभर में निराशा व आर्थिक अवसाद की स्थिति में भारत विभिन्न क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों को छू रहा है ।

भारत अपने नागरिकों की उम्मीदों व आवश्यकताओं और जरूरतों को सबके ऊपर रखकर काम कर रहा है ।भारत सरकार के प्रत्येक नीति व प्रत्येक निर्णय का उद्देश्य आम आदमी/ जनता – जनार्दन के जीवन को बेहतर बनाना है ।अमृत काल के दौरान भारत वैकासिक पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और एक विकसित राष्ट्र बन रहा है। जब – जब भारत परम वैभव संपन्न हुआ, वैश्विक स्तर की समस्याओं के समाधान का हल निकाला है ।व्यक्ति की परिस्थितियां ही व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को संप्रेषित करती है ।व्यक्ति विचार ,विचारधाराओं एवं पहचानो के बीच टकराव एवं प्रतियोगिता को आदर्श मान लिए थे ,जिससे उनके सोचने ,विवेकी क्षमता एवं विवेकी प्रज्ञा में ईर्ष्या की भावना उत्पन्न हो गई थी ।संसार में एक परंपरा उदीयमान है कि हमारे परिवेश के जीवित और निर्जीव वस्तुएं पृथ्वी ,जल, अग्नि वायु और आकाश के पंच तत्व से बना हुआ है ।हमारे भौतिक ,सामाजिक एवं पर्यावरणीय कल्याण के लिए हमारे अंट्स और बाह्य परिवेश में इन तत्वों के बीच सार्थक सामंजस्य आवश्यक है।

वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन ,अमेरिका, रूस एवं फ्रांस में विस्तारित सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की दावेदारी किया है ।भारत की दावेदारी का समर्थन भारत का वैश्विक स्तर पर उदीयमान व्यक्तित्व के कारण हो रहा है ;भारत का सुरक्षा परिषद की वैधता की मजबूती के लिए कर रहा है एवं अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाने की क्षमता को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है ।यूक्रेन संकट के चलते वैश्विक शक्ति में जो बदलाव होगा उससे भारत के समक्ष चुनौतियां भी बढ़ेगी ;क्योंकि भारत ने हाल ही में जी-20 की अध्यक्षता संभाली है ।यूक्रेन संकट के चलते आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर प्रमुख शक्तियों के मध्य संघर्ष तेज हो गया है,इस स्थिति में भारत की भूमिका अधिक चुनौतीपूर्ण हो चुका है।भारत एक विकासशील देश होने के कारण वैश्विक दक्षिण देशों के उत्थान की बड़ी जिम्मेदारी है ।

इसमें एक अहम लक्ष्य है कि वैश्वीकरण प्रणाली को गरीब देशों के लिए हितकारी बनाना है।डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई )से आशय उन तकनीकी नवाचार से है ,जिनके माध्यम से समाज के एक बड़े वर्ग तक प्रमुख निजी एवं सार्वजनिक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है ।डीपीआई के इस महत्व को रेखांकित करने में भारत विशेष भूमिका निभा रहा है । 80% यानी एक अरब ,11 करोड़ के वित्तीय समावेशन में भारत सफलता प्राप्त किया है। इसने हमारे जीवन ,कामकाज और एक दूसरे से संवाद को सुगम बनाया है। भारत के पास कल्याण कारी योजनाओं को क्रांतिकारी परिणाम प्रदान करने की वैश्विक क्षमता है। अब अनिवासी भारतीय (NRI) भी यूपीआई के जरिए वित्तीय लेनदेन कर सकते हैं ,इसके लिए उनका मोबाइल नंबर उनके स्थानीय बैंक के पंजीकृत होना चाहिए। यह सेवा सिंगापुर आस्ट्रेलिया, कनाडा ओमान ,कतर ,अमेरिका ,सऊदी अरब ,संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन में शुरू हो चुकी है।

(सहायक आचार्य व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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