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भारत में किरीट (कोरोना) विषाणु संक्रमण से ज्अंयादा खतरनाक अंग्रेजी का संक्रमण

प्रिय महोदय !

मेरे गाँव के अनेक लोगों के फोन आये और प्रायः सभी ने कोरोना विषाणु द्वारा फैली महामारी के सम्बन्ध में चर्चा की। कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि भैया हम लोग तो गाँव के हैं हमें ज्यादा पढ़ें -लिखे साहब लोगों की बातें समझ में नहीं आतीं ।

यद्यपि वे सब हमारे देश के आ. प्रधानमन्त्री जी की मुक्त कंठ से प्रशंसा भी करते हैं और कहते हैं कि अकेले मोदीजी की बातें ही हम अच्छी तरह समझ जाते हैं क्योंकि वे हम सबको अपना समझकर समझाते हैं । उनके बोलने से हमें ऐसा लगता है जैसे हमारे बीच का कोई हमें जानकारी दे रहा है।

सबकी लगभग एक ही चिंता थी कि चैनलों पर विशेषज्ञ, डाक्टर आदि जो समझाते हैं वे ऐसी भाषा या ऐसे शब्दों का अधिक प्रयोग करते हैं जिसका अर्थ निकालना बड़ा कठिन सा लगने लगता है। उनके बोलने से ऐसा लगता है जैसे वे सब अपनी औपचारिकता ही पूरी करने आये हों। समझाते कम, डरवाते ज्यादा हैं। हम लोग तो इन शब्दों का उच्चारण भी नहीं कर पाते हैं। कुछ ने मुझसे पूछा इस रोग का सही नाम क्या है करोना, कैरोना, कैराना, कारोना, कोरना या कुराना । क्या इस बीमारी का कोई देसी नाम नहीं है?

उन्होंने अपने उच्चारण में कुछ शब्द बताए, हर व्यक्ति ने 5-6 कठिन अंग्रेजी शब्द बताए हैं, जिनमें से कुछ हमने लिख लिये हैं। ग्रामीण लोग जिन शब्दों से चकरा जाते हैं उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं –

कोरोना,

वाइरस,

कोविड-नाइनटीन,

इम्यूनिटी ,

लाकडाउन ,

क्वारेन्टाइन ,

आइसोलेशन ,

सेनेटाइजर ,

सेनिटेशन ,

सोशल डिस्टेंस ,

इमोशनल डिस्टेंस ,

पाजिटिव,

हैल्पफुल

फारेंन असिस्टेंस

लंच-डिनर

मेमोरेंडम

फुल सपोर्ट

निगेटिव ,

हाइजीन ,

कोरोना वारियर्स,

वायरस,

एनएच- ट्वेंटीफोर,

हैंडवाश,

प्री-काशन,

मिनिमम,

सैलरी,

रिसर्च,

कंटीन्युअस टच

ग्लव्स

आर एंड डी

प्रोटेक्शन गियर्स

फूड सप्लाई

ईएमआई

फायनेंस सपोर्ट

डीएम,

फ्यूमिगेशन,

फालो,

फूड,

ट्रैवल हिस्ट्री,

इन्फैक्शन,

ब्लैक आउट,

लैब टैस्टिंग,

इन्वेटीगेशन,

वर्क फ्रॉम होम,

हैल्थ एक्सपर्ट,

हैल्थ इंश्योरेंस,

ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स

डीबीटी

लाइव अपडेट

एक्सक्लूसिव

एम्पलाई

पीएमओ,

हैल्थ मिनिस्ट्री,

ब्लड टैस्ट,

करेंट स्टेटस,

वैलनेस

एसेंशियल गुड्स

एसेंशियल सर्विस

शेल्टर

माइग्रेट लेबर

हैल्पफुल

मेज़र्स

लेटेस्ट

अपडेट्स

डीएम

आर एंड डी

कंट्रीब्यूशन

कांस्टेंट

अत: कोरोना सम्बन्धी चर्चा करते समय पत्रकार वार्ताओं व टी.वी. चैनलों पर भारत सरकार के प्रवक्ता आदि एवं सभी विशेषज्ञ और समाचार वाचक पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ सामान्य ग्रामीणों-किसानों को दृष्टि में रखकर अपनी भाषा में उपलब्ध पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग करें, जिसे सब आत्मसात कर सकें।

महानगरों की हिन्दी में बहुतायत अंग्रेजी के शब्द होते हैं पर अभी छोटे शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इन शब्दों को समझ ही नहीं पाते हैं। हम अनजाने में हिन्दी भाषा में अंग्रेजी व हिन्दी शब्दावली के आधार पर अमीर-गरीब की एक और नयी विभाजन रेखा तो नहीं खींच रहे हैं?

यह किसी की आलोचना नहीं, केवल निवेदन है।

–डा. रघुवीर गोस्वामी, भोपाल।