Saturday, April 20, 2024
spot_img
Homeपाठक मंचग्राहकों को लूटने के लिए अंग्रेजी में फॉर्म भरवाती है बीमा कंपनियाँ

ग्राहकों को लूटने के लिए अंग्रेजी में फॉर्म भरवाती है बीमा कंपनियाँ

भारत में कार्यरत बीमा कंपनियाँ बीमा पॉलिसियों की सही जानकारी न देने के लिए अपनी शर्तें, प्रपत्र, विवरण व वेबसाइट केवल अंग्रेजी में तैयार करवाती हैं ताकि दावा करते समय ग्राहकों को परेशानी हो, उनके साथ छलकपट किया जा सके। इन बीमा कंपनियों को पता है कि भारत में आज भी 95 प्रतिशत लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है इसलिए ग्राहकों पर अंग्रेजी भाषा थोपकर उन्हें आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है।

भारत सरकार अथवा बीमा विनियामक प्राधिकरण ने आज तक बीमा कंपनियों के लिए यह अनिवार्य नहीं किया है कि वे अपने ग्राहकों से सबसे पहले उनकी पसंदीदा भाषा पूछें और ग्राहक जो भाषा बताए उसमें उसकी बीमा पॉलिसी से संबंधित सभी जानकारियाँ दी जाएँ, ईमेल, ओटीपी, एसएमएस आदि उसी भाषा में ग्राहक को दिए जाएँ।

1. भारत में संचालित सार्वजनिक व निजी बीमा कंपनियाँ अपना पूरा कामकाज अंग्रेजी में करती हैं।

2. बीमा पॉलिसियों के दावों की प्रक्रिया पूरी तरह अंग्रेजी में होती है इसलिए महानगरों के अलावा अन्य जगहों के ग्राहकों का भारी शोषण होता है, उन लोगों को बीमा के दावों के लिए अपने एजेंटों को फीस चुकानी पड़ती है।

3. देश में कई बीमा कंपनियाँ हैं पर एक ने भी आज तक अपनी वेबसाइटों पर भारतीय भाषाओं का विकल्प नहीं दिया है। दिखावा करने के लिए मात्र एसबीआई लाइफ ने गूगल के घटिया अनुवाद को बिना जाँचे डाला है।

4. केवल अंग्रेजी की नीति अपना कर बीमा कंपनियाँ ग्राहकों का अहित कर रही हैं।

5. बीमा पॉलिसियों के ऑनलाइन आवेदनों की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह अंग्रेजी में होती है इसलिए महानगरों के अलावा अन्य जगहों के ग्राहकों का भारी शोषण होता है, वे समझ ही नहीं पाते हैं कि उनकी पॉलिसी की शर्तें क्या हैं।

6. बीमा कंपनियाँ अपने उत्पाद देश के करोड़ों अंग्रेजी न जानने वाले लोगों को बेच रही हैं, जबकि हर बीमा उत्पाद के सारे दस्तावेज, ईमेल, ओटीपी, एसएमएस, पॉलिसी दस्तावेज, प्रीमियम जमा रसीद, आवेदन पत्र, दावा प्रपत्र केवल और केवल अंग्रेजी में होते हैं।

7. लगभग सभी बीमा कंपनियों अरबों का व्यापार कर रही हैं, करोड़ों रुपये एजेंटों को कमीशन दे रही हैं पर इन कंपनियों ने अंग्रेजी न जानने वाले ग्राहकों को उनकी भाषा में सभी प्रपत्र व जानकारी देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।

हमारी माँग है कि भारत सरकार व्यापक जनहित में सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दे कि –

1. पॉलिसी बेचते समय ग्राहकों से संवाद-संचार की पसंदीदा भारतीय भाषा पूछी जाए, बाय डिफॉल्ट अंग्रेजी थोपना बंद करें। भाषा चुनने के बाद से ग्राहकों से सभी प्रकार का संवाद चुनी हुई भाषा में करना अनिवार्य किया जाए।

2. मौजूदा ग्राहकों को भी यही विकल्प दिया जाए।

3. हिन्दीभाषी राज्यों के सभी शाखा कार्यालयों में सभी सूचनाएँ, नामपट, निर्देश पट व शाखा में उपलब्ध सभी छपे फ़ॉर्म प्राथमिक आधार पर द्विभाषी (एकसाथ हिन्दी-अंग्रेजी) में उपलब्ध करवाए जाएँ।

4. वेबसाइटों पर हर पॉलिसी की जानकारी-ब्रोशर आदि हिन्दी में उपलब्ध करवाए जाएँ।

5. दस्तावेजों को भारतीय भाषाओं में तैयार करने के लिए राज्यवार भाषा अधिकारियों की नियुक्ति करना अनिवार्य किया जाए इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे व बीमा ग्राहकों का शोषण रुकेगा।

6. बीमा विनियामक प्राधिकरण अपने कार्यालय में विभिन्न भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञों की नियुक्ति करे जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाए कि वे इस नीति के कार्यन्वयन को सुनिश्चित करें, उन्हें बीमा कंपनियों के निरीक्षण करने व उल्लंघन करने पर कारण बताओ नोटिस भेजने का अधिकार हो।

प्रवीण जैन

मुंबई

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार