Saturday, April 20, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेइंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने

इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने

दूध दही ने चाय चाटगी, फूट चाटगी भायाँ ने ।।
इंटरनेट डाक ने चरगी, भैंस्या चरगी गायाँ ने ।।
टेलीफोन मोबाईल चरग्या, नरसां चरगी दायाँ ने ।।
देखो मर्दों फैसन फटको, चरग्यो लोग लुगायाँ ने ।।

साड़ी ने सल्वारां खायगी, धोतीने पतलून खायगी ।।
धर्मशाल ने होटल खायगी, नायाँ ने सैलून खायगी ।।
ऑफिस ने कम्प्यूटर खाग्या, ‘मेगी’ चावल चून खायगी ॥

राग रागनी फिल्मा खागी, ‘सीडी’ खागी गाणा ने ॥
टेलीविज़न सबने खाग्यो, गाणे ओर बजाणे ने ॥
गोबर खाद यूरिया खागी, गैस खायगी छाणा ने ॥
पुरसगारा ने बेटर खाग्या, ‘चटपटो खाग्यो खाणे ने ॥
चिलम तमाखू ने हुक्को खाग्यो, जरदो खाग्यो बीड़ी ने ॥
बच्या खुच्यां ने पुड़िया खाग्यी, अमल-डोडा खाग्या मुखिया ने ॥
गोरमिंट चोआनी खागी, हाथी खाग्यो कीड़ी ने ॥
राजनीती घर घर ने खागी, नेता चरगया रूपया ने ॥

हिंदी ने अंग्रेजी खागी, भरग्या भ्रष्ट ठिकाणो में ॥
नदी नीर ने कचरो खाग्यो, रेत गई रेठाणे में ॥
धरती ने धिंगान्या खाग्या, पुलिस खायरी थाणे ने ॥
दिल्ली में झाड़ू सी फिरगी, सार नहीं समझाणे में ॥

मंहगाई सगळां ने खागी, देख्या सुण्या नेताओ ने ॥
अहंकार अपणायत खागी, बेटा खाग्या मावां ने ॥
भावुक बन कविताई खागी, ‘भावुक’ थारा भावां ने ॥

साभार- यदुवंशी सुरेन्द्र सिंह तेजमालता के फेसबुक पेज से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार