Saturday, April 20, 2024
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सपनों और संकल्प की खुशबू से महकेगी ‘ईश्वर सृष्टि’

सपने देखना और उनको हकीकत की जमीन पर उतारना कोई कमलेश पारीक से सीखे। राजस्थान के सीकर के पास दीनारपुर गाँव से खाली हाथ मुंबई आए कमलेश जी ने अपने शुरुआती दिन फुटपाथ पर सोकर निकाले, लेकिन अपनी मेहनत, संकल्प और पुरुषार्थ से अपना कारोबार जमाया और सफलता उनके कदम चूमने लगी, लेकिन इन सबके बीच वे अपनी मातृभूमि को नहीं भूले। वे मुंबई से जब भी अपने गाँव जाते ये देखकर दुःखी होते कि उनके खेतों पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। उन्होंने भी हिम्मत नहीं हारी और कभी मुंबई से तो कभी गाँव जाकर इन अवैध कब्जेदारों से जूझते रहे। जैसे ही उन्होंने इन समस्साओं से पार पाया सबसे पहले वहाँ जैविक खेती से फल, फूल सब्जी, दाल आदि की खेती की शुरुआत की। मात्र कुछ महीनों में ही उनकी ये मेहनत रंग लाई और फसल लहलहाने लगी।

लेकिन वे इस जमीन का उपयोग अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए करना चाहते थे। उनका संकल्प था कि इस जमीन पर आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, योग केंद्र और गौशाला के माध्यम से समाज को ही समर्पित कर देंगे। आखिरकार उनका ये संकल्प साकार होने का समय भी आ गया। पिछले दिनों मुंबई से गए उनके प्रेमियों, श्री भागवत परिवार के श्री वीरेन्द्र याज्ञिक, श्री रामजी शास्त्री और राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (अपराध) श्री महेन्द्र चौधरी की मौजूदगी में इस विशाल भू भाग पर ईश्वर सृष्टि के निर्माण की पहली ईंट रखी गई।

कमलेश जी का दावा है कि ईश्वर सृष्टि 13 मार्च, 2019 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसके लिए उन्होंने क्षेत्र के समर्पित आयुर्वेद चिकित्सक, योग प्रशिक्षक को अभी से अपने साथ जोड़ लिया है। नंदिनी गौशाला के लिए भी विशाल परिसर सुरक्षित कर दिया है। मुंबई से गए अतिथियों के लिए असम से बुलाए गए कारीगरों से संटियों और गोबर से लिपी पुती शानदार झोपड़ियाँ बनाई गई थी। ऐसी ही झोपड़ियाँ यहाँ उपचार के लिए आने वाले लोगों के लिए भी रहेगी।

इस अवसर पर श्री अग्र पीठाधीश्वर राघवाचार्यजी महाराज के मार्गदर्शन में वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे बाल पंडितों ने पुरूष सूक्त का सस्वर पाठ कर पूरे माहौल को भक्ति, अध्यात्म और संगीत की त्रिवेणी से तरंगित कर दिया।

इस अवसर पर श्री राघवाचार्यजी महाराज ने कहा कि ईश्वर ने जो सृष्टि की है उसे हम मनुष्यों ने बिगाड़ दिया है। मुझे आशा है कि ये ईश्वर सृष्टि हमें पुनः प्राकृतिक जीवन और शुध्द वातावरण के माध्यम से हमारे जीवन को नई दृष्टि देगी। उन्होंने कहा कि जर्सी गायों को विदा कर भारतीय गौवंश को हम जितना महत्व देंगे उतना ही हम प्रकृति और ईश्वर के निकट जाएंगे।

मुंबई से गए श्री वीरेन्द्र याज्ञिक ने कहा कि दृष्टि बदलने से सृष्टि बदल जाती है। आज संस्कारों, संस्कृति का जो क्षरण हो रहा है उससे हमारा जीवन भी प्रदूषित हो रहा है। ईश्वर सृष्टि का ये प्रकल्प हमें अपने संस्कारों, मूल्यों, प्राकृतिक जीवन शैली से जोड़ने की दृष्टि विकसित कर सका तो ये इसकी बड़ी सफलता होगी। उन्होंने कहा कि थाईलैंड की गुफा में 16 दिन तक फँसे रहे बच्चों को उनके कोच ने ध्यान करवाकर इतने दिन तक जिंदा रहने का हौसला दिया, ध्यान और योग विश्व को भारत की सबसे बड़ी देन है।

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक श्री महेन्द्र चौधरी ने संकल्प लिया कि वे जब अपनी नौकरी से निवृत्त होकर ऐसा ही प्रकल्प जोधपुर में शुरु करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली पैसा कमाने का माध्यम बन गई है, शिक्षा पाकर हर व्यक्ति पैसा कमाना चाहता है, लेकिन शिक्षा ऐसी होना चाहिए कि हर व्यक्ति कोई कला सीखे और उसका उपयोग समाज के हित में करे।

इस अवसर पर ईश्वर सृष्टि के सहयोगी रिलांयस के वरिष्ठ अधिकारी श्री अशोक गोयल का और ईश्वर सृष्टि के जनक श्री कमलेश पारीक का जन्म दिन वैदिक विधि विधान से मनाया गया। श्री वीरेन्द्र याज्ञिक व श्री श्याम जी शास्त्री ने सुंदरकाण्ड का पाठ किया जिसमें उपस्थित सभी लोगों ने सामूहिक रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम में आमंत्रित सभी अतिथियों ने परिसर में नीम के पौधे रोपे। इसके लिए सैकड़ों नीम के पौधे लाए गए थे।

समारोह में भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुरेश गुप्ता ग्राम दीनारपुर के सरपंच श्री विद्याधर और गाँव के ही 102 साल के श्री भीमाजी भी उपस्थित थे।

मुंबई से गए अतिथियों के लिए श्री कमलेश पारीक के परिवार द्वारा किया गया अतिथि सत्कार एक यादगार बन कर रह गया। उनके परिवार की महिलाओँ से लेकर बच्चों ने अतिथियों की सेवा और खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहने दी।

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  1. भारतीय संस्कृति के महान आदर्शों परमपराओं व ममूल्यों के सतत संरक्षण व संवर्धन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही ईश्वर सृष्टि प्रकल्प की स्थापना दीनारपुरा गांव की पावन धरा पर हुई है। जैविक खाद्यान्न फलोउद्यान गो संसंवर्धन नैचुरोपैथी आयुर्वेद योग पंचकर्म जैसे प्राकृतिक उपचार द्वारा जीवन को स्वस्थ व सुखमय बनाने का अनूठा प्रयास।

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