Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवइसरो की खुफिया आँख पहुँची अंतरिक्ष में

इसरो की खुफिया आँख पहुँची अंतरिक्ष में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज 3.25 बजे अंतरिक्ष में फिर एक नया इतिहास रच दिया है। इसरों ने पीएसएलवी सी-48 रॉकेट को लांच कर दिया है। यह सेटेलाइट श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लांचिंग पैड से लॉन्च किया गया।
अपनी इस उड़ान के साथ यह रॉकेट अंतरिक्ष अभियानों का अपना ‘अर्द्धशतक’ पूरा कर लिया है। साथ ही यह श्रीहरिकोटा से छोड़ा जाने वाला भी 75वां मिशन है।

इसरो पीएसएलवी के जरिये एक साथ 10 सैटेलाइट को आसमान में रवाना करने जा रहा है। इनमें देश की दूसरी खुफिया आंख कही जा रही रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट आरआईसैट-2बीआर1 भी शामिल है। इसरो के मुताबिक, इस सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 576 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में 37 डिग्री झुकाव पर स्थापित किया जाएगा। इस सैटेलाइट के अंतरिक्ष में स्थापित होने के साथ देश की सीमाओं पर घुसपैठ की कोशिश लगभग नामुमकिन हो जाएंगी।

खास बातें

देशी रडार इमेजिंग सैटेलाइट आरआईसैट के अलावा नौ विदेशी उपग्रह भी साथ लेकर गया रॉकेट
श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र के लांचिंग पैड से दोपहर 3.25 बजे पीएसएलवी सी-48 हुआ लॉन्च
पीएसएलवी के जरिये इस बार एक साथ 10 सैटेलाइट आसमान में रवाना
सेंसर देंगे सीमापार आतंकियों के जमावड़े की भी सूचना

इसमें लगे खास सेंसरों के चलते सीमापार आतंकियों के जमावड़े की भी सूचना पहले ही मिल जाएगी। साथ ही सीमापार की गतिविधियों का विश्लेषण भी आसान हो जाएगा। 22 मई को लांच की गई आरआईसैट-2बी पहले से ही देश की खुफिया आंख के तौर पर निगरानी का काम कर रही है। इसके अलावा पीएसएलवी के साथ जाने वाली 9 अन्य सैटेलाइट विदेशी हैं, जिनमें अमेरिका की 6, इस्राइल की 1, इटली की 1 और जापान की 1 सैटेलाइट है।

ये सभी इंटरनेशनल कस्टमर सैटेलाइट एक नए कमर्शियल सिस्टम न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के तहत लांच किया जा रहा है। इन सभी सैटेलाइट को पीएसएलवी के उड़ान भरने के 21 मिनट के अंदर बल्बनुमा पेलोड फायरिंग तकनीक के जरिये एक के बाद एक अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा। इस उड़ान के लिए मंगलवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। इस ऐतिहासिक उड़ान का दीदार करने के लिए पांच हजार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है।
आरआईसैट की होगी यह खासियत

05 साल तक सीमाओं की निगरानी करेगी यह सैटेलाइट
628 किलोग्राम का रखा गया है इस सैटेलाइट का वजन
100 किलोमीटर इलाके की तस्वीर एक साथ ले पाएगी
यह सैटेलाइट दिन और रात में एक जैसी निगरानी करेगी
माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी पर काम करेगी यह सैटेलाइट
एक्स बैंड एसएआर कैपेबिल्टी के चलते हर मौसम में साफ तस्वीर देगी
स्वदेश में बने खास डिफेंस इंटेलिजेंस सेंसर से युक्त है

लांच से पहले तिरुपति दर्शन को पहुंचे इसरो चीफ
पीएसएलवी सी-48 के बुधवार को उड़ान भरने से पहले इसरो चीफ डा. के सिवन मंगलवार को यहां तिरुपति बालाजी मंदिर पहुंचे। सिवन ने भगवान के दर्शन करने के साथ ही पूजा भी की। इस दौरान उन्होंने मीडिया से वार्ता में कहा कि पीएसएलवी सी-48 की लांचिंग इसरो के लिए ऐतिहासिक पल होगा, क्योंकि यह इस रॉकेट की 50वीं और श्रीहरिकोटा लांचिंग स्टेशन से किसी रॉकेट की 75वीं उड़ान होगी।
इस्राइली स्कूली छात्रों की सैटेलाइट भी भेजेगा इसरो
इस अभियान में इसरो पीएसएलवी सी-48 के जरिये इस्राइल के तीन छात्रों की तरफ से डिजाइन की गई ‘डूचीफैट-3’ सैटेलाइट को भी लांच करेगा। दक्षिण इस्राइल के अशांत गाजा पट्टी क्षेत्र से महज एक किमी दूर स्थित शा हनेगेव हाईस्कूल के इन तीनों छात्रों एलोन अब्रामोविच, मीतेव असुलिन और शमुएल अविव लेवी की उम्र 17 से 18 वर्ष के बीच है। इन्होंने इस सैटेलाइट को हर्जलिया साइंस सेंटर और अपने स्कूल के साथ मिलकर बनाया है। छात्रों के मुताबिक, इस रिमोट सेन्सिंग फोटो सैटेलाइट से देश भर के बच्चों को पृथ्वी को देखने और विश्लेषण करने की सुविधा मिलेगा। साथ ही किसानों को भी इसका लाभ होगा।
छात्रों का प्रोजेक्ट, कम बजट में बड़े काम
उपग्रह की योजना, अंतरिक्ष में उसकी कार्यप्रणाली और जमीन से सॉफ्टवेयरों के जरिए उससे संपर्क आदि को छात्रों ने ही तैयार किया। यह केवल 2.3 किलो का है। इसे तैयार करने में करीब ढाई वर्ष लगे। कुल 60 विद्यार्थियों ने मिलकर इसे तैयार किया है। सभी निर्णय इन्होंने ही मिलकर लिए। उनसे संबंधित वरिष्ठ लोग केवल सुझावदाता की भूमिका में रहे। छात्रों ने कम बजट के बावजूद उपग्रह से डाटा ट्रांसफर सुनिश्चित करने के लिए उपग्रह द्वारा ली जाने वाली तस्वीरों को कंप्रेस करके पृथ्वी पर भेजने की तकनीक का उपयोग किया है।
भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में हासिल सफलताओं से प्रभावित हैं छात्र
प्रोजेक्ट में शामिल एलोन ने बताया कि उपग्रह को तैयार करते हुए कई बाधाएं अचानक सामने आईं। इसने उन्हें कई चीजें सीखने का अवसर दिया। भारत की अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में हासिल सफलताओं से प्रभावित इन विद्यार्थियों ने उम्मीद जताई कि उन्हें इसरो के श्रीहरिकोटा केंद्र पर भी जाने का अवसर मिलेगा। इसी समूह में इंग्लैंड से भी एक छात्र शामिल होगा।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार