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तेल की खपत पर लगाम जरुरी

सऊदी अरब में तेल के भण्डारण पर जो हमले हुए है उससे वहां तेल का उत्पादन घटा है | उत्पादन घटने से सऊदी अरब तेल का निर्यात भी नहीं कर पा रहा हैं | पश्चिम एशिया के विभिन्न देशों के बीच का टकराव इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता है | यह जो संकट पैदा हो रहा है वह भी ऐसे समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं। चूंकि पश्चिम एशिया तेल बहुल क्षेत्र है इसलिए वहां जब भी अशांति उत्पन्न होती है वह दुनिया भर को प्रभावित करती है।

सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों के भीषण हमले के बाद कच्चे तेल के दामों में आया उछाल यही बताता है कि पश्चिम एशिया के विभिन्न देशों के बीच का टकराव किस तरह इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए खतरा बनता है। ऐसी हालत में सबसे अधिक प्रभावित होते है भारत सरीखे वे देश जो पेट्रोलियम पदार्थों की अपनी मांग को पूरा करने के लिए पश्चिम एशिया पर निर्भर है। भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 83 फीसदी आयात करता है। कुछ समय पहले तक भारत इराक और सऊदी अरब के अलावा ईरान से बड़ी मात्रा में तेल का आयात करता था, लेकिन अमेरिका की ओर से ईरान पर पाबंदी लगाने के बाद भारत को न चाहते हुए भी उससे तेल खरीदना बंद करना पड़ा। भारत को देश दुनियां की हालात को देखते हुए अपने यहाँ तेल का उत्पादन बढ़ाना चाहिए व् खपत कम करनी चाहिए |

अशोक भाटिया
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