Saturday, April 20, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेइटारसी के आरआरआई सिस्टम को ठीक किया, अब पटरी पर आएँगी गाड़ियाँ

इटारसी के आरआरआई सिस्टम को ठीक किया, अब पटरी पर आएँगी गाड़ियाँ

इटारसी जंक्शन में नए आरआरआई (रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम) को इंस्टॉल कर सिग्नल टेस्टिंग का काम पूरा कर लिया गया है। रविवार को लगभग 100 सिग्नल एक्सपर्ट्स ने तेज बारिश के बीच 8 घंटे तक सिग्नल टेस्टिंग का काम किया।

नए आरआरआई सिस्टम को तैयार करने में रेलवे ने अब तक की सबसे आधुनिक तकनीक उपयोग की है। इसमें आग और पानी से सुरक्षित रखने के लिए अत्याधुनिक सिस्टम लगाए गए हैं। यह ऐसी तकनीक है जो ट्रैक पर पानी भरा होने के बाद भी ट्रेनों की रफ्तार कम नहीं होने देगी। सिग्नल और प्वाइंट्स में गड़बड़ी आने पर कंट्रोल में बैठे एक्सपर्ट को खबर लग जाएगी। पुराने आरआरआई में ये खासियत नहीं थी।

 

 

 

20 साल तक अब नहीं होगा खराब

 

 

 

 

नए सिस्टम को तैयार करने वाले एक्सपर्ट बताते हैं कि नया रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम में कम से कम 20 साल तक कोई खराबी नहीं आएगी। इसमें लगाए गए पार्ट्स, वायर और स्टूमेंट्स ऐसे लगाए गए हैं, जो बिना रुके सालों काम कर सकते हैं। इसे तैयार करते समय हमने पुरानी आरआरआई की खामियों और असुविधा, दोनों पहलुओं को ध्यान रखा। इससे नए सिस्टम में आग लगने की घटना न हो। सबसे खास बात है कि ट्रेनों के ट्रैफिक को कंट्रोल करने 400 रूट को बढ़ाकर 600 कर दिया है। इसकी मदद से ट्रेनों को अब आउटर पर खड़ा नहीं रखा जाएगा।

 

 

 

 

यह अलग होगा नए आरआरआई में

 

 

 

 

स्मोक डिटेक्टर: नए आरआरआई के 8 पैनलों में स्मोक डिटेक्टर लगाए गए हैं। जरा सा धुआं उठते ही अलार्म बज जाएगा। यह काम एक मिनट से भी कम समय में हो जाएगा।

 

 

 

 

पुराने सिस्टम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।

 

 

 

 

अपग्रेड कूलिंग: सिस्टम को ठंडा रखने के लिए दो-दो टन के 16 एसी लगाए गए हैं। इससे भीषण गर्मी में भी आरआरआई का तापमान मेनटेन रहेगा। इसका तापमान 18 से 22 डिग्री के बीच रखना जरूरी है।

 

 

 

 

पुराने सिस्टम में 1-1 टन के 8 एसी ही थे।

 

 

 

 

ट्रैफिक कंट्रोल रूट: नए आरआरआई सिस्टम में 600 ट्रैफिक कंटोल रूट हैं। इससे ट्रेनों को आउटर पर नहीं खड़ा करना पड़ेगा।

 

 

 

 

पुराने सिस्टम में महज 400 रूट ही थे।

 

 

 

 

बारिश में ऐसे काम करेंगे सिग्नल

 

 

 

 

– ट्रैक पर पानी भरा होगा तब भी सिग्नल और प्वाइंट दोनों ही काम करेंगे। इसके लिए सिग्नल में एलईडी लगाई गई है, जो बारिश के समय स्पष्ट दिखाई देंगे।

 

 

-कंट्रोल पैनल से सिग्नल लॉक होते ट्रैक के प्वाइंट भी लॉक हो जाएंगे, जो किसी भी स्थिति में खुलेंगे नहीं।

 

 

-78 सिग्नल में से किसी में भी तकनीकी खराबी आते ही कंट्रोल पैनल में जानकारी पहंुच जाएगी। यह भी शो होगा कि किस सिग्नल में क्या खराबी है। इसके लिए तत्काल मौके पर एक्सपर्ट पहंुचेंगे।

 

 

-अब तक पुराने सिस्टम में ये नहीं पता लगता था। खराबी को ढूंढकर सुधारनी होता था।

 

 

 

 

पैसेंजर को इनसे मिली राहत

 

 

 

 

आउटर पर ट्रेन खड़ी नहीं होगी, अप-डाउन, दोनों को ट्रेनें आ सकती हैं

 

 

बारिश में भी ट्रेन की स्पीड कम नहीं होगी, जिससे ट्रेन लेट नहीं होगी

 

 

ट्रैफिक के लिए पर्याप्त रूट हैं, जिससे कई ट्रेनों को स्टेशन पर लिया जा सकता है

 

 

राजधानी जैसी ट्रेनों के लिए हाई स्पीड बायपास ट्रैक बनाया है

 

 

प्लेटफार्म की लंबा कर इन्हें 24 से 26 कोच तक के लिए तैयार किया गया

 

साभार- http://naidunia.jagran.com/ से 

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार