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इसे कहते हैं आँख से काजल चुराना, जलपूर्ति का करोड़ों रुपया से इंजीनियर के बंगले पर खर्च किया

मुंबई मनपा में आनेवाले आईएएस अधिकारियों पत मुंबईवासियों के बजाय अपने ही इंटरेस्ट को पूरा करने का हमेशा आरोप लगता हैं। जल अभियंता का बंगला और गेस्ट हाउस कब्जा करनेवालों में से एक अतिरिक्त मनपा आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी के बंगले पर करोड़ों रुपए की मरम्मत जलापूर्ति फंड से होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। वहीं मुख्यमंत्री से आर्शीवाद प्राप्त पल्लवी दराडे ने बंगला मरम्मत की जानकारी व्यक्तिगत होने का दावा कर उसे न देने के लिए जल अभियंता को पत्र लिखा हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जल अभियंता कार्यालय से अतिरिक्त मनपा आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी और पल्लवी दराडे के बंगले पर हुए विभिन्न खर्च की जानकारी मांगी थी। पहले तो दोनों अधिकारियों ने सूचना न देने का मौखिक आदेश तो दिया लेकिन जन सूचना अधिकारी के अधिकार की कक्षा में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने से जल विभाग ने डॉ मुखर्जी के बंगले की जानकारी देते हुए बताया कि मुखर्जी जिस निवासस्थान में रहते हैं वह गेस्ट हाऊस था और मनपा आयुक्त की अनुमति से उन्हें जनवरी 2015 में दिया गया हैं। कुल 2682 वर्ग फुट के इस बंगले पर जनवरी 2015 से अबतक 1 कोटी 44 हजार 679 रुपए और 30 पैसा मरम्मत पर खर्च हुए हैं वहीं वर्ष 2015-16 के दौरान 92 हजार 234 रुपए बिजली खर्च किया गया हैं। डॉ मुखर्जी आने से पहले वर्ष 2011 से वर्ष 2014 इन 4 वर्ष के दौरान सिर्फ 89 हजार 705 रुपए खर्च हुए थे। ताज्जुब की बात यह हैं कि बंगले को पानी का बिल नहीं हैं।

पती-पत्नी की पोल खुलेगी इस डर से पल्लवी दराडे जिन्हें मुख्यमंत्री ने प्रमोट करते हुए मुंबईवासियों की भलाई के लिए मनपा भेजा था उन्होंने दिनांक 10 जून 2016 को पत्र लिखकर अनिल गलगली को उनके बंगले पर हुए खर्च की कोई भी जानकारी देने पर आपत्ति जताई। विकास खारगे के तबादले के बाद दराडे के पती प्रवीण दराडे जो मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव हैं उन्हें दिनांक 2 जनवरी 2015 को 4830 वर्ग फूट का बंगला दिया गया। दराडे ने बंगला लेने के पहले गत 4 वर्ष में सिर्फ 2 लाख 20 हजार 544 रुपए और 93 पैसे खर्च किए गए हैं। इस बंगले को भी पानी का चार्ज नहीं किया जाता हैं और जनवरी 2015 से बिजली का बिल मनपा ने अदा करना बंद कर दिया हैं। पल्लवी दराडे ने दावा किया हैं कि यह जानकारी तीसरे पक्ष से जुड़ी हुई हैं और इसलिए उनकी जानकारी नहीं दी जाए। जिसके खिलाफ अनिल गलगली ने उप जल अभियंता के पास अपील दायर की हैं।

अनिल गलगली ने इसतरह निवासस्थान पर होनेवाले करोड़ों रुपए के खर्च पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मनपा आयुक्त से मांग की हैं कि जल अभियंत का बंगला अतिरिक्त आयुक्त को देने की परंपरा को बंद करे और करोड़ों रुपए का खर्च जिस जलापूर्ति प्रोजेक्ट से किया गया हैं उसके जिम्मेदार अधिकारीयों पर कारवाई करे। मनपा का निवासस्थान खुद की निजी प्रॉपर्टी समझने वाले अधिकारीयों को वार्निंग देते हुए सभी खर्चे की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की हैं। जितका वेतन पिछले 18 महीने में डॉ मुखर्जी ने लिया हैं उसके 5 गुना यानी 1 करोड़ से ज्यादा रकम बंगले की मरम्मत पर उड़ाई हैं,जो सबसे बड़ा दर्द होने का अफ़सोस गलगली ने जताया हैं।

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अनिल गलगली
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