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जल योध्दा राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में सूखे पर सरस और सार्थक संवाद

सूखा मुक्त राष्ट्रीय जल सम्मेलन का आयोजन विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो में किया गया। खजुराहो न केवल मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि चंदेलकालीन जल संरचनाओं के लिए भी जाना जाता है। इस सम्मेलन की पूर्व संध्या पर दिनांक 1 दिसम्बर 2017 को जल यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा खजुराहो नगर के शिवशागर तालाब से प्रारम्भ होकर प्रेम सागर तालाब तक पहुंची। इस जल यात्रा में बुन्देलखण्ड के सभी 13 जिलों के प्रतिनिधि व खजुराहो नगर की जनता ने बड़ी तादात में सहभागिता की। यात्रा का उद्देश्य समाज को जल संरचनाओं से जोड़ना था। शिवसागर तालाब में यात्रा को सम्बोधित करते हुए जल पुरुष श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि तालाब और नदियां हमारे जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। इन्हें बचाने के लिए हम सबको निरन्तर प्रयास करने की जरुरत है। जिस दिन धरती पर इनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा उसी दिन मानव सभ्यता के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।

जल सम्मेलन का उद्घाटन मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि वह ‘यहां मुख्यमंत्री नहीं, एक जल प्रेमी की हैसियत से आए हैं। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने तालाबों का मुद्दा उठाया है। प्रशासन को निर्देश है कि वह तालाबों का सीमांकन, चिह्नीकरण कराने के बाद वहां हुए अतिक्रमण हटाए।‘चैहान ने कहा, ‘बुंदेलखंड में हजारों तालाब हुआ करते थे, मगर अब वे अस्तित्व खो चुके हैं। नए तालाब, छोटे बांध आदि बनाए गए हैं। इसके साथ ही पौधारोपण किया जा रहा है। सरकार ने नर्मदा के संरक्षण के लिए नदी सेवा यात्रा निकाली।‘मुख्यमंत्री ने जल सम्मेलन में मौजूद लोगों से कहा कि वे इस सम्मेलन में निकले निष्कर्ष से उन्हें अवगत कराएं। इसके साथ ही इसके लिए समयबद्ध योजना तैयार की जाए। इसकी समीक्षा वे अपने स्तर पर स्वयं करेंगे। इसके लिए उन्होंने शीघ्र ही भोपाल में बैठक कर योजना को आगे बढ़ाने का आस्वासन दिया।

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि, देश और गांव की समद्धि के लिए जल संचयन आवश्यक है उन्होंने कहा कि भारत को सूखा मुक्त बनाना वर्तमान समय की सबसे बडी जरूरत है उन्होंने अपने गांव रालेगांव सिद्धि में जो जल संचयन का कार्य किया आज उसके परिणाम 30 साल बाद भी दिखायी दे रहे है जिस गांव में लोग दो वक्त की रोजी रोटी के लिए परेशान रहते थे एक फसल भी बडे मुश्किल से हो पाती थी आज उस गांव में तीन फसलें हो रही है और गांव खुशहाल है आज गांव से पलायन पूरी तरह बंद है सात सौ लीटर के आस-पास दूध प्रत्येक दिन गांव से बाहर जा रहा है जहां एक तरफ जल संरक्षण के काम से गांव पानीदार बना वही गांव में सामाजिक अनुशासन भी बना उनके गांव में पूरी तरह से नशाबन्दी है। गांव के लोग बेहतर ढंग से पानी का उपयोग कर रहे है उनके पानी के काम को लेकर पांच लोग पीएचडी कर चुके है नौ लाख से अधिक लोग उनके गांव को देखने आ चुके है उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए आचरण की पवित्रता जरूरी है प्रत्येक व्यक्ति को देश एवं समाज के लिए जीना चाहिए, उन्होंने अपने जीवन में जो देश सेवा का भृत लिया है वह आखिरी सांस तक निभयेगे, उन्होंने युवाओं को आवाहन किया कि वह नशा खोरी से मुक्त हो और सदाचारी बने, उन्होंने वर्तमान व्यवस्था पर क्षोभ व्यक्त करते हुये कहा कि दुर्भाग्य यह है कि, जिन्हें हमने अपना प्रतिनिधि बनाया, वे ही तिजोरी को लूटने में लग गए और वह जनहित के मुददों से अनदेखी कर रहे है, सूखा, जलसंकट किसानों के हितों एवं लोकपाल की मजबूती के लिए 23 मार्च 2018 से दिल्ली के रामलीला मैदान में सत्याग्रह करेगे।

जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत को दुष्काल मुक्त बनाने के लिए राज और समाज को एक साथ काम करने की जरूरत है जिसके लिए उन्होंने कुछ सार्थक प्रयास शुरू किये है पिछले दिनों अगस्त माह में कर्नाटक वीजापुर में दुष्काल मुक्त भारत के लिए पहला जल सम्मेलन आयोजित किया था इस सम्मेलन में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंधप्रदेश, तमिलनाडू सहित देशभर के 22 राज्यों के लोग जुटे थे सम्मेलन के बाद उन्होंने बुन्देलखण्ड का दौरा किया और यहां के हालात देखे और जिसके बाद निश्चय किया कि यह इलाका सूखे के संकट से सर्वाधिक प्रभावित है यहां पर दुष्काल मुक्त सम्मेलन का आयोजन किया जाये इसी परिपेक्ष्य में यह सम्मेलन आयोजित किया गया है, सम्मेलन का उददेश्य बुन्देलखण्ड सहित उत्तर भारत के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी और गैर सरकारी प्रयासों को प्रभावी बनाना है जल संकट के प्रभावी कार्य करने है, जिससे दीर्घकालीन प्रयास करने होगे। इन सम्मेलनों का महत्व भारत में जल साक्षरता का बढाना है। मैंने हर स्तर पर समाज व समुदाय को जल प्रबन्धन, जल संचयन, जल के लुटेरों के खिलाफ सत्याग्रह करने के लिए संवेदित किया है। पानी के प्रदूषण रोकने के लिए जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी व जल प्रबन्धक बनाकर उनको प्रशिक्षित कर देश को पानीदार बनाने के लिए ‘‘यशदा‘‘ द्वारा जो प्रयास किए गए हैं वैसे प्रयास पूरे देश में विस्तारित करने की आवश्यकता है। गांव से लेकर पूरे राष्ट्र में जल संसाधन की समझ विकसित करने की आवश्यकता है। गांव बनेगा देश बनेगा यह जन-जन को समझाए, यह इस सम्मेलन का उद्देश्य है। जब तक जंगलों और धरती का स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा तब तक पानी की भयावह स्थिति बनी रहेगी।

सम्मेलन में उपस्थित वैज्ञानिक आर.पी.तिवारी, आर.एस. यादव, आर.के. तिवारी, मुकेश मीणा, प्रोफेसर विभूति राय, प्रोफेसर राजेन्द्र पोद्दार ने कहा कि जल संरक्षण के कार्य तकनीकी मानकों के अनुरूप कराये जाए समयबद्ध ढंग से वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराये जाए और सभी स्तरों पर जबाबदेही सुनिश्चित की जाए, जल प्रबंधन का कार्य जल तक सीमित ना होकर पशुपालन, कृषि उत्पादन एवं रोजगार से भी संबधिंत होना चाहिए विभागों के पास ऊपर से दबाव होने के कारण गुणवत्ता तथा तकनीकि पहलुओं को ध्यान में न रखकर काम कर दिए जाते हैं जिसके कारण जल संरक्षण के कार्य प्र्रभावी नहीं हो पा रहे हैं। समूह चर्चा के दौरान संजय सिंह ने कहा कि स्थानीय समुदाय के सहयोग और आवश्यकता को ध्यान में न देकर कराए गए निर्माण कार्य कभी भी गुणवत्तापरक व उपयोगी नहीं हो सकते। आयोजन के दूसरे दिन चार समूहों में चर्चा शुरु की गयी जिसके माध्यम से बुन्देलखण्ड में सूखे का वर्तमान परिदृश्य, सूखे का दुष्प्रभाव-जैव विविधता की क्षति, बुन्देलखण्ड की पारम्परिक जल संरचनाएं एवं पारम्परिक ज्ञान का सूखा न्यूनीकरण में योगदान तथा नदियों की निर्मलता एवं अविरलता तथा पुर्नजीवन की आवश्यकता पर चर्चा की गयी।

यशवंतराव चव्हाण विकास प्रशासन प्रबोधिनी पुने महाराष्ट्र के कार्यकारिणी निदेशक सुमन्त पाण्डेय ने कहा कि जल साक्षरता संस्थान पर पहल होनी चाहिए, तीन विभाग जल सम्पदा मन्त्रालय, जल संसाधन मन्त्रालय एवं पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय की ओर से पहल होनी चाहिए। पानी के कामों में महिलाओं की सहभागिता 50 प्रतिशत होनी चाहिए तथा जल-जन जोड़ो अभियान के प्रयासों में यशदा हर कदम पर साथ है। महाराष्ट्र की वरिष्ठ सामाजिक आन्दोलन की अगुवाई करने वाली प्रतिभा शिन्दे ने कहा कि चर्चा में जो बिन्दु निकलकर आया कि जल-जन जोड़ो अभियान के माध्यम से जल साक्षरता को लेकर पूरे देश में अभियान चलाया जाना चाहिए एवं इस अभियान के माध्यम से रचनात्मक कार्य करने की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में जल सहेली एवं गांव-गांव से लोगों को एकत्रित कर जल साक्षरता दल बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया। जन जागरूकता हेतु नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अभियान को गांव-गांव तक पहुचाएं जाने की आवश्यकता है। जल को जिस तरह से बांटने की कोशिश की गयी है, औद्योगिक घरानो को पानी उपलब्ध कराया जा रहा है जबकि किसान पानी के अभाव में आत्महत्या व पलायन कर रहा है। इसके समाधान के लिए गांव स्तरीय संगठन बनाकर पूरे देश में अभियान को एक नई दिशा देने की त्वरित आवश्यकता है।

तमिलनाड़ु से आए हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पर्यावरणविद् गुरुस्वामी ने कहा कि तमिलनाडु और बुन्देलखण्ड की स्थिति में वर्तमान सन्दर्भ में यदि देखा जाए जो बहुत ज्यादा फर्क नहीं बाकी है। आज जनप्रतिनिधियों का ध्यान सिर्फ आद्यौगिक ईकाई को मजबूत और स्वयं के स्वार्थों की पूर्ति में लगा हुआ है। जिस तरह से पर्यावरण असंतुलित हो रहा है ऐसे में सरकारों से बहुत अधिक अपेक्षा न करके स्थानीय समुदाय को पहल करनी पड़ेगी। नदियों को पुर्नजीवित करने एवं प्राकृतिक जल स्त्रोतों के सम्बर्द्धन को लेकर तमिलनाड़ु में अभियान की शुरुआत की जा चुकी है।

दो दिवसीय सम्मेलन में ड्राप्टिंग कमेटी का निर्माण किया गया इस कमेटी का अध्यक्ष रनसिंह परमार को बनाया गया जिनकी अध्यक्षता में दस सदस्यीय समिति ने प्रस्तावों का एक ड्राप्ट तैयार किया जिसका अनुमोदन सम्मेलन में उपस्थित देशभर से आये 1500 से अधिक लोगों ने किया, इस सम्मेलन में बुन्देलखण्ड के 13 जिलों सहित देश के अंधिकांश हिस्से से लोगों ने सहभागिता की जिनमें प्रमुख रूप से महारानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुपपति अरविन्द्र कुमार, सागर मण्डल के कमिश्नर आशुतोष चतुर्वेदी, मध्य प्रदेश सरकार की राज्य मंत्री ललिता यादव, बुन्देलखण्ड विकास परिषद के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमरिया,पूर्व सांसद जितेन्द्र सिंह बुन्देला, गंगाचरण राजपूत, प्रोफेसर बृजगोपाल आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहें।

खजुराहो घोषणा पत्र राष्ट्रीय सूखा मुक्त सम्मेलन दिनांक 3 दिसम्बर 2017
 प्रस्ताव 1-
बुन्देलखण्ड में सार्वजनिक चन्देल कालीन, बुन्देलकालीन एवं बाद में निर्मित जल संरचनाओं, तालाबों, चैकडेमों की सूची तथा तकनीकि स्थिति सरकार द्वारा घोषित की जाए।
 प्रस्ताव 2 –
पूर्व व वर्तमान जल संरचनाओं की मरम्मत, सुधार, पुर्ननिर्माण की कार्ययोजना तैयार कर योजना पर किए जाने वाले कार्य का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
 प्रस्ताव 3 –
बुन्देलखण्ड के सभी जिलों को जल संरक्षण, जल सम्बर्द्धन एवं प्रबन्धन की संकलित कार्ययोजना, तकनीकि दल द्वारा तैयार करवाकर नवीन संरचनाओं को चिन्हित किया जाए।
 प्रस्ताव 4-
जल संरक्षण, सम्बर्द्धन एवं प्रबन्धन को लेकर स्वयंसेवी संगठन, शासन, वैज्ञानिक एवं समुदाय को मिलाकर एवं टाॅस्क फोर्स बनाया जाए, जो राय एवं समुदाय की सहभागिता से एक टाॅस्क फोर्स का गठन किया जाए जो राज्य एवं जिला स्तर पर गठित हो। इस टाॅस्क फोर्स का प्राथमिक दायित्व जल स्त्रोतों की निगरानी का रहेगा।
 प्रस्ताव 5
जल संरचनाओं को प्रभावित व प्रदूषित करने को रोकने के लिए सरकार प्रभावी कानून लाए तथा वर्तमान कानून को प्रभावी बनाने के लिए संसोधन करे।
 प्रस्ताव 6
राज्यों में जलनीति बने यह नीति जीव केन्द्रित हो। जल उपयोग और जल संरक्षण एक्ट बने, उसके उल्लंघन पर कठोर दण्ड का प्रावधान हो।
 प्रस्ताव 7
वृक्ष जल के संरक्षक हैं, अतः विभिन्न परियोजनाओं के कारण हो रहे हैं। अवैध कटान को नियन्त्रित किया जाए और उसी अनुपात में नए पेड़ लगाए जाए।
 प्रस्ताव 8
व बुन्देलखण्ड में जल विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए।
व जल साक्षरता संस्थान स्थापित किया जाए जिसमें रचनात्मक, प्रबोधनात्मक एवं संगठनात्मक संघर्ष को विषय में रखा जाए साथ ही साथ पानी को सहेजना, समझना एवं समाधान भी सम्मिलित हो।
 प्रस्ताव 9
सम्मेलन से निकलकर आयी संस्तुतीयों के अनुपालन के लिए राज्यों एवं नीति आयोग द्वारा एक मसौदा तैयार किया जाये और इन कार्यो के लिए समयबद्ध ढंग से वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराये जाए।
 प्रस्ताव 10
सूखें की समस्या की समाधान के लिए तत्कालीक प्रयास भी शुरू किये जाये, जहां जल संकट अधिक है वहां टैंकर आदि से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
 प्रस्ताव 11
गांव में रोजगार के अवसर बढाये जाए प्रत्येक काम करने वाले व्यक्ति को रोजगार मिल सके, काम के अभाव में पलायन ना करना पडे।
 प्रस्ताव 12
सर्वोच्य न्यायालय द्वारा वर्ष 2017 में दिये गये सूखा न्यूनीकरण के फैसले की अनुशंशाओं को लागू किया जाये।