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जम्मू -कश्मीर के मुस्लिमों को भा रही है आरएसएस की शाखाएँ

केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी का विचारधारा के लिहाज से अभिभावक माना जाने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जम्मू और कश्मीर में 500 शाखाएं चला रहा है।

राज्य में आरएसएस से जुड़े एक व्यक्ति ने ईटी को बताया कि संघ की शाखाएं अभी जम्मू और लद्दाख में चल रही हैं और कश्मीर में एक कोर ग्रुप बनाने पर काम जारी है। कश्मीर में सैकड़ों लोगों से पहले आरएसएस में शामिल होने के लिए संपर्क किया जा चुका है। उनका कहना था, 'हम जम्मू क्षेत्र में 450 स्थानों और लद्दाख में 50 स्थानों पर काम कर रहे हैं। कश्मीर में अभी हम लोगों से मिल रहे हैं।'

आरएसएस कश्मीर के कई इलाकों में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के जरिए प्रत्येक पखवाड़े और मासिक आधार पर मीटिंग आयोजित करता है। एमआरएम की शुरुआत 2002 में आरएसएस के प्रमुख सदस्यों और विचारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद की गई थी। इसके बहुत से समर्थक होने का दावा किया जाता है।

आरएसएस के सदस्य ने कहा, 'एमआरएम मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए स्वतंत्र तौर पर काम करता है।' एमआरएम श्रीनगर में बीजेपी मुख्यालय के नजदीक राजबाग इलाके से काम करता है। उनका कहना था कि विशेषतौर पर कश्मीर में मुस्लिम समुदाय के बीच आरएसएस को लेकर काफी भ्रम है। उन्होंने कहा कि आरएसएस केवल भाईचारे और स्नेह में विश्वास रखता है।

जम्मू और कश्मीर में इस वर्ष की शुरुआत में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और बीजेपी की गठबंधन सरकार बनने के बाद, विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस और राज्य के कट्टरवादी नेताओं ने आशंका जताई थी कि नई सरकार से आरएसएस को राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका मिल सकता है।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जून में श्रीनगर में कहा था, 'जम्मू और कश्मीर की नई राजधानी नागपुर बन गया है।' पिछले सप्ताह रिपोर्ट आई थी कि जम्मू यूनिवर्सिटी कैम्पस में आरएसएस की शाखा चल रही है। इसे लेकर हुर्रियत सहित बहुत से दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। नई सरकार से मदद मिलने के आरोप पर आरएसएस के सदस्य ने कहा, 'आरएसएस किसी राजनीतिक दल के जरिए काम नहीं करता।'

श्रीनगर में बीजेपी के कार्यालय के बाहर जमा पार्टी के कुछ समर्थकों ने ईटी को बताया कि उन्हें राज्य में आरएसएस की बैठकें आयोजित होने की जानकारी है और उनमें से कुछ को इनमें शामिल होने के लिए निमंत्रण भी मिला है। श्रीनगर में आरएसएस की बैठकों में एमआरएम के जरिए शामिल होने वाले एक 45 वर्षीय मुस्लिम प्रोफेशनल ने बताया कि वॉट्सएप मेसेंजर पर 'आरएसएस कश्मीर' नाम से एक क्लोज्ड ग्रुप चुनिंदा लोगों को इससे जुड़ी जानकारी देता है।

उन्होंने बताया, 'बहुत से लोग आरएसएस में शामिल होना चाहते हैं। हालांकि, हम अभी कश्मीर के लिए एक उपयुक्त सिलेबस तैयार कर रहे हैं। इस वर्ष के अंत तक कश्मीर में आरएसएस की पैठ बढ़ जाएगी।'

साभार-टाईम्स ऑफ इंडिया से