Thursday, April 18, 2024
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जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की रक्षा के लिए बलिदान दिया है उन को एक घर तो दो

हर नेता कहता है “कश्मीर’ भारत का अटूट अंग है पर मेजर सोम नाथ शर्मा जैसे वीर सेनानी जिन्हों ने आजाद भारत का पहला परमवीर चक्र “कश्मीर” की दुश्मन से रक्षा करते हुए १९४७ में प्राण देकर लिया था के परिवार के लिए जम्मू कश्मीर राज्य में अपना कोई घर नहीं है ! आखिर ऐसा क्यों है ?

पिछली ८ जुलाई के वाद जिस प्रकार की नीति भारत के गृहमंत्री ने अब तक पृथकतावादी विचारों एवं घटकों के बारे में जम्मू कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में दर्शाई है और जो संकेत १८ जुलाई के उड़ी में हुए पाकिस्तान ‘समर्थित’ आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार की ओर आतंकवादियों एवं उनके सीमापार के सह्योगियों के प्रति नीति वारे आए हैं उन से आने बाले दिनों में कुछ सुधार होने की आशा की जा सकती है ! ऐसे ही राजनीतिक स्तर पर जम्मू कश्मीर में कश्मीर घाटी केन्द्रित विवादों में पाली गई स्थानीय राजनीति जिस का आधार आज तक जम्मू कश्मीर को भारत से दूर दीखाने वाले संकेतों में ज्यादा रहा है को भी आज सत्ता की डोर पकडे बीजेपी नेतृत्व क्या नई दिशा दे सकेगा यह भी देखना होगा ! इस का एक उदहारण “जम्मू कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट” के विषय को जन हित में कम और भारत से दूरी दीखाने के लिए ज्याद प्रयोग किया गया है इस बात से मिल सकता है !

महाराजा हरी सिंह जी के समय में जब उन्होंने १९२७ में अपने राज्य में “जम्मू कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट” का दर्जा बनाएया था तब उन्हों ने “जम्मू कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट” श्रेणी -१ और श्रेणी-२ के साथ साथ “जम्मू कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट” की श्रेणी -3 का भी प्रावधान किया था ! श्रेणी -१ में वे सभी जन आते थे जो महाराजा गुलाब सिंह साहिब बहादुर के राज के आरंभ होने से पहले पैदा हुए थे एवं रहते रहे थे और वे भी जो उस के वाद इस राज्य में संवत १९४२ ( १८८५ एड ) से पहले तक आ कर बसे और रह रहे थे ! ऐसे ही श्रेणी -२ में वे जन आते थे जो उस समय के जम्मू कश्मीर राज्य में संवत १९६८ (१९११ एड ) के अंत तक अचल सम्पति के साथ वस् चुके थे और उस के बाद रह रहे थे ! “जम्मू कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट” की श्रेणी में आने वाले जम्मू कश्मीर में रहने वाले लोगों को दूसरे नागरिकों / निवासियों पर महाराजा के राज में साल १९२७ से कुछ क्षेत्रों में अधिकारिक स्तर पर प्राथमिकता मिलनी शुरू हो गई थी ! राजा ने ऐसा उस समय अपने राज्य के लोगों को प्रशासनिक एवं आर्थिक स्थिति से आगे लाने के लिए भी किया था !

इसी “जम्मू कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट” की श्रेणी-१ और -२ को बदल कर आजाद भारत में जम्मू कश्मीर राज्य के विधान की धारा -६ के तहत १९५७ में भारत के कुछ नागरिकों के लिए ‘जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी’ का प्रभ्धान किया गया था जिस में एक तरह से उस समय के कुछ श्रेणी-3 के नागरिक भी शामिल किए गए थे और साथ में ही जम्मू कश्मीर विधान की धारा-८ और -९ में जरूरत के अनुसार ‘जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी’ की परिभाषा में बदलाब करने का भी प्रभ्धान किया गया था! ‘जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी’ के पक्ष में वनाए गए कुछ प्राबधानों जिन को भारत के संबिधान में राष्ट्रपति जी द्वारा एक निर्देश दे कर डाले गए एक नए अनुच्छेद ३५ए का संरक्षण प्राप्त होने के कारण ही आज के दिन जम्मू कश्मीर राज्य में ऐसे कानून और प्रशासनिक आदेश वने हुए हैं जिन के अंतर्गत सिर्फ ‘जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी’ की श्रेणी में आने वाले भारतीय नागरिक ही इस राज्य में अचल सम्पति रख सकते हैं, राज्य की सरकार में सेवा कर सकते हैं, जम्मू कश्मीर विधान सभा में भाग ले सकते हैं , राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे इंजीनियरिंग / मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं ! महाराजा हरी सिंह के समय भी ‘स्टेट सब्जेक्ट’ श्रेणी के जम्मू कश्मीर में रहने वाले लोगों को कुछ प्राथमिकता दीं जाती थीं पर उस समय भी महाराजा ने राज्य हित और जन हित को देखते हुए ऐसे प्रावधान रखे थे कि राज्य से वाहर के कुछ खास लोगों को भी ‘स्टेट सब्जेक्ट’ श्रेणी १ और २ की तरह राज्य में अचल सम्पति ओर राज्य राजकीय सेवा में आने जैसे अधिकार मिल सकते थे जिस के लिए ‘स्टेट सब्जेक्ट’ श्रेणी -3 रखी गई थी ! कई लोगों को राज्य और जन हित में ‘स्टेट सब्जेक्ट’ श्रेणी -3 में अधिकार महाराजा हरी सिंह राजा ने १९४७ के पहले साल १९२७ के बाद दिए थे !

बड़ी ही हैरानी की बात है कि धारा – 8 का इस्तेमाल आजाद भारत गणराज्य के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोम नाथ जी जैसे भारत के नागरिक जिस ने जम्मू कश्मीर को शत्रु से बचाते हुए मात्र २४ साल की उम्र में 3 नवम्बर १९४७ के दिन बडगाम ( कश्मीर घाटी) में अपने प्राण न्योशावर कर दिए थे को भी जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी का दर्जा देने के लिए नहीं किया गया है ! सोम नाथ जी दध काँगड़ा हिमाचल प्रदेश के निबासी थे ! आज के दिन कश्मीर में “स्थाई निबासी” वाला प्रावधान होने के कारण मेजर सोमनाथ जी के परिवार का कोई सदस्य जम्मू – कश्मीर राज्य में न रह रहा है और न ही रहने के लिए घर बना सकता है , न ही जम्मू कश्मीर की सरकारी सेवा में आ सकता है ! ऐसे ही कलोल बकें बिलासपुर हिमाचल प्रदेश के रहने बाले १३ जम्मू कश्मीर राइफल्स के राईफलमेन संजय कुमार जी ने ४ जुलाई १९९९ के दिन कारगिल युद्ध के दोरान अपूर्व पराक्रम दीखते हुए परमवीर चक्र प्राप्त किया था पर उन को भी जम्मू कश्मीर में कोई सम्मान नहीं दिया गया और न ही उन के परिवार के लिए इस राज्य में कोई जगह है ( संजय जी अब फ़ौज में जेसीओ हैं).! ऐसे ही ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं ने मात्र १९ साल की आयु में 3/४ जुलाई १९९९ के समय कारगिल युद्ध में टाइगर हिल अभियान में अपूर्व वीरता दीखाते हुए परमवीर चक्र अर्जित किया था ( अब वे सूबेदार हैं) पर उन का भी जम्मू कश्मीर के साथ सिर्फ जान देने का ही रिश्ता रहा क्यों कि उन के लिए भी जम्मू कश्मीर की सरकारें अपने राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ सकीं!

कुछ राजनीतिक दल और नेता आज जम्मू कश्मीर सरकार पर यह प्रश्न खड़े कर रहे हैं कि १८ सितम्बर २०१६ को उडी में शहीद हुए कम से कम जम्मू कश्मीर निबासी २ सैनिकों के परिवारों के लिए क्यों अभी तक कोई विशेष आर्थिक सहायता की घोषणा सरकार द्वारा नहीं की गई है जब कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों ने वहां के निवासी उड़ी शहीदों के परिवारों के लिए विशेष सहयता राशि की घोषणा कर दी है ! ऐसी मांग करना अच्छी बात है, पर यह और भी सराहनीय होता अगर यह नेता लोग जम्मू कश्मीर सरकार से यह कहते कि इस सरकार को हर उस सैनिक के परिवार को विशेष आर्थिक एवं प्रशासनिक सहायता देनी चाहिए जो इस राज्य की सीमायों और जन मानस की रक्षा करते हुए वलिदान देता है चाहे वह सैनिक भारत के किसी भी राज्य का निवासी हो ! लेकिन अभी तक किसी ने ऐसी मांग नहीं की है।

जम्मू कश्मीर के आम जन को इस ओर ध्यान देना होगा और राज्य सरकार को अपने चुने हुए विदायकों के माध्यम से देश के शहीदों के लिए कम से कम “जम्मू कश्मीर राज्य के स्थाई निबासी” का दर्जा देने के लिए मजबूर करना होगा !

“जम्मू कश्मीर के स्थाई निबासियो” कम से कम उन को तो इस राज्य में एक घर दे दीजिए जो आप के “घर परिवार” की रखा हेतु अपना घर छोड़ कर इस राज्य की सीमायों पर प्राण देने आते हैं ।

(दया सागर एक वरिष्ठ पत्रकार और जम्मू कश्मीर विषयों के जानकार हैं 9419796096 )

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