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बुलेट ट्रैन को गति देने जापान पहुँचे रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) की अंतिम रिपोर्ट आने के करीब डेढ़ माह बाद रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने टोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे से मुलाकात की है।
श्री प्रभु ने जापान के प्रधानमंत्री के साथ भारतीय रेलवे के उन्नयन एवं आधुनिकीकरण के लिए जापान के तकनीकी सहयोग के अवसरों एवं संभावनाओं पर चर्चा की ताकि रेलवे को ‘जीरो एक्सीडेंट’ बनाने के अंतिम लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
हालांकि सूत्रों के अनुसार प्रभु की जापान यात्रा का एक प्रमुख मकसद बुलेट ट्रेन परियोजना के बारे में जाइका के अधिकारियों के साथ वित्तीय सहायता के तौर-तरीकों एवं शर्तों को लेकर बातचीत करना भी है ताकि इसे जल्द से जल्द शुरू किया जा सके.
जापान एवं भारत के बीच मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेलवे कॉरिडोर को लेकर अक्टूबर 2013 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे. जाइका एवं भारतीय रेल विकास निगम की संयुक्त अध्ययन की रिपोर्ट जुलाई में रेलवे बोर्ड को सौंपी गई है. रिपोर्ट में मुंबई से अहमदाबाद के बीच करीब 570 किलोमीटर की दूरी तक समुद्र के किनारे कॉरीडोर बिछाने पर लगभग 90 हजार करोड़ रुपये की लागत आने की बात कही गई है. इसका काम 2017 से शुरू होने और 2024 तक इस कॉरीडोर पर पहली बुलेट ट्रेन दौड़ने की उम्मीद है. कंक्रीट से बने इस एलिवेटेड कॉरीडोर पर करीब 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बुलेट ट्रेन करीब दो घंटे में यात्रा पूरी करेगी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले साल हुई जापान यात्रा के दौरान इस परियोजना पर तेजी से आगे बढ़ने की सहमति बनी थी. जाइका पहले ही इस परियोजना को वित्तीय सहायता देने की पेशकश कर चुकी है.
रेल मंत्रालय इसके अलावा बुलेट ट्रेनों के बीते पांच दशक से अधिक समय से बिना दुर्घटना के परिचालन के रिकॉर्ड को देखते हुए भारतीय रेलवे के लिए भी तकनीकी आधुनिकीकरण में जापान की मदद लेना चाहता है. सिगनलिंग एवं संचार पण्राली को लेकर हाल ही में सिग्नल इंजीनियरों के एक कार्यक्रम में प्रभु ने भारतीय रेल को दुर्घटना मुक्त बनाने का आह्वान किया था. इससे पहले इसी वर्ष रेलवे बोर्ड के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भी जापान का दौरा किया था.