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पत्रकारिता ने देश की राजनीति को नई दिशा दी

पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान समारोह
भोपाल, 7 अप्रैल /पत्रकारिता लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है। पत्रकारिता ने देश की राजनीति को नई दिशा दी है। यदि पत्रकारिता नहीं होती तो देश की राजनीति की दिशा और दशा कुछ और होती। दादा माखनलाल चतुर्वेदी हमें आज भी प्रेरणा देते हैं कि उनका जीवन हमारे लिए प्रकाश पुंज है। यह विचार पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित माखनलाल चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यान एवं गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान समारोह में बोलते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने व्यक्त किए।

      विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2012 का गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान वरिष्ठ पत्रकार श्री मदन मोहन जोशी को एवं वर्ष 2013 का सम्मान युवा पत्रकार श्री श्यामलाल यादव को प्रदान किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मदन मोहन जोशी जी केवल पत्रकार नहीं है बल्कि सामाजिक सरोकारों को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि श्यामलाल यादव जी ने कम उम्र में पत्रकारिता में बड़ी ऊंचाईयाँ हासिल की है जो युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें परिश्रम से पीछे नहीं हटना चाहिए और हमेशा अपना लक्ष्य बड़ा रखना चाहिए। दूसरों की भलाई करने से बड़ा कोई पुण्य नहीं है और बुराई करने से बड़ा कोई पाप नहीं है। युवाओं को पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे आगे बढ़ना चाहिए कि वे एक नक्षत्र की तरह चमकें। उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के चार सूत्र बताते हुए कहा कि उनके पाँव में चक्कर, मुंह में शक्कर, सीने में आग एवं माथे में बर्फ होना चाहिए। उन्होंने सामाजिक सरोकारों से युक्त सकारात्मक पत्रकारिता करने का आग्रह किया।

      इस अवसर पर बोलते हुए श्री मदन मोहन जोशी ने कहा कि ऐसी पत्रकारिता का संकल्प लेना चाहिए जिससे व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का भला हो सके। श्री श्यामलाल यादव ने कहा कि मेहनत करके पत्रकारिता में कुछ भी हासिल किया जा सकता है। युवा पीढ़ी को मेहनत से पीछे नहीं हटना चाहिए। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. वाजपेयी ने पत्रकारिता के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती मूल्यों के संरक्षण की है। सनसनीपूर्ण पत्रकारिता का बोलबाला है। पत्रकारिता में ऐसे प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे मूल्यों एवं संवेदनाओं का संरक्षण हो सके। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने विश्वविद्यालय की आगामी योजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष श्री संजय द्विवेदी ने किया।
समार्थ्य को बढ़ाकर दुखों से लड़ा जा सकता है- स्वामी धर्मबंधु
माखनलाल चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यान में श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट स्वामी धर्मबंधु का उद्बोधन
     मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा लक्षण इंसानियत है। यदि मनुष्यों में सामथ्र्य कम होगा तो ईष्र्या अधिक पैदा होगी। आज लोग अपने अभाव से दुखी नहीं होते, बल्कि दूसरों के प्रभाव से दुखी होते हैं। अपने दुखों को कम करने के लिए मनुष्य को सामथ्र्यवान बनना चाहिए। आज के समय में अन्तःकरण की पवित्रता पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। हमें अपने शरीर, मन, बुद्धि एवं चित्त की पवित्रता पर जोर देना चाहिए। ज्ञान का सृजन कर अपनी ताकत को बढ़ाया जा सकता है। यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यान के अंतर्गत श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट के व्यवस्थापक स्वामी धर्मबंधु ने व्यक्त किए।
      उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में मनुष्य के सामने अनेक समस्याएँ 2005 में दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों ने तय किया था कि दुनिया को युद्ध से निकलकर बेहतर प्रबंधन को सामने लाना चाहिए। आज मनुष्य के सामने सबसे बड़ा संकट चरित्र का संकट है। आज ताकत के दम पर दुनिया पर हुकूमत करने वाले देश भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस बात से सहमत होते दिख रहे हैं कि शांति के बिना विकास सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के प्रख्यात शिक्षाविद् बी.एस.कोठारी ने ऐसी शिक्षा की वकालत की थी जो इंसानियत को बढ़ाने का जज्बा पैदा कर सके।  उन्होंने महान दार्शनिक रूसो के कथन का हवाला देते हुए कहा कि जो भी चीज प्रकृति के हाथों से आती है वह पवित्र होती है, परन्तु मनुष्य के हाथों आते-आते वह दूषित होने लगती है। ज्ञान यदि दुश्मन के पास भी है तो उससे जाकर सीखना चाहिए। ज्ञान का दान सबसे बड़ा दान है। आज जी-8 में बैठे विकसित राष्ट्रों की आबादी पूरी दुनिया की आबादी का 19 प्रतिशत है, परंतु वे दुनिया के 75 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधनों पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं।
      स्वामी धर्मबंधु ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों को पांच संकल्प लेने चाहिए। प्रथम, वे प्राचीन साहित्य का अध्ययन करेंगे, द्वितीय, अपनी संस्कृति का सम्मान करेंगे, तृतीय, अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम का भाव रखेंगे, चतुर्थ, आदर्श स्थापित करने का प्रयास करेंगे एवं पंचम, अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएँगे। उन्होंने विद्यार्थियों से परिश्रमपूर्ण जीवन जीने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जो परिश्रम नहीं करता उसे ईश्वर की प्रार्थना करने का अधिकार नहीं है। इसी तरह जो लोग श्रम कर पसीना नहीं बहाते उन्हें आराम करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की कीमत उसके विचारों से होती है। जीवन में आदर्श स्थापित करने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति धैर्यवान हो, लालच से दूर रहे एवं अपने मन एवं स्वभाव में मधुरता लाए। उन्होंने विश्वविख्यात लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तकों का हवाला देते हुए विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे इन पुस्ताकों को अवश्य पढ़ें।
रंगारंग प्रस्तुतियाँ और पुरस्कार पाकर झूम उठे विद्यार्थी
विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक एवं खेलकूद आयोजन प्रतिभा-2015 का पुरस्कार वितरण
     कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विभागों के सांस्कृतिक एवं खेलकूद आयोजन प्रतिभा-2015 का पुरस्कार वितरण समारोह भी आयोजित किया गया। इस दौरान विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी। विद्यार्थियों के दल ने सामान्य व्याप्त बुराईयों पर केन्द्रित लघु नाटिका: पागलों की दुनिया प्रस्तुत की। छात्राओं के दल द्वारा की गई कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति से सभागार में बैठे लोग झूम उठे। विश्वविद्यालय बैण्ड ने सुन्दर वाद्य प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोहन लिया। इस दौरान प्रतिभा-2015 के दौरान सम्पन्न निबंध प्रतियोगिता, फीचर लेखन प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता, एनीमेशन, पोस्टर, कार्टून, पावर पाइंट निर्माण प्रतियोगिता, नाट्य प्रतियोगिता, नृत्य प्रतियोगिता तथा क्विज़ प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरीत किए गए। विद्यार्थियों को पुरस्कार देने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला के अलावा हिमालच प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. वाजपेयी, वरिष्ठ पत्रकार श्री राधेश्याम शर्मा, रमेश शर्मा एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री कैलाशचन्द्र पंत उपस्थित थे।
पुस्तकों का विमोचन
      कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों का विमोचन माननीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में श्री साकेत दुबे द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘"डॉ.धर्मवीर भारती: पत्रकारिता के सिद्धान्त" एवं श्री मनोज चतुर्वेदी द्वारा लिखित पुस्तक "महात्मा गांधी और संवाद कला" का विमोचन किया गया।
 
       
        (डॉ. पवित्र श्रीवास्तव)
निदेशक, जनसंपर्क प्रकोष्ठ