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कश्मीरी पत्रकार का दर्दः तीस साल तक दुनिया को कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद नहीं दिखा

कश्मीर की पत्रकार आरती टिक्कू सिंह ने मंगलवार को पाकिस्तान के आतंकवाद और वहां होने वाले मानवाधिकारों पीड़ितों की कहानी सुनाई। उन्होंने अमेरिका के वाशिंगटन में विदेश मामलों की एक समिति की ‘दक्षिण एशिया में मानव अधिकार’ पर सुनवाई के दौरान कहा कि 14 जून 2018 को श्रीनगर में लश्कर-ए-तैयबा ने शुजात बुखारी को मार गिया। यह वही आतंकी संगठन है जिसने मुंबई में आतंकी हमला किया और जिसपर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है।

आरती कश्मीर की एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने अमेरिका में पूछा कि आखिर क्यों उन्होंने बुखारी को मारा? क्योंकि शुजात पाकिस्तान में हिंसा और मानवाधिकारों के हनन को कम करना चाहते थे। उन्होंने उन्हें इसलिए मारा क्योंकि वह शांति चाहते थे। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में 30 सालों से किए जा रहे इस्लामिक जिहाद, कट्टरता और आतंकवाद को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया और विश्व प्रेस ने भी इसकी अनदेखी की।

उन्होंने कहा, ‘दुनिया में कोई भी मानवाधिकार कार्यकर्ता और प्रेस नहीं है जो यह महसूस करता है कि कश्मीर में पाकिस्तानी आतंक के पीड़ितों के बारे में बात करना उनका नैतिक दायित्व है। इसे अब तक की सबसे दूषित पत्रकारिता कहा जा सकता है। मैं यहां कश्मीर के जिन पीड़ितों का मुद्दा उठा रही हूं उन्हें पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने मारा है। आतंकियों ने कश्मीर में जिन लोगों की हत्या की है उसमें मुसलमानों की संख्या ज्यादा है।’

अपने संबोधन में टिक्कू ने जिन कश्मीरी पत्रकार शुजात बुखारी का जिक्र किया वह राइजिंग कश्मीर के संपादक थे। पुलिस जांच में सामने आया था कि लश्कर ने उनकी हत्या करवाई थी। हत्या में शामिल चारों आरोपी लश्कर से जुड़े हुए हैं। बुखारी और उनके पीएसओ की आतंकियों ने पिछले साल जून में हत्या कर दी थी। प्रेस इन्क्लेव के पास उनकी गाड़ी को घेरकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग की और उसके बाद वे मौके से फरार हो गए।