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केजरीवाल सरकार भी हिन्दी वालों की नहीं सुनती

दिल्ली सरकार की एक भी वेबसाइट और ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी में उपलब्ध नहीं हैं और मैं इस विषय पर सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से लगातार आपको लिख रहा हूँ पर सरकार की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। केवल मेरे ईमेल को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय को भेज दिया गया, अग्रेषण के लिए भी अंग्रेजी में ही ईमेल लिखा गया , जब अधिकारी चार पंक्तियाँ भी हिंदी में नहीं लिख रहे हैं तो वे काम हिंदी में क्यों करेंगे और क्यों हिंदी में कोई जवाब जनता को भेजेंगे। देश में जनता को योजना की जानकारी, सरकारी सेवाएँ एक ऐसी भाषा में दी जाती है जिसे जनता नहीं समझती है इसलिए वे ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते। दिल्ली सरकार पर आम आदमी नहीं अभी भी अंग्रेजों का राज चल रहा है जो हिंदी में कामकाज कभी नहीं करेंगे और जनता का शोषण करते रहेंगे, अंग्रेजी जनता के शोषण का सबसे उम्दा हथियार है।

परिवहन बसों के टिकट, संग्रहालय, चिड़ियाघर आदि के टिकट से सिर्फ अंग्रेजी में क्यों छापे जा रहे हैं? योजनाओं/संस्थाओं के प्रतीक-चिह्न अंग्रेजी में क्यों बनाये जा रहे हैं?

मुझे जवाब नहीं कार्रवाई चाहिए। राजभाषा कानून को लागू करवाइए, देश की राजधानी को ‘अंग्रेजी’ की गुलामी से आज़ाद करवाइए।

इस संबंध में दिल्ली सरकार को पूर्व में लिखा गया मेरा पत्र इस प्रकार है-

महोदय,
दिल्ली सरकार कब तक आम जनता के लिए वेबसाइटें और ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी में उपलब्ध करवाने वाली है? साथ ही यह भी बताएँ कि क्या इस महत्त्वपूर्ण विषय पर मंत्रिमंडल अथवा मुख्यमंत्री कार्यालय ने निर्णय लेकरकोई आदेश/निर्देश जारी किया है?
सरकारी कामकाज एवं सरकारी ऑनलाइन सेवाएँ अंग्रेजी में होने से आम जनता का बहुत अहित किया जा रहा है। जनता पर हर सरकारी काम में अंग्रेजी थोपी जा रही पिछली सरकार के कार्यकाल में राजभाषा हिन्दी को लगभग समाप्त कर दिया गया है।
वर्तमानमें दिल्ली शासन की एक भी वेबसाइट अथवा ऑनलाइन सेवा #हिन्दी भाषा में नहीं है तो क्या दिल्ली सरकार को केवल अंग्रेजी जानने वाली जनता की सुविधा की चिंता है पर जो हिंदी भाषी हैं उन्हें किसी भी वेबसाइट अथवा ऑनलाइन सरकारी सेवा को प्रयोग करने का अधिकार नहीं है? आपने हाल में ही जनशिकायत के लिए अंग्रेजी वेबसाइट ‘पब्लिक ग्रीवेन्सेस’ शुरू की है, इसी तरह आपने ‘ई-राशन कार्ड’ वेबसाइट भी केवल अंग्रेजी बनाई है। तो क्या आपकी सरकार जनता पर जबरन अंग्रेजी थोपना चाहते हैं ?

आपने दिल्ली ई-शासन समिति बनाई है उसने अपनी वेबसाइट, नाम और प्रतीक-चिह्न (लोगो) केवल अंग्रेजी में तैयार किए हैं और जो अधिकारी इसे संभाल रहे हैं वे ऑनलाइन सेवाएँ हिंदी में शुरू नहीं करना चाहते हैं।

आशा करता हूँ आप यहाँ-वहां मेरा पत्र अग्रेसित करने के बजाय अपने कार्यालय से आदेश जारी करेंगे ताकि ऑनलाइन सेवाएँ हिंदी में शुरू हो सकें।

भवदीय
प्रवीण जैन