Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेकोटा कलेक्टर ने लिखा मार्मिक पत्र, 'बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपें,...

कोटा कलेक्टर ने लिखा मार्मिक पत्र, ‘बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपें, मनचाही पढ़ाई करने दें’

जयपुर। राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं से दुखी यहां के कलेक्टर ने विद्यार्थियों के अभिभावकों को पत्र लिख गुजारिश की है कि वे अपनी इच्छाएं थोपने के बजाय बच्चों को उनकी मनचाही पढ़ाई करने दें।

कोटा में इस वर्ष अब तक पांच छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 30 तक जा पहुंचा था। इसी को देखते हुए कलेक्टर रवि कुमार ने पहले एक पत्र छात्रों को लिखा था और अब उनके अभिभावकों से अपनी पीड़ा साझा की है। उन्होंने पत्र में अभिभावकों से अनुरोध किया है वे बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने के बजाय उसकी क्षमताओं, रुचियों और योग्यताओं के आधार पर ही उनका भविष्य उज्ज्वल बनाने का प्रयास करें। पहले बच्चे की मन की बात जानें कि वह क्या करना चाहता है। नाहक दबाव न बनाएं और यदि कोई फैसला हो भी गया है तो बच्चे को भरोसा दिलाएं कि हर बुरी स्थिति में उसके साथ हैं। उसे हर तरह के मानसिक दबाव का मुकाबला करने के काबिल भी बनाएं।

कुमार ने लिखा है कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि मुझे 20 से ज्यादा मेधावी बच्चों के सुसाइड नोट पढ़ने पड़े हैं। कॅरिअर के अवसरों के शहर कोटा में आपके बच्चों का स्वागत है, लेकिन बच्चे की न किसी से तुलना करें और न परिणाम के बारे में डराएं। वे आपको बेहतरीन परिणाम देंगे।

पत्र में कलेक्टर ने लिखा है कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे, लेकिन इंजीनियरिंग और मेडिकल में कॅरिअर के अलावा भी कई क्षेत्रों में अच्छे अवसर हैं। इनके बारे में भी वे जानें और बच्चों को भी बताएं। हो सकता है कि बच्चा आपकी उम्मीदों से ज्यादा तरक्की करे।

प्रशासन कोटा में रहने वाले करीब डेढ़ लाख कोचिंग छात्रों के बीच सर्वे भी कराने जा रहा है। इसके जरिए जानने का प्रयास किया जाएगा कि वे यहां इच्छा से पढ़ रहे हैं या किसी दबाव में आए हैं। जिला प्रशासन के मुताबिक, आठवीं कक्षा से ऊपर वाले सभी बच्चों के बीच यह सर्वे होगा। इसके लिए अब तक मिले सुसाइड नोट और मनोचिकित्सकों की सलाह के आधार पर एक प्रश्नावली तैयार की जा रही है। सर्वे पूरी तरह गोपनीय होगा और बच्चों को अपना नाम या पहचान बताने की जरूरत नहीं होगी। बच्चों से उनके परिवार, परिजन के व्यवसाय, पढ़ाई के स्तर आदि के बारे में जानकारी लेने के साथ ही रुचियों, परिवार के दबाव, अन्य कॅरिअर विकल्प की जानकारी ली जाएगी। यह भी पूछा जाएगा कि कोटा में आने के बाद मानसिक स्तर और स्वास्थ्य में क्या बदलाव आया। प्राप्त जवाबों का विशेष सॉफ्टवेयर से विश्लेषण किया जाएगा तथा परिणामों के आधार पर आत्महत्याएं रोकने के उपाय किए जाएंगे।

दिग्गज यह कह चुके

स्वयं पढ़ाई करें। कोचिंग संस्थानों के कारण छात्रों का गुणवत्ता स्तर गिर रहा है। – नारायण मूर्ति

निराश न हों, अलग सोचो, नए विचार पैदा करो और उन पर काम करो। – रतन टाटा

परीक्षा में फेल होने के डर से सुसाइड मत करो, मैं पांच बार फेल हुआ था। आज हाई कोर्ट का जज हूं। – सीएस कर्णन, जज, मद्रास हाई कोर्ट

मैं भी आत्महत्या करना चाहता था, लेकिन मैंने खुद को एक और अवसर दिया। आज सफल उद्यमी हूं। – अरुण पंडित, मोटिवेशनल स्पीकर

1.50 लाख छात्र-छात्रा हर साल कोटा आते हैं पढ़ने
30 विद्यार्थियों ने खुदकुशी की 2015 में
05 छात्र मौत को गले लगा चुके इस वर्ष
40 बड़े कोचिंग संस्थान हैं कोटा में
2000 करोड़ रुपए का कोचिंग उद्योग

साभार- http://naidunia.jagran.com/ से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार