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लद्दाख के महानायक सोनम वांगचुक ने की चीन में बने सामान का बहिष्कार करने की अपील

उन्होंने कहा कि मैं लद्दाख में हूं और आप देख रहे हैं सिंधु नदी को बहते हुए देख रहे हैं यहां, और वो जो पहाड़ियां हैं। उनके पीछे नुब्रा और चांगतांग के वो इलाके हैं, जहां पर यह तनाव बढ़ता जा रहा है। हजारों सैनिक वहां ले जाए जा चुके हैं। सुनने में आया है कि चीनी वायु सेना के जहाज भी वहां तैनात किए गए हैं और एक घंटे पहले भारतीय वायु सेना के जहाज भी मेरे ऊपर मंडरा रहे थे।

उन्होंने आगे कहा, सामान्यता जब सीमा पर तनाव होता है तो हम आप जैसे नागरिक यह सोचकर सो जाते हैं रात को कि सैनिक इसका जवाब दे देंगे। मगर मैं आज आप लोगों को यह जरूरी बात बताना चाहता हूं कि इस बार सिर्फ सैनिक जवाब नहीं, दो तरफा जवाब हो और उसमें नागरिक जवाब भी हो।

देखिये सोनम वांगचुक का ये वीडियो- https://www.youtube.com/watch?v=7Zt4fB1lwIo

आपने देखा होगा कि यह सिर्फ भारत के साथ नहीं हो रहा है, बल्कि पिछले कई हफ्तों से चीन यह दक्षिणी चीन सागर में वियतनाम, ताइवान और अब हांगकांग के साथ भी छेड़खानी कर रहा है, और मेरा यह विश्लेषण है कि वो यह सब किसी देश के साथ दुश्मनी से ज्यादा अपने अन्दर की समस्याओं को सुलझाने के लिए कर रहा है।

आज चीन को सबसे बड़ा डर है तो अपनी जनता से डर है, उनकी 140 करोड़ की आबादी जो कि एक बंधुआ मजदूर की तरह बिना मानवाधिकारों के चीनी तानाशाह सरकार के लिए काम करते हैं, और उसे धनी बनाते हैं, जब वो नाराज हो जाए तो फिर एक क्रांति की सी परिस्थिति बन पड़ती है और इससे चीन बहुत डरता है।

आज चीन को सबसे बड़ा डर है तो अपनी जनता से डर है, उनकी 140 करोड़ की आबादी जो कि एक बंधुआ मजदूर की तरह बिना मानवाधिकारों के चीनी तानाशाह सरकार के लिए काम करते हैं और उसे धनी बनाते हैं। जब वो नाराज हो जाए तो फिर एक क्रांति की सी परिस्थिति बन पड़ती है और इससे चीन बहुत डरता है।
आज कोरोना के प्रकोप के बाद चीन में फैक्ट्रियां बंद हैं, एक्सपोर्ट्स बंद हैं और बेरोजगारी 20 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है, लोग बहुत नाराज हैं, क्रांति हो सकती है, तख्तापलट हो सकता है। इसीलिए चीन अपने पड़ोसियों से दुश्मनी करके अपनी जनता को अपने साथ जोड़ने में लगा हुआ है और यह पहली बार नहीं कर रहा है। 1962 में जब भारत के साथ जंग की तो वो जंग भी उसने अपनी जनता को संभालने के लिए की थी, तब चार साल का आकाल और भुखमरी हुई थी और इससे ध्यान हटाने के लिए यह जंग की थी।

चीन के लिए अपनी जीडीपी और जो खुशहाली है, उसे बढ़ाते रहना बहुत ही जरूरी है, और जिस दिन जीडीपी घट जाये वहां की जनता क्रांति के लिए तैयार है, मैं तो कहता हूँ कि इस बार भारत की बुलेट पॉवर से भी वॉलेट पॉवर काम आएगी, जो नागरिक पैसा खर्च करते हैं चीन के सामान को खरीदने में।

जरा सोचिए हम आप भारतीय उद्योग को मार कर चीन से मूर्तियों से कपड़ों तक हर साल पांच लाख करोड़ के सामान खरीदते हैं और फिर ये पैसा आगे जाकर हमारे सीमा पर हथियार और बन्दूक बनकर हमारे सैनिकों के मौत का कारण बन सकते हैं, तो इसलिए अगर हमारे देश के 130 करोड़ लोग और तीन करोड़ भारतीय जो बाहर के देशों में हैं, सब मिलकर भारत में और बल्कि दुनिया भर में एक बायकाट मेड इन चाइना मूवमेंट या अभियान शुरू करते हैं तो आज दुनिया भर में चीन के प्रति रोष है।

हो सकता है कि सारी दुनिया साथ आए और इतने बड़े स्तर पर चीनी व्यापार का बायकॉट हो, कि चीन को जिसका सबसे बड़ा डर था वही हो, यानी कि उसकी अर्थव्यवस्था डगमगाए और उसकी जनता रोष में आये, विरोध और तख्तापलट और अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो कितनी बदनसीबी की बात होगी भारत के लिए, जरा सोचिए, एक तरफ हमारी सेना सीमा पर जंग लड़ रही होगी, और दूसरी तरफ हम आप चीनी सामान मोबाइल से लेकर कंप्यूटर, कपड़ों से लेकर खिलौनों तक, को खरीद कर उनकी सेना को पैसा भेज रहे होंगे, चीन की सेना को। इसके अलावा उन्होंने और कई सारी बातें कहीं।