
कथाकार महेन्द्र भीष्म के कहानी संग्रह “बडे सा’ब” के आवरण पृष्ठ का लोकार्पण
कोटा। श्रीराम ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र, कोटा के तत्वावधान में किन्नर विमर्श के सशक्त हस्ताक्षर, सुपरिचित कथाकार एवं मा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ पीठ के निबन्धक सह प्रधान न्यायपीठ सचिव महेन्द्र भीष्म का सम्मान उनके कहानी संग्रह बडे सा’ब पर परिचर्चा एवं इसी संग्रह पर युवा साहित्यकार रिंकी ‘रविकांत’ द्वारा सम्पादित समीक्षात्मक कृति के कवर पेज का लोकार्पण डॉ एस.आर. रंगानाथन कंवेंशनल हॉल राजकीय मण्डल पुस्तकालय कोटा में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ0 नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी (वरिष्ठ साहित्यकार) कथाकार डॉ० क्षमा चतुर्वेदी, मुख्य अतिथि विजय जोशी तथा विशिष्ट अतिथि राजकीय महाविद्यालय कोटा के आचार्य प्रो० विवेक मिश्र रहे। आयोजक पंडित रविकान्त शर्मा ने सभी अतिथियों को अंगवस्त्र व माल्यार्पण कर स्वागत किया । स्वागत भाषण डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा ने दिया ।
सम्मानित अतिथि के तौर पर आमंत्रित किन्नर विमर्श के कथाकार महेंद्र भीष्म ने कहा कि एक लेखक के लिए समाज की घटनाएं , व्यक्ति , और चरित्र उसके स्वयं के देखें सुने संसार से आते हैं । लेखक इसी संसार से लिए संदर्भों को अनुभूति में ढ़ालकर एक नई संरचना और नये अनुभव संसार का जीवन देता है । मेरे सारे पात्र जीवन के इसी यथार्थ संवेदन से छनकर निकले हैं । हमें इस समय की सामाजिक चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने सामाजिक संदर्भ और लेखकीय संवेदन का विस्तार करना चाहिए।
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर पधारे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पुनीत बिसारिया जी ने कहा कि महेंद्र भीष्म जी का संग्रह बड़े साब की कहानियां हमारे उस परिचित संसार को आंखों में उंगली डालकर दिखाती हैं जिसे हम सब इग्नोर करते हुए आगे बढ़ जाना चाहते हैं।
प्रोफेसर विवेक कुमार मिश्र राजकीय कला महाविद्यालय कोटा ने कहा कि महेंद्र भीष्म की कहानियां और उपन्यास हमारे संसार की उस सच्चाई को दिखाने का काम करते हैं जिसे हम सब छोड़कर न जाने कहां जाना चाहते हैं । यथार्थ को बुलाकर छोड़कर आप कैसे चैन से रह सकते हैं । किन्नर विमर्श की कहानियां सही मायने में हमारे भीतर के मनुष्य को जागृत करने के साथ – साथ हमें अधिक मनुष्य बनाती हैं । महेंद्र भीष्म की कहानियां सही मायने में हमारे सामाजिक ढांचे को विस्तारित करने व लोकतांत्रिक चेतना को आगे बढ़ाने का काम करती हैं । विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ कथाकार डॉ. क्षमा चतुर्वेदी ने भीष्म जी की कहानियों की प्रशंसा करते हुए समीक्षक रिंकी ‘रविकान्त’ की भी सराहना करते हुए कहा कि निश्चित ही इनका भविष्य उज्जवल है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समीक्षक विजय जोशी ने लीक से हट कर कहानियाँ लिखने वाले महेन्द्र भीष्म को एक सर्वश्रेष्ठ लेखक बताया।अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और साहित्यकार डॉक्टर नरेंद्र नाथ चतुर्वेदी ने रिंकी ‘रविकांत’ की मेहनत को सराहा। कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत मंडल पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ दीपक श्रीवास्तव द्वारा किया गया…….. धन्यवाद ज्ञापन डॉ शशि जैन द्वारा तथा मंच का सफल संचालन राम शर्मा कापरेन द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ वर्षा व्यास, डॉ सुनीता तिवारी, डॉ नवीन शर्मा, श्री विजय जैन, श्रीमती शेफाली जैन, इमरान खान, श्री दिनेश कसेरा , हेमा खींची, ममता गुर्जर, पिंकी कहार, शैलेंद्र भट्ट, नवीन शर्मा , मंजू सिंह, चेतन पंकज, सतीश गुप्ता व ऋतुराज भदौरिया आदि विज्ञजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
Dr. D. K. Shrivastava
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