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इस ग्रामीण बुजुर्ग से कुछ सीखेंगे देश के नेता?

मन में कुछ कर दिखाने की चाहत हो तो मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं। दमोह जिले के मड़ियादो के समीप मदनटोर गांव के एक बुर्जुग ने ऐसी ही एक मिसाल पेश की है।

जीवन के अंतिम पड़ाव में कुछ हटकर कर दिखाने की चाहत और आत्म विश्वास से भरे इस बुजुर्ग ने गांव के समीप एक बंजर पहाड़ी को हरा-भरा करने चट्टानों को चीरकर पहाड़ी पर अकेले ही सौ फीट गहरा कुआं खोद दिया है।

 

काम को अंजाम तक पहुंचाने में भले ही उसे सात साल लग गए, लेकिन अब कुएं में निकले पानी से पहाड़ी पर लगभग सौ फलदार पौधे लग चुके हैं। एकाध साल में उनमें फल भी आने लगेंगे। बंजारा जाति के बुर्जुग परसा बंजारा 65 ने बिना किसी की मदद के अकेले ही पहाड़ी पर सौ फीट गहरा कुआं खोद दिया हैं। पिछले सात सालों से अपने परिवार से दूर रहकर उसने पहाड़ी पर ही अपना डेरा जमा रखा है। पहाड़ी पर मंदिर भी बनाया है।

मंदिर के चढ़ावे से जीवन-यापन

आस-पास के लोग यहां मंदिर में जो चढ़ावा या प्रसाद चढ़ाने आते हैं उसी से उसका जीवन-यापन होता है। उसका परिवार भी है, लेकिन जिस दिन उसने इस कार्य की शुरूआत की उसे लगा कि परिवार के साथ रहकर वह अपने मकसद को पूरा नहीं कर सकता इसलिए उसने घर छोड़ दिया। हालांकि उसके परिवार के लोग भी कभी-कभी उसे भोजन की व्यवस्था कर देते हैं। परिवार के सभी लोग मजदूरी करते हैं।

 

परसा बंजारा ने बताया कि उसे लगा कि पूरा जीवन ऐसे ही निकला जा रहा है, अब कुछ करना चाहिए। उसने तय किया कि गांव के समीप पहाड़ी बंजर है यदि इसे हराभरा कर दिया जाए तो अच्छा होगा। उसने बताया कि सात साल पहले जब उसने पहाड़ी पर पौधे रोपना शुरू किया तो पानी की कमी के कारण कई पौधे मुरझा जाते थे।

सात साल में सौ फीट गहरा कुंआ

उसे पहाड़ी के नीचे लगभग आधा किमी दूर एक जंगली नाले से पानी लाना पड़ता था। एक दिन उसने सोचा कि यदि पहाड़ी पर ही कुआं खोद दिया जाए तो ये समस्या खत्म हो जाएगी। उसे पता था कि इस कार्य के लिए कोई मदद नहीं करेगा, इसलिए उसने खुद ही कुआं खोदना शुरू कर दियां उसके पास एक लोहे की राड जिसे सब्बल कहते हैं और कुछ अन्य औजार थे। उसने पहाड़ी की चट्टानों को काटना शुरू किया और सात साल में लगभग सौ फीट गहरा कुआं खुद गया। आज कुएं में पर्याप्त पानी है और अब पौधों की सिंचाई के लिए उसे पानी की परेशानी नहीं होती है।

साभार: http://naidunia.jagran.com से