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पशुपालकों को मिलेगा सम्मान और दुर्घटनाओं से बचेगा जीवन –धारीवाल

कोटा। शहर के पशुपालक सम्मानजनक जीवन जी सकें, सड़कों पर पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में लोग मौत के शिकार और अपाहिज नहीं हो और पर्यावरण भी दूषित नहीं हो इस महत्ती सोच के साथ नगरीय विकास मंत्री शांति कुमार धारीवाल ले कर आये हैं ” देवनारायण नगर एकीकृतआवासीय योजना”। बहुत सोच-समझ कर यह योजना से इन समस्याओं से निजात मिलेगी।

नगरीय विकास मंत्री ने बताया मैंने देखा एवं महसूस किया की पशुपालक इनका दूध निकाल कर सवेरे इन्हें सड़कों पर विचरण के लिये छोड़ देते हैं। सड़कों और चौराहों पर आये दिन पशुओं का जमघट लगा रहता हैं। इनकी वजह से होने वाली दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत हो गई और कई अपाहिज हो गये। पशुपालक कुुुछ तो अपानी भूमि पर काबिज हैं, कुछ सड़क के किनारे सरकारी भूमि पर, आवासीय कॉलोनियों के खाली मकानों या भूखण्डों पर अतिक्रम कर रह रहे हैं। यही नहीं पार्को पर भी इनका कब्जा है। पशुओं के मलमूत्र और गोबर के ढेर से शहर का पर्यावरण भी दूषित होता है। अतिक्रमित भूूूम को मुक्त करना भी समस्या थी। विकास के लिये रायशुमारी में भी यह बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आई।

मंत्री धारीवाल ने पशुपालकों के आराध्य देवनारायण के नाम पर यह योजना बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिये। कहा ऐसी योजना बनाएं जिसमें पशुपालकों के अच्छे सुविधा युक्त आवास हो, पशु बांधने की जगह हो, बड़े-बड़े पशुबाड़े हों, पानी के लिये उचित जल व्यवस्था, चारे आदि के लिये गोदाम, और पशु चिकित्सा की व्यवस्था हो। पशुपालकों के लिये स्वास्थ्य, पानी,बिजली,बच्चों की शिक्षा, डेयरी उत्पाद विक्रय का स्थान आदि सुविधाओं के समुचित प्रावधान किये जायें। योजना बनाने से पहले उन्होंने शहर में रह रहें पशुपालकों एवं पशुओं का विस्तृत सर्वे करने के निर्देश दिये।

अब क्या था, इस योजना की क्रियान्विति में जुट गये अधिकारी। सर्वेक्षण में पता चला कि शहर में लगभग 900 से ज्यादा पशुपालक हैं, जिनमें से करीब 50 फीसदी अतिक्रमण कर पशुपालन रह रहें हैं। शहर में कुल पशुओं की संख्या लगभग 14 हज़ार हैं। यह आकंलन भी सामने आया कि पिछले पांच-छ: वर्षों में पशुओं के करण हुई दुर्घटनाओं में करीब 30 फीसदी लोगों की मौत हुई और अनेक दिव्यांग हो गये। यातायात में बाधा उत्पन्न हुई सो अलग। सर्वेक्षण के आधार पर सामने आते तथ्यों देखते हुए योजना का प्रारूप तैयार किया गया। योजना की ड्राइंग,डिजाइन एवं व्यय अनुमानों आदि के कार्य कर रहे वास्तुकार पीयूष गोयल ने बताया कि योजना में नगरीय विकास मंत्री के निर्देशानुसार सभी प्रावधान किये गए हैं।

पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण इस योजना में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना के लिये कोटा से 7 किमी.दूर दक्षिण कोटा बाईपास पर राजस्व गाँव धर्मपुरा की 108 हेक्टेयर भूमि का चिन्हीकरण किया गया है।

योजना के अंतर्गत परिसर में प्रवेश के लिये सिंहद्वार बनाया जायेगा। पशुपालकों के लिए आवास मय शेड, गोदाम, हाट बाजार,मानव एवं पशु चिकित्सालय, स्कूल, डेयरी उत्पाद बेचने का स्थान, प्रवेश के लिये सिंहद्वार, बायोगैस प्लांट, सामुदायिक शौचालय एवं मेला ग्राउंड, रंगमंच,पानी, बिजली, अंडर ग्राउंड ,सामुदायिक सुविधा केंद्र एवं आकर्षक सर्किल आदि सुविधाओं के प्रावधान किये गये हैं। इस योजना के अधिकांश कार्य प्रारंभ हो चुके हैं और तेजी से प्रगति पर चल रहे हैं। पशुपालकों को आवास के लिये प्रथम चरण की लॉटरी भी निकाली जा चुकी हैं।