Tuesday, April 23, 2024
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महात्मा गांधी एवं माखनलाल चतुर्वेदी ने उन मूल्यों का अवलंबन किया, जो नर से नारायण बनाते हैं : प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी

भोपाल। दादा माखनलाल चतुर्वेदी ने पत्रकारिता के मूल्यों के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। मनुष्य तो आता-जाता है, लेकिन यदि वह प्रासंगिक है तो वह अमर बन जाता है और ऐसा ही पंडित माखनलाल चतुर्वेदी कर गए हैं। दादा माखनलाल चतुर्वेदी और महात्मा गांधी का जीवन चिर-प्रेरणादायी है। दोनों महापुरुषों ने मूल्य आधारित जीवन जिया है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में यह विचार हरियाणा एवं त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने व्यक्त किये। प्रखर संपादक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।

‘आज के सन्दर्भ में महात्मा गांधी एवं माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान के मुख्य अतिथि प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि दादा माखनलाल और महात्मा गाँधी कहीं झुके नहीं और दोनों ने उत्तम गुणों एवं जीवनमूल्यों का अवलंबन करके नाम कमाया। पत्रकारिता के विद्यार्थियों को नर से नारायण बनने की प्रेरणादायी बात कहते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी और माखनलाल जी का अनुसरण करके आप भी प्रांसगिक हो सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से इच्छाओं पर नियंत्रण की बात करते हुए कहा कि यदि आपको स्वतंत्रता चाहिए तो अपनी इच्छाओं से आजादी पाइए। उन्होंने कहा कि यदि आप 21वीं शताब्दी में श्रेष्ठ योगदान करना चाहते हैं तो आपको इन दोनों विभूतियों के जीवन से सीख लेना चाहिए। प्रो.सोलंकी ने पत्रकारिता के धर्म को समझाते हुए कहा कि सामाजिक उत्तरदायित्व में ही यह निहित है, यदि जिम्मेदारी पूर्ण पत्रकारिता नहीं की गई तो समाज का बहुत नुकसान होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के नाम में राष्ट्रीय शब्द जुड़े होने की महत्ता बताते हुए कहा कि यहां की पत्रकारिता, राष्ट्र को समर्पित होती है, इसलिए विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय है।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि माखनलाल जी की पत्रकारिता को बलिपथ की पत्रकारिता कहा जाता है। उन्होंने देश के निर्माण की पत्रकारिता की। उनकी पत्रकारिता देश के लिए समर्पण की पत्रकारिता थी। श्री शर्मा ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों से कहा कि आजीवन विनम्रता के साथ पत्रकारिता करने की सीख यदि किसी से लेना है तो दादा माखनलाल से लेना चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी की पत्रकारिता के बारे में कहा कि उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य भारत को स्वतंत्र करना था। पत्रकारिता उनके लिए ऐसा वज्र था, जिससे आजादी मिल सके। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता विशेष महत्व की जिम्मेदारी है। महात्मा गांधी एवं दादा माखनलाल जी की पत्रकारिता का मूल उद्देश्य राष्ट्रभक्ति था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि विश्वविद्यालय के सभागार का नाम मामाजी माणिकचन्द्र वाजपेयी के नाम पर इसलिए किया गया है ताकि विद्यार्थी उनके बताए मार्ग पर चल सकें। माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता के महत्वपूर्ण प्रसंगों एवं पत्रकारिता पर उनके विचारों का उल्लेख करते हुए कुलपति प्रो. सुरेश ने कहा कि दादा माखनलाल जी हमारे कण-कण में बसे हैं। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता का सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता का है। यदि विद्यार्थी और पत्रकार विश्वसनीयता लौटाना चाहते हैं तो उन्हें गांधीजी और दादा माखनलाल जी के विचारों पर चलना होगा। उन्होंने कहा कि हम अखबारों को मुफ्त और पत्रकारों को सस्ता मानने लगे हैं। यह सोच ठीक नहीं है। इस स्थिति को बदलना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें समाचारपत्रों और समूची पत्रकारिता को समाजपोषित बनाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए। कुलपति ने कहा कि स्वतंत्रता की एक कीमत देनी होती है, क्या हम उसके लिए तैयार हैं। उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर विश्वविद्यालय के एक सभागार का नाम मध्यप्रदेश के यशस्वी पत्रकार एवं लेखक माणिकचन्द्र वाजपेयी के नाम पर किया गया है।

कार्यक्रम के अंत में स्वामी विवेकानंद की जयंती (राष्ट्रीय युवा दिवस) के अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में आयोजित हुई प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेता विद्यार्थियों को अतिथियों के द्वारा पुरुस्कृत किया गया। विशेष व्याख्यान में विषय प्रवर्तन वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. पवन सिंह मलिक ने किया। आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. डॉ. अविनाश वाजपेयी द्वारा किया गया और कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक श्री लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने किया। इस अवसर पर गणमान्य नागरिक, पत्रकार, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी-कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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