Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeहिन्दी जगत‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन मंडल में बड़े बदलाव

‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादन मंडल में बड़े बदलाव

अंग्रेजी हुकूमत में तमाम बंदिशों के बीच हिंदी साहित्य के स्‍वर्णिम इतिहास की पठकथा लिखने वाली ‘सरस्वती पत्रिका’ के संपादक मंडल में कई बड़े बदलाव हुए हैं।

अंग्रेजी हुकूमत में तमाम बंदिशों के बीच हिंदी साहित्य के स्‍वर्णिम इतिहास की पठकथा लिखने वाली ‘सरस्वती पत्रिका’ के संपादन मंडल में कई बड़े बदलाव हुए हैं। इंडियन प्रेस के निदेशक सुप्रतीक घोष के अनुसार साहित्यकार रविनंदन सिंह और पत्रिका के सहायक संपादक अनुपम परिहार को पत्रिका के संपादन का दायित्व सौंपा गया है।

वहीं, निवर्तमान संपादक डॉ. देवेन्द्र शुक्ल को पत्रिका के संरक्षक मंडल में शामिल किया गया है।

गौरवपूर्ण अतीत को संजोने वाली पत्रिका का त्रैमासिक प्रकाशन इंडियन प्रेस द्वारा किया जाता है। गुलामी की बेडियों में जकड़े भारत को भाषिक व सांस्कृतिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए करीब 121 वर्ष पहले 1900 में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन शुरू हुआ था। जून 1980 में आर्थिक कारणों से पत्रिका का प्रकाशन बंद हो गया था।

सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन संस्थापक बाबू चिंतामणि घोष ने जनवरी 1900 में आरंभ कराया। इसके संपादक मंडल में श्याम सुंदर दास, किशोरीलाल गोस्वामी, बाबू कार्तिक प्रसाद खत्री, जगन्नाथदास रत्नाकर, बाबू राधाकृष्ण दास थे। पत्रिका का संपादन 1901 में श्यामसुंदर दास को मिला। इन्होंने बिना पारिश्रमिक लिए काम किया।

जनवरी 1903 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने पत्रिका का संपादन शुरू किया। आचार्य महावीर ने सरस्वती के जरिए खड़ी बोली को नई ऊचाइयां प्रदान की। फिर 1921 से 1925 तक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, 1927 में पं. देवीदत्त शुक्ल, 1928 में पुन: पदुमलाल पुन्ना बख्शी, 1929 से 1946 तक पं. देवीदत्त शुक्ल संपादक रहे। फिर 1946 में उमेशचंद्र मिश्र व देवीदयाल चतुर्वेदी ‘मस्त’ संपादक बने। उमेशचंद्र बाद में हट गए और देवीदयाल चतुर्वेदी 1955 तक संपादक रहे। 1956 से 1976 तक श्रीनारायण चतुर्वेदी ‘भइया साहब’ संपादक थे। जून 1980 में धनाभाव के चलते पत्रिका का प्रकाशन बंद हो गया। उस समय निशीथ राय संपादक थे। इसके बाद जनवरी 2020 में पत्रिका का पहला अंक प्रकाशित किया गया।

साभार समाचार4मीडिया से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार