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फिल्मी परदे पर सितारों को नई पहचान देने वाले मनमोहन देसाई

1 मार्च को बॉलीवुड में मसाला फिल्मों के जनक कहे जाने वाले ‘मनमोहन देसाई’ की 29वीं पुण्यतिथि थी। उन्होंने भारतीय सिनेमा में ‘अनहोनी को होनी करना’ सिखाया। उनकी फिल्मों में बिछड़ना, अलगाव, मिलना सब इतना स्वाभाविक होता था मानो हम ‘किस्मत’ का खेला देख रहे हों। मनमोहन देसाई हिंदी सिनेमा के लिए वाकई ‘अनमोल’ थे।

मनमोहन देसाई का जब भी नाम लिया जाएगा, अमिताभ बच्चन और प्रकाश मेहरा भी याद आयेंगे। प्रारब्ध भी क्या-क्या खेल खेलता है जीवन से, उसकी बानगी है तीनों का जुड़ा हुआ जीवन। सिनेमाई इतिहास में मनमोहन देसाई, अमिताभ बच्चन और प्रकाश मेहरा का करियर हमेशा समानांतर चला। इन तीनों ने 15 साल के अंतराल में 18 सुपरहिट फिल्में दीं और तीनों के साथ के अंत का कारण भी ‘फिल्म’ बनी।

प्रकाश मेहरा और मनमोहन देसाई ने अपने-अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत कपूर खानदान के अभिनेताओं के साथ की थी और दोनों ने कपूर खानदान के अभिनेताओं के साथ आधा दर्जन भर से अधिक फिल्में कीं। मनमोहन देसाई ने राज कपूर साहब के साथ पहली फिल्म ‘छलिया’ बनाई तो प्रकाश मेहरा ने शशि कपूर के साथ पहली फिल्म बनाई ‘हसीना मान जायेगी’। किन्तु 70 के दशक में दोनों के जीवन में प्रवेश होता है अमिताभ बच्चन का। प्रकाश मेहरा उनके साथ ‘जंजीर’ बनाते हैं तो मनमोहन देसाई ‘परवरिश’। बस यहीं से तीनों का फ़िल्मी जीवन गुंथा हुआ हो जाता है।

मनमोहन देसाई अमिताभ बच्चन के साथ अमर अकबर एंथोनी, सुहाग, नसीब, देश प्रेमी, कुली, मर्द और गंगा, जमुना, सरस्वती जैसी गोल्डन जुबली फिल्म बनाते हैं, वहीं प्रकाश मेहरा जंजीर के बाद अमिताभ बच्चन के साथ हेरा फेरी, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, नमक हलाल, शराबी जैसी सुपर-डुपर हिट मसाला फिल्में बनाते हैं। दोनों के फ़िल्मी जीवन में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने की होड़ सी दिखती है। अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी करियर को देखें तो यह साफ होता है कि यदि उनके जीवन में मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा न होते तो क्या अमिताभ; अमिताभ होते। यकीनन नहीं।

अब इसी कहानी का दूसरा स्याह पक्ष भी पढ़िये। तीनों की तिकड़ी ने हिंदी फिल्म सिनेमा को लार्जर देन लाइफ बना दिया। खुद अमिताभ ने इसे कई बार स्वीकार भी किया है किन्तु एक समय ऐसा आया कि तीनों का जगमगाता सिनेमाई करियर भी एक साथ, एक ही वर्ष में, एक ही माह (अगस्त) में धराशायी हो गया।

दरअसल, मनमोहन देसाई ने बतौर निर्माता अमिताभ बच्चन के साथ 1989 में ‘तूफ़ान’ बनाई और प्रकाश मेहरा ने ‘जादूगर’। तूफ़ान रिलीज हुई 11 अगस्त, 1989 को और जादूगर रिलीज हुई 25 अगस्त, 1989 को। दोनों फिल्मों में अभिनेत्री भी अमृता सिंह। दोनों फिल्मों में अमिताभ बच्चन का चरित्र जादूगर का और दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरीं। तीनों अपने-अपने हुनर के महान कलाकार एक झटके में बर्बाद हो गए। देसाई और मेहरा ने फिल्में बनाना बंद कर दिया और अमिताभ फ्लॉप हीरो होते-होते दिवालिया हो गए। मनमोहन देसाई 1994 में गिरगांव स्थित अपने फ्लैट की बालकनी से संदेहास्पद स्थिति में गिर कर चल बसे और प्रकाश मेहरा की 2009 में मल्टिपल ऑर्गन फेलियर से मृत्यु हो गई। एक दशक तक अमिताभ आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से कहीं के नहीं रहे। हालांकि अमिताभ संभले और आज ‘महानायक’ हैं किन्तु उन्हें ‘महानायक’ बनाने वाले दोनों दिग्गज निर्देशक-निर्माता इतिहास का किस्सा बन चुके हैं।

फ़िल्मी इतिहास में इतना साम्य इक्का-दुक्का ही देखने को मिलेगा। किसी भी एक का नाम आये तो बाकी दो हस्तियों की याद आ ही जाती है। तीनों को प्रारब्ध ने जोड़ा, मेहनत से आसमान छुआ और पुनः प्रारब्ध ने ही जमीन पर ला पटका। आज मनमोहन देसाई को याद कर रहा हूँ तो याद आता है अपना बचपन जब पिताजी की मार खाकर भी ‘कुली’ देखी थी। उनकी याद में आज समय निकालकर उनकी कालजयी फिल्म ‘अमर, अकबर, एंथोनी’ अवश्य देखूंगा।
महान निर्देशक को मेरा नमन ..

(लेखक विविध विषयों पर लिखते हैं और स्तंभकार हैं)

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