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मयंक गाँधी ने केरजड़ीवाल पर फोड़ा ब्लॉग बम

आम आदमी पार्टी (आप) में पिछले दस दिनों से जारी आपसी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को सबसे ताकतवर पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (पीएसी) से निकाले जाने के बाद आप के नेता मयंक गांधी ने भी बागी तेवर दिखाए हैं। दोनों नेताओं को कमिटी से निकाले जाने के फैसले पर मयंक गांधी ने कई सवाल उठाए हैं। गुरुवार को मयंक ने ब्लॉग लिख कर न केवल बैठक की बातों को सार्वजनिक किया बल्कि केजरीवाल पर खुलकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने ही योगेंद्र-प्रशांत को पीएसी से निकलवाया। उन्होंने दावा कि पिछले दिनों एक बैठक के दौरान केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया था कि वह प्रशांत और योगेंद्र के साथ काम नहीं कर सकते। इस बीच मयंक गांधी के खुलासे पर पीएसी से हटाए गए योगेंद्र यादव ने कहा, ''मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन सच को छिपाया नहीं जा सकता।''
 
'मैं पार्टी कार्यकर्ताओं को सच बताना चाहता हूं'
गुरुवार को लिखे अपने ब्लॉग में मयंक ने कहा, ''मैं इसके लिए पहले से ही माफी मांगता हूं कि मैं बुधवार को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बातों के बारे में सार्वजनिक रूप से बात कर रहा हूं। क्योंकि मैं हमेशा से ही एक अनुशासित कार्यकर्ता रहा हूं।'' मयंक ने कहा, ''2011 में जब लोकपाल ड्रॉफ्ट कमिटी की बैठकें होती थीं तो केजरीवाल बैठक से आने के बाद कहते थे कि कपिल सिब्बल ने बैठक की बातों को दुनिया के सामने नहीं लाने को कहा है। उस वक्त अरविंद कहते थे कि उनकी ड्यूटी है कि इस प्रक्रिया की जानकारी देश को दी जाए, क्योंकि हम जनता के प्रतिनिधि के रूप में जा रहे हैं। उसी तरह राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मैं केवल वॉलंटियर्स के प्रतिनिधि के रूप में था। और मैं इस हालत में गैग ऑर्डर स्वीकार कर नहीं कर सकता। वॉलेंटियर्स को इससे दूर नहीं रखा जा सकता वे ही मुख्य स्त्रोत है। उन्हें किसी से लीक हुई जानकारी मिले उससे अच्छा है कि मैं उन्हें फैक्चुअल जानकारी दूं। इसलिए मैं ब्लॉग लिख रहा हूं।''
 
मेरे खिलाफ कार्रवाई करें, मुझे चिंता नहीं
मयंक गांधी ने कहा कि पिछली रात किसी ने मुझसे कहा कि बैठक की बातें सार्वजनिक करने पर मेरे खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। लेकिन मुझे इसकी चिंता नहीं है। मुंबई में पार्टी का चेहरा माने जाने वाले मयंक गांधी ने यह भी मांग की है कि बुधवार को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एनई) की बैठक की पल-पल की जानकारियां सार्वजनिक की जानी चाहिए।

दिल्ली चुनाव के दौरान प्रशांत भूषण ने दी थी प्रेस कॉन्फ्रेस की चेतावनी
मयंक गांधी ने अपने ब्लॉग में विस्तार से लिखा कि आखिर पार्टी में विवाद कब से और कैसे शुरू हुआ। उन्होंने लिखा है, ''दिल्ली चुनाव प्रचार के दौरान प्रशांत भूषण ने कई बार धमकी दी थी कि वह पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उन्हें उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पर कई बार सवाल उठाया था। हालांकि चुनाव खत्म होने तक मामला शांत रखा गया था। यह भी आरोप लगे कि योगेंद्र यादव ने केजरीवाल को पार्टी संयोजक पद से हटाने की साजिश की। पार्टी के संचालन को लेकर भी केजरीवाल, प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के बीच मतभेद और विश्वास की कमी थी। ''
मयंक ने आगे लिखा, ''26 फरवरी की रात जब एनई की मुलाकात हुई थी तो अरविंद ने कहा था कि यदि ये दो (योगेंद्र-प्रशांत) कमिटी में रहेंगे तो वे संयोजक के तौर पर काम करने में असमर्थ होंगे। चार मार्च को एनई की बैठक रूप से इसी बैकग्राउंड पर हुई।''

क्या हुआ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में
मयंक गांधी ने आगे लिखा है कि योगेंद्र यह समझते थे कि अरविंद नहीं चाहते कि वे दोनों पीएसी की बैठक में रहें, क्योंकि वे उनके साथ काम नहीं करना चाहते थे। वे दोनों पीएसी से बाहर रह कर खुश हैं लेकिन उन्हें कॉर्नर नहीं किया जाना चाहिए। इस दौरान दो प्रस्ताव लाए गए।
पहला प्रस्तावः एनई की बैठक में पहला प्रस्ताव यह लाया गया कि पीएसी का फिर से गठन किया जाए। वोटिंग के जरिए नए पीएसी सदस्यों को शामिल किया जाए। इस दौरान योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण अपने उम्मीदवार नहीं खड़ा कर सकेंगे।
दूसरा प्रस्तावः पीएसी मौजूदा तरीके से ही आगे भी चलती रहेगी और योगेंद्र-प्रशांत इसकी बैठकों में हिस्सा नहीं लेंगे।
बैठक के दौरान कुछ देर के लिए मनीष और दिल्ली टीम के सदस्य (आशीष खेतान, आशुतोष, दिलीप पांडे और अन्य) चर्चा के लिए एक किनारे गए थे। फिर से बैठक शुरू होने के बाद मनीष ने प्रस्ताव रखा कि प्रशांत और योगेंद्र को पीएसी से बाहर हटाया जाए और इसका संजय सिंह ने समर्थन किया।

वोट न देने पर दी सफाई
मयंक ने ट्वीट के जरिए अफवाहों को खारिज किया कि उन्होंने किसी वोट दिया और किसे वोट नहीं दिया। मयंक ने कहा, मैं कुछ कारणों के चलते खुद को वोटिंग प्रक्रिया से दूर रखा। पहले कारण के रूप में उन्होंने कहा, '' चूंकि अरविंद पीएसी का कामकाज बिना विवाद के चलाने के पक्ष में थे। और मैं इससे सहमत था कि प्रशांत और योगेंद्र को कोई अन्य महत्वपूर्ण काम दिया जाए।'' दूसरा कारण यह था कि मैं सार्वजनिक रूप से इस तरह प्रस्ताव लाकर दोनों को हटाए जाने से स्तब्ध था। क्योंकि दोनों को इस तरह हटाए जाना दुनिया भर के कार्यकर्ताओं की भावनाओं के खिलाफ है।

मयंक ने अपने ब्लॉग के अंत में यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि बैठक की बातों को सामने लाकर उन्होंने कोई विद्रोह नहीं किया। उन्होंने कहा, ''मैं प्रेस में जाने की बजाए इसे अपने सभी कार्यकर्ताओं के लिए लिख है। इस पर मेरे खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है, अगर ऐसा होता है तो फिर होने दीजिए।''

पार्टी का आइडिया किसी व्यक्ति से बड़ा- योगेंद्र यादव
पीएसी कमिटी से निकाले गए योगेंद्र यादव ने कहा, ''पार्टी ने इस बात का फैसला लिया है कि कल की मीटिंग में क्या हुआ इसके बारे में मीडिया से कोई भी बात नहीं की जाएगी। मैंने मयंक गांधी का ब्लॉग पढ़ा है जिसे पढ़ने के बाद मैं कह सकता हूं कि इसमें काफी बातें सही लिखी हुई हैं। मैं पार्टी के फैसले से आहत नहीं हूं बल्कि इससे यह संदेश गया है कि पार्टी ने पारदर्शिता का रास्ता नहीं छोड़ा है। यह किसी एक आदमी की पार्टी नहीं बल्कि वालंटियर की खड़ी की हुई पार्टी है और वे लोग ही इसे चलाते हैं। पार्टी के गठन का आइडिया किसी भी व्यक्ति से बड़ा है। मैं और प्रशांत भूषण पार्टी की पार्लियामेंट्री कमिटी से बाहर हुए हैं और यह फैसला पार्टी में बहुमत से लिया गया है। इससे एक बार फिर आप में वालंटियर की भूमिका मजबूत हुई है।''

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