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मीरा, सूर, कबीर को जन-जन तक पहुंचाने वाले मराठी कवि मंगेश पड़गाँवकर नहीं रहे

जाने-माने मराठी कवि, पद्मभूषण से सम्मानित मंगेश पडगांवकर का 30 दिसंबर को यहां निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। कुछ समय से वह बीमार थे। महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के वेंगुर्ला में 10 मार्च 1929 को जन्मे पडगांवकर ने बम्बई विश्‍वविद्यालय से मराठी और संस्कृत में एमए की डिग्री ली थी। उन्होंने रूइया कॉलेज में कुछ साल तक मराठी पढ़ाई भी थी। 1970 से 1990 तक उन्होंने यूएस इन्फॉर्मेशन सर्विस में संपादक के रूप में काम किया।
पडगांवकर ने विंदा करंदीकर और वसंत बपाट जैसे कवियों के साथ 1960 और 1970 के दशक में आयोजित बहुत से काव्य पाठ कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्होंने कई मराठी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे। वर्ष 2012 में पुणे विश्वविद्यालय ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ‘जीवन साधना गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया । वह 2010 में दुबई में आयोजित दूसरे विश्व मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे। पडगांवकर को उनके कार्य के लिए साहित्य आकदमी पुरस्कार और महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार जैसे अनेक पुरस्कार मिले थे। उन्‍होंने 40 किताबें लिखीं। इनमें से 31 को यूएस लाइब्ररी ऑफ कांग्रेस में जगह मिली है। उन्‍होंने कबीर, सूरदास, शेक्‍सपीयर और मीराबाई की रचनाओं का अनुवाद किया और 1965 में ‘मीरा’ नाम से एक किताब भी लिखी। –