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संस्कृत भाषा का चमत्कार

चमत्कार शब्द से क्रोधित या आश्चर्यचकित मत हो आर्य्य मित्रों – मेरा शब्दकोश अल्प है अतः कोई अन्य शब्द न खोज सका – या ये भी कह सकते हैं कि इस देववाणी (संस्कृत) की प्रासङ्गिकता बताने के लिये मेरे हृदय ने अन्य शब्दों को स्वीकारा ही नहीं – खैर यह उदगारों के लेखन का समय नहीं है, प्रसङ्गानुकूल ही बात करेंगे – अस्तु :-
।। आङ्लभाषा के वाक्य ।।
● The small boy hit the red ball with his bat .
● The small bat hit the red ball with his boy
● The small ball hit the red bat with his boy
● The red ball hit the small bat with his boy
● The red boy hit the small ball with his bat
।। संस्कृत भाषा के वाक्य ।।
● लघुः बालकः दण्डेन रक्तं कन्दुकं प्रहृतवान् ।
● लघुः बालकः प्रहृतवान् रक्तं कन्दुकं दण्डेन ।
● लघुः दण्डेन प्रहृतवान् रक्तं कन्दुकं बालकः ।
● लघुः कन्दुकं प्रहृतवान् रक्तं दण्डेन बालकः ।
● रक्तं कन्दुकं प्रहृतवान् लघुः दण्डेन बालकः ।
● रक्तं बालकः प्रहृतवान् लघुः कन्दुकं दण्डेन ।

मैंने ऊपर आङ्लभाषा और संस्कृत भाषा के एक वाक्य को अव्यवस्थित करके लिखा है । जहाँ आङ्लभाषा का क्रम अव्यवस्थित करने पर अर्थ का अनर्थ्थ हो जाता है , वहीं संस्कृत के पदों को कितना भी अव्यवस्थित करें परन्तु अर्थ्थ नहीं बदलता है । प्रश्न हो सकता है कि संस्कृत के इस वाक्य में अर्थ क्यों नहीं बदला ?

उत्तर – अन्वयक्रम से समान विभक्ति, समाम विभक्ति वाले पद से ही जुड़ती है अतः अर्थ का अनर्थ हो ही नहीं सकता है ।।
संक्षेप में यही है विस्तार से समझने के लिये संस्कृत का अध्ययन करें ।।