Wednesday, April 24, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेखामोशी से गुम हो गई इंसान की तरह बोलने वाली मैना

खामोशी से गुम हो गई इंसान की तरह बोलने वाली मैना

पहाड़ी मैना अब विलुप्ति के कगार पर है। हूबहू इंसान की तरह बोल पाने की उसकी दुर्लभ क्षमता ही उसकी दुश्मन साबित हुई। मैना को पिंजरे में कैद कर मन बहलाने वालों ने उसे पाने की चाहत में आगे-पीछे कुछ नहीं सोचा। बस्तर के जंगलों से दूर देसी-विदेशी शहरों तक इसकी खरीद-फरोख्त का धंधा खूब चला। छत्तीसगढ़ में अबूझमाड़, बैलाडिला, ओरछा, छोटे डोंगर, बारसूर और कुटुमसर की पहाड़ियां पहाड़ी मैना का प्राकृतिक वास हुआ करती थीं, लेकिन अब यहां पहाड़ी मैना नजर नहीं आती।

इकलौती मैना ने भी बोलना छोड़ा

छत्तीसगढ़ का यह राजकीय पक्षी पिछले कुछ दशकों में बड़ी खामोशी से गुम हो गया। संरक्षण के तमाम उपाय नाकाफी साबित हुए। अब हालात इतने खराब हो चले हैं कि जगदलपुर के स्थित संरक्षण केंद्र में एक तंग पिंजरे में रखी इकलौती पहाड़ी मैना ने भी बोलना छोड़ दिया है। पहले वह चहक उठती थी, …साहब, नमस्ते, मैं पायल बोल रही हूं…, लेकिन अब अकेलेपन का शिकार है। इस मैना को जिस जगह पिंजरे में रखा गया है वहां एक ओर हाइवे है तो दूसरी ओर रेल लाइन। विशेषज्ञ मानते हैं कि शोरगुल में मैना का प्रजनन व संरक्षण संभव नहीं। हाल ही में जंगल में घायल पड़ी दो शिशु मैना मिली थीं, जिन्हें भी यहां एक छोटे पिंजरे में रखा गया है।

साभार- https://naidunia.jagran.com/ से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार