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मोदी सरकार द्वारा हिंदुओं का हक छीनकर अल्पसंख्यकों के लिए 4700 करोड़ खर्च करने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती

लखनऊ। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले बजट में 4700 करोड़ रुपये अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए दिए थे। इसे भेदभाव पूर्ण बताते हुए उत्तर प्रदेश के रहने वाले छह लोगों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। अब इस याचिका पर केंद्र सरकार 4 हफ्ते में नोटिस का जवाब देगी। याचिकाकर्ताओं में लखनऊ के रहने वाले नीरज शंकर सक्सेना, आगरा निवासी मनीष शर्मा, आगरा के ही रहने वाले उमेश रावत, अरुण कुमार सिंह, शिशुपाल बघेल, गाजियाबाद निवासी सौरभ सिंह शामिल हैं। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन हैं जबकि सोमवार को हरि शंकर जैन ने इस मामले को लेकर कोर्ट में बहस की थी।

नवभारत टाईम्स ने विष्णु शंकर जैन और हरि शंकर जैन से इस मामले को लेकर बात की।

वकील विष्णु शंकर जैन कहते हैं, ‘इसमें मुख्य मुद्दा यह है कि नैशनल माइनॉरिटी कमिशन ऐक्ट 1992 की वैधता को चुनौती दी गई है। हमारा कहना है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार (फिलहाल सेंट्रल गवर्नमेंट को पार्टी बनाया है) या गवर्नमेंट मशीनरी किसी भी तरह के धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार नहीं दे सकती है। संविधान के आर्टिकल 29 और 30 में यह उनका खुद का अधिकार है कि वे अपने संस्थान, संस्कृति की रक्षा करें और आगे ले जाएं। यह सरकार का कर्तव्य नहीं है कि उनके प्रटेक्शन के लिए पैसा खर्च करे।’

“सरकार जो 4,700 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, यह आर्टिकल 27 का उल्लंघन है क्योंकि करदाताओं के पैसे से आप किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यकों को लाभ नहीं दे सकते हैं।”-विष्णु शंकर जैन, वकील

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के अध्यक्ष और वकील हरि शंकर जैन कहते हैं, ‘केंद्र सरकार ने 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है कि हम इससे अल्पसंख्यकों के लिए काम करेंगे। जैसे कि अल्पसंख्यकों को विदेश जाना है, पढ़ाई करना है, इनके लिए स्कॉलरशिप की तर्ज पर मदद मुहैया कराएंगे। वक्फ प्रॉपर्टी को यदि बनवाना चाहते हैं तो ब्याजमुक्त लोन देंगे। यदि मुस्लिम महिलाएं स्किल डिवेलपमेंट चाहती हैं तो उनकी भी आर्थिक सहायता की जाएगी। इन सभी योजनाओं पर 4700 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।’

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ऐक्ट के तहत आने वाली कल्याणकारी योजनाओं में 14 स्कीम शामिल हैं। इन सभी का जिक्र याचिका में किया गया है। इन योजनाओं में से ज्यादातर मुसलमानों के लिए हैं। स्कीम का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस लाभकारी योजनाओं का लाभ एक खास समुदाय को मिल रहा है जबकि ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को इन लाभों से वंचित रहना पड़ रहा है।

“भेदभाव इस वजह से भी है क्योंकि यदि वक्फ प्रॉपर्टी है तो उसके लिए विशेष प्रावधान है लेकिन हिंदू प्रॉपर्टी पर इसका लाभ नहीं मिलेगा।”-हरि शंकर जैन, अध्यक्ष हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस

हरि शंकर जैन कहते हैं, ‘इसे कुछ यूं भी समझा जा सकता है कि अल्पसंख्यक वर्ग की पांच या छह लाख रुपये आमदनी होगी तो उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा। ऐसे में जब हिंदुओं की 5-6 लाख रुपये आमदनी है तो उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा। उदाहरण के तौर पर मैं खान हूं और आप दुबे हैं, मेरी आमदनी साल में 5 लाख रुपये है तो मेरा लड़का वजीफे का हकदार होगा लेकिन आपकी आमदनी 4 लाख रुपये है लेकिन आपके बेटे को इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि आप हिंदू हैं।’

साभार – नवभारत टाईम्स से