Friday, April 19, 2024
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स्व. पटेल के परिवार का दावाः पटेल को लेकर मोदी ने जो कहा, सच ही कहा!

भले ही कांग्रेस नेता गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सरदार पटेल की विरासत हथियाने का आरोप लगा रहे हैं पर सरदार पटेल के भाई के पोते का इससे पूरी तरह से सहमत नहीं हैं. वे नरेंद्र मोदी के इस बयान से सहमत हैं कि अगर सरदार पटेल पहले प्रधानमंत्री होते तो देश की तकदीर और तस्वीर कुछ अलग होती. सरदार पटेल के इस रिश्तेदार का यह भी कहना है कि अगर सरदार के अधूरे काम को पूरा करने की कोशिश हो रही है तो अच्छा है.

सरदार पटेल के रिश्तेदार से आज तक की खास बातचीत के मुख्य अंश:  

इन दिनों सरदार पटेल को लेकर जिस तरह का राजनीतिक घमासान मचा है उसके बारे में आप क्या कहना चाहते हैं? सरदार पटेल के नाम के बिना कोई कुछ बोल नहीं सकता है, सरदार के नाम के अलावा आज राजनीतिक पार्टियों के पास कोई विकल्प नहीं है. सरदार पटेल का मकसद देश की सेवा करना था. आज सेवा करने के लिये घमासान करते हैं लोग, लेकिन उन्हें पोस्ट चाहिये. तो क्या सेवा करने के लिये पोस्ट जरूरी है.  

मोदी ने कहा कि अगर पटेल देश के प्रधानमंत्री होते तो देश की तकदीर और तस्वीर अलग होती? बिल्कुल सही बात कही नरेंद्र भाई ने. क्यूंकि कश्मीर का विवाद अभी चल रहा है वो नही होता. चीन है, पाकिस्तान है, सबके साथ जो विवाद है वो नहीं होता.  सरदार के व्यक्तित्व में ऐसी क्या बात थी, जो सारे प्रश्नों को हल करने के लिये काफी थी? वो दूर का देख सकते थे. उनका मैनेजमेंट बहुत अच्छा था. कोई भी परेशानी हो वो बहुत अच्छी तरह से उसे मैनेज करते थे.  

सरदार अगर जिंदा होते तो देश कि तकदीर और तस्वीर कैसी होती?
देश में जो सांप्रदायिक समस्याएं है वो नहीं होती. सरदार पटेल सेकुलर थे. किसी भी धर्म के विरोध में नहीं थे. सब को बराबर मानते थे.  सरदार पटेल के परिवार से कोई भी व्यक्ति राजनीति में नहीं हैं? मेरे दादा ने मुझे बताया था कि सरदार ने उन्हें एक बार कहा था कि राजनीति में नहीं आना. शायद सरदार साहब को मालूम हो गया था कि आने वाले समय में किस प्रकार की राजनीति होगी.  सरदार की प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं नरेंद्र मोदी, आप क्या सोचते हैं?  
कोशिश कोई करता है तो क्या फर्क पड़ता है, और कोशिश करनी चाहिये.  मोदी सरदार के अधूरे काम को पूरा करने में लगे हैं? बोल नहीं सकता लेकिन अगर सरदार के अधूरे काम होते हैं तो अच्छा है.  सरदार के शब्दों का इस्तेमाल हर राजनीतिक पार्टी अपने फायदे के लिए करती है,
क्या आपको दुख होता है? बिल्‍कुल दुख होता है. पहले तो सरदार पटेल किसी भी पोस्ट के लिये काम नहीं करते थे. एक गांधीजी के कहने पर उन्होंने बड़ी से बड़ी पोस्ट को त्याग दिया था. अभी की राजनीति में क्या है कि किसी को देश की सेवा करनी है तो पद चाहिए, लेकिन अगर पोस्ट नहीं भी होती है तब भी देश की सेवा कर सकते हैं. एक पोस्ट के लिये इतना घमासान होता है मुझे दुख होता है.    

साभार-. http://aajtak.intoday.in/ से

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