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फिल्मों के लिए मां ने बचपन में ट्रेन में छोड़ा, 40 साल बाद बेटे ने मांगा 1.5 करोड़ का मुआवजा

मुंबई। वैसे तो आपने अब तक मां के लिए बेटे को मुआवजा या खर्च देने की बात सुनी होगी लेकिन क्या कभी सुना है कि एक मां से बेटे ने मुआवजा मांगा है। देश की आर्थिक राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो शायद अपनी तरह का देश का पहला मामला बताया जा रहा है। इस मामले पर आज बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस एके मेनन की अदालत में सुनवाई होगी। इस याचिका में एक बेटे ने अपनी मां से 1.5 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। पेशे से मेक-अप आर्टिस्ट 40 साल के याचिकाकर्ता श्रीकांत सबनीस ने कहा है कि 38 साल पहले उसकी मां ने अनजान शहर में दो साल की उम्र में उसे जानबूझकर छोड़ दिया था। मां के छोड़े जाने के बाद उसकी जिंदगी नर्क बन गई थी। उसने काफी मानसिक आघात सहे और परेशानियों का सामना किया।

सबनीस ने कहा है कि वो जिस खराब हालात से गुजरा है उसके लिए उसकी मां आरती महास्कर और उसके सौतेले पिता उदय महास्कर उसे मुआवजा दें।

याचिका के मुताबिक आरती महास्कर की शादी पहले दीपक सबनीस से हुई थी। वो दोनों पुणे में रहते थे, जहां फरवरी, 1979 में श्रीकांत सबनीस का जन्म हुआ था। आरती बहुत महत्वाकांक्षी थी और मुंबई फिल्म उद्योग में काम करना चाहती थी। सितंबर, 1981 में वह अपने बच्चे को लेकर मुंबई चली आई। लेकिन मुंबई पहुंचने पर वह दो साल के श्रीकांत को ट्रेन में अकेला छोड़कर चली गई। ट्रेन में रेलवे के अधिकारी की नजर उस पर पड़ी और उसने बाल गृह में उसे भेज दिया था। बाद में उसकी कस्टडी को लेकर लड़ाई चली और 1986 में फैसला उसकी नानी के हक में आया और उसके बाद वह अपनी नानी के साथ रहने लगा। पहले वह अपनी दादी के साथ रहता था। लेकिन बाद में वह नानी के यहां पला-बढ़ा।

श्रीकांत ने अपनी याचिका में कहा है कि साल 2017 में उसे जन्म देने वाली अपनी मां के बारे में पता चला। किसी तरह उसने अपनी मां का फोन नंबर हासिल किया और सिंतबर 2018 में फोन पर उसकी अपनी मां से बात हुई। श्रीकांत के मुताबिक उसकी मां ने यह तो माना कि वह उसका बेटा है। लेकिन यह भी बताया कि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते उसे उसको छोड़ना पड़ा था।

श्रीकांत ने अपनी मां और अपने सौतेले पिता से मुलाकात की। लेकिन वह उस वक्त हैरान रह गया, जब उसकी मां और उसके दूसरे पति ने उससे आग्र्रह किया कि उनके बच्चों के सामने वह अपनी सच्चाई नहीं बताए। अपनी मां और सौतेले पिता की यह शर्त सुनकर पहले से ही मानसिक रूप से परेशान श्रीकांत सबनीस और परेशान हो गया। कम उम्र में ही रिश्तेदारों के यहां शरण लेने और माता-पिता का साया नहीं होने से दर-दर भटकने के चलते वह पहले से ही बहुत परेशान था।

श्रीकांत सबनीस ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई है कि वह उसकी मां को उसे अपना बेटा घोषित करने और यह एलान करने का निर्देश दे कि उसने दो साल की उम्र में उसे छोड़ दिया था। याचिका में कहा गया है कि आरती और उदय महास्कर ने श्रीकांत को मानसिक परेशानी दी है, जिसके लिए वो मुआवजा देने के लिए बाध्य हैं। याचिका में कहा गया है कि वादी ने पीड़ा भरा जीवन गुजारा है। मानसिक आघात सहा है और असुविधाओं को झेला है। माता-पिता होते हुए भी वह अनाथों की तरह रहा है। वादी को तब तक भिखारी की तरह जीना पड़ा, जब तक वह अपनी नानी के पास नहीं पहुंच गया।

साभार https://www.naidunia.com/ से