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श्री स्वरूपचंद गोयलः एक कर्मयोगी की यात्रा

मुंबई में ऐसे तो एक से एक लोग और संस्थाएँ मौजूद हैं जो समाज सेवा से लेकर परोपकार और धार्मिक कामों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं लेकिन इन सबसे अलग स्वरूप चंद गोयल एक ऐसी हस्ती हैं, जिनकी वजह से मुंबई ही नहीं उत्तर पूर्व के वनवासी क्षेत्रों तक से मुंबई के संपन्न परिवारों ने सीधा रिश्ता बनाया है।

स्वरुपजी के जीवन के 90 वसंत पूर्ण करने पर श्री हरि सत्संग समिति की अंधेरी-गोरेगाँव-मालाड की महिला समिति ने उनके सम्मान समारोह का आयोजन कर उन्हें वनवासी क्षेत्रों में संस्कार अभियान चलाने के लिए एक रथ भेंट किया। इस समारोह के आयोजन में श्रीमीती वर्षा सरावगी, श्रीमती मीना अग्रवाल, श्रीमती मंजू केड़िया, श्रीमती निर्मला पेड़ीवाल, श्रीमती मंजू खंडेलिया व श्रीमती ललिता मोदी की सराहनीय भूमिका रही।

इस अवसर पर स्वरुपजी पर एक रोचक नाट्य प्रस्तुति भी की गई जिसमें महिला समिति की सदस्याओं ने स्वरुपजी से लेकर उनके भाई, भाभी आदि की भूमिका कर उनके जीवन के रोचक, चुनौतीपूर्ण और प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किए। स्वरुपजी का सम्मान करने के लिए मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक और संस्थाओँ के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।

इस अवसर पर विशिष्ट रुप से उपस्थित फिल्म अभिनेत्री श्रीमती हेमा मालिनी ने कहा, स्वरुपजी की वजह से ही मुझे देश के वनवासियों की हालत और उनकी समस्याओं के बारे में जानने को मिला। स्वरुपजी अपनी धुन के पक्के हैं और उन्होंने मुझे एकल अभियान का ब्रांड एंबेसेडर भी बना दिया लेकिन असली काम तो वही करते हैं, मेरा तो बस नाम है।

 

 

समारोह को संबोधित करते हुए संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर श्री विश्वेश्वरानांदजी ने कहा कि आज इस देश में स्वरुपजी जैसी कई अज्ञात शक्तियाँ अपना काम निष्ठा से कर रही है जिसकी वजह से देश में इतना बड़ा परिवर्तन आया है। स्वरुपजी जैसे लोग धन-संपदा वाले लोगों को ये एहसास कराते हैं कि उनको समाज के लिए कैसे जीना है और समाज के लिए, धर्म और परोपकार के लिए अपने धन का उपयोग कैसे करना है।

इस अवसर पर श्री भागवत परिवार के श्री वीरेन्द्र याज्ञिक ने कहा कि स्वरुपजी के व्यक्तित्व से ये सीखा जा सकता है कि अगर हम किसी पवित्र कार्य का संकल्प ले तो परमात्मा उसे पूरा करता है। स्वरुप जी ने जिस काम को हाथ में लिया उसे सफल करके ही दम लिया।

स्वरूपजी पूरे मुंबई बाबूजी के नाम से पहचाने जाते हैं, साल भर उनका एक ही एजैंडा रहता है, कहीं कथा हो जाए, कोई सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम हो जाए या फिर जो भी कार्यक्रम हो वो ऐसा हो कि उसमें पैसा इकठ्ठा हो जाए और ये पैसा वनवासी क्षेत्रों में संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय से लेकर स्वास्थ्य केंद्र, सामाजिक केंद्र की स्थापना में स्वरुपजी ने जो सहयोग दिया है, उनकी सफलता देखकर कल्पना करना मुश्किल है कि ये सब काम किसी एक व्यक्ति के सोच के बलबूते हुए होंगे। स्वरुपजी उर्फ बाबूजी मुंबई शहर की एक ऐसी शख्सियत हैं जो सोच लेते हैं वो करके ही रहते हैं।

मुंबई में आदर्श रामलीला समिति के माध्यम से चौपाटी सहित कई स्थानों पर रामलीला के आयोजन से लेकर कवि सम्मेलन के आयोजन में स्वरुपजी की प्रमुख भूमिका है। स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर स्वर्गीय नीरज भी मुंबई में स्वरुपजी द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कविता पाठ कर चुके हैं, और विगत 50 वर्षों से हिंदी का कोई स्थापित या नवोदित कोई कवि नहीं होगा जिसने मुंबई की गिरगाम चौपाटी के मंच पर होने वाले कवि सम्मेलन में कविता पाठ न किया हो।

मुंबई में अग्रोहा विकास ट्रस्ट से लेकर एकल विद्यालय अभियान और श्री हरि सत्संग समिति के विस्तार में स्वरुपजी की अहम भूमिका रही।

इस अवसर पर श्री हरि सत्संग समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्षी एस. एन. काबरा ने बताया कि श्री हरि सत्संग समिति द्वारा देश भर में 3200 कथाकार भाई-बहनों को प्रशिक्षित काय गया है जो वनवासी क्षेत्रों में जाकर सत्संग के माध्यम से वनवासियों को सामाजिक बुराईयों से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बताया कि 22 साल पहले श्री हरि सत्संग समिति की स्थापना की गई थी। आज इसके माध्यम से देश भर में 58 हजार सत्संग केंद्र वनवासी क्षेत्रों में चलाए जा रहे हैं, वर्ष 2022 तक इनकी संख्या 1 लाख तक करने का लक्ष्य रखा गया है।

आज एकल विद्यालयों की संख्या 70 हजार हो चुकी है और इनकी संख्या 1 लाख तक करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन इसके बाद भी हमारा काम रुकेगा नहीं। इसके बाद आने वाले 27 सालों में हर पाँच साल में एक लाख संस्कार केंद्र खोले जाएँगे। 2037 तक संस्कार केंद्रों की संख्या 4 लाख तक हो जाएगी। इस तरह देश का हर छोटे और बड़े गाँव में संस्कार केंद्र हो जाएंगे। अभी संस्कार केंद्रों में साप्ताहिक सत्संग चलता हैलेकि नशीघ्र ही इसे दैनिक सत्संग में बदल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि देश भर में श्री हरि सत्संग समिति के 1300 सक्रिय सदस्य हैं, जिनके सक्रिय सहयोग से समिति अपने कार्य पूरे करती है।

उन्होंने बताया कि श्री हरि सत्संग समिति द्वारा ग्राम दत्तक, कथाकार दत्तक, महिला समिति सहित कई समितियों के माध्यम से वनवासी क्षेत्रों में सामाजिक बदलाव, ग्रामोत्थान, आत्म निर्भरता, स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कार के कार्य किए जा रहे हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि श्री मधुसूदन महेश्वरी व विशिष्ट श्री जयकुमार गुप्ता व थे। समारोह में विश्व हिन्दू परिषद कोंकण प्रांत के अध्यक्ष श्री देवकी नंदन जिंदल, आर आर कैबल के श्री रामेश्वर लाल काबरा, श्रीमती मंजू खंडेलिया, श्रीमती कुसुम महेश्वरी, श्रीमती मंजू लोढ़ा, श्री गोपाल कंदोई, श्री नारायण अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

प्रस्तुत है स्वरुपचंदजी गोयल पर एक कविता जिसमें पहले अक्षर से लेकर अंतिम अक्षर तक उनका नाम और व्यक्तित्व दोनों समा जाते हैं।

श्री स्वरुपचंद गोयल को बधाई

श्री चरणों में बैठ आज हम सब शीश नवाते हैं।

90 वें जन्म दिन के हम मंगल गीत गाते हैं

स्वहित भूलकर जिसने सबको गले लगाया

रुके नहीं थके नहीं, गीत सदैव सेवा का गाया

पल-पल समर्पण, ह्रदय पटल सेवा का स्पंदन

चंद्रमा की चांदनी बन अमावस को बनाया पूनम

दया, धर्म, दान, करुणा के भावों से गुंजाया हर मन

गोवंश के संवर्धन से सींचा वनवासियों का जीवन

यक्ष प्रश्नों को बौना कर हर बार किया चमत्कार

लक्ष्य भेदी इस महापुरुष का हम करें खूब सत्कार

कोई डिगा न सके तुममें ऐसी संकल्प शक्ति है

बनाई नई राहें ऐसी जहाँ केवल भाव भक्ति है

धाक जमाकर, मीत बनाकर हर प्रकल्प को सफल किया

ईश्वर से है यही प्रार्थना सदा प्रज्वलित रहे यज्ञ का ये दीया