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मुंबई उपनगरीय खंड – मुंबई की जीवन रेखा – वर्तमान और भावी परिदृश्य

रेलवे राष्ट्र की जीवन रेखा है। इसकी सत्यता जितनी मुंबई में देखने को मिलती है, उतनी अन्यत्र कहीं नहीं। उपनगरीय नेटवर्क, जो मुंबई में `लोकल ट्रेन’ के नाम से जाना जाता है, यह सुनिश्चित करता है कि मुंबईकर अपने गंतव्य तक समय पर पहँचें। 459 किलोमीटर की कुल लंबाई वाले इस नेटवर्क के अंतर्गत लोकल ट्रेनों की 3000 से अधिक सेवाएं दैनिक आधार पर लगभग 80 लाख मुंबईकरों को परिवहन उपलब्ध कराती हैं। अपनी इसी विशेषता के कारण यह विश्व की व्यस्ततम शहरी परिवहन प्रणालियों में से एक प्रणाली के रूप में बखूबी जानी जाती है। लोकल ट्रेनों में टिफिन बॉक्स लेकर चलने वाले डिब्बावाले मुंबई शहर की पहचान के रूप में स्थापित हो चुके हैं।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुंबई के पास उसके महानगर होने की हैसियत के अनुरूप विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर भी मौजूद है, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने उपनगरीय प्रणाली को अपग्रेड करने की दृष्टि से कई पहल शुरू की हैं, जिनसे यात्री संतुष्टि एवं संरक्षा में सुधार करने, यात्रियों की भीड़-भाड़ को कम करने तथा भविष्य के लिए पर्याप्त रूप से योजना तैयार करने में मदद मिलेगी।

जहाँ तक यात्री संरक्षा का संबंध है, रेलवे मिशन मोड में कार्य कर रही है। पैदल ऊपरी पुलों (एफओबी), प्लेटफॉर्मों तथा प्लेटफॉर्म छोर के मार्गों से संबंधित कार्यों को बिना किसी बजट प्रतिबंध के सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ पूरा किया जा रहा है। पूर्व में स्टेशन पर केवल पहले पैदल ऊपरी पुल को ही आवश्यक समझा जाता था एवं उसके बाद वाले पुलों को यात्री सुविधा के अंतर्गत गिना जाता था। यात्रियों की सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित आवाजाही के लिए वर्ष 2014 से अब तक 87 पैदल ऊपरी पुलों का निर्माण किया जा चुका है, जिसमें एलफिंस्टन रोड स्टेशन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पश्चात 44 पैदल ऊपरी पुल भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष 70 पैदल ऊपरी पुल शुरू किये जायेंगे, जबकि 55 पैदल ऊपरी पुलों को अगले वर्ष शुरू किये जाने की योजना है। निर्माण करने की औसत अवधि 8-9 माह से घटाकर लगभग 3 माह कर दी गई है। हमने ट्रेनों में सुरक्षित ढंग से चढ़ने-उतरने के लिए उपनगरीय सेक्शन के सभी स्टेशनों के प्लेटफॉर्मों की ऊंचाई भी बढ़ा दी है।

अक्सर यात्री जब किसी ट्रेन में चढ़ते हैं, तो यह ध्यान में नहीं आ पाता है कि यह चलने वाली है। इससे उनकी जान को गम्भीर खतरा होने की संभावना रहती है। अतः नीले सिग्नल के रूप में एक नये प्रयोग की शुरुआत की गई है, जिसे कोच के दरवाजे पर लगाया गया है। इससे ट्रेन के चल देने का संकेत मिलता है। यात्रियों को अब ट्रेन के चल पड़ने की पर्याप्त चेतावनी मिल पायेगी। सभी प्रकार के परीक्षणों के पूरा होने पर ही हम इस प्रणाली का विस्तार करेंगे।

वर्तमान सरकार के अधीन हमने नई परियोजनाओं में निवेश को उल्लेखनीय रूप से काफी बढ़ाया है। वर्ष 2016 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 11000 करोड़ों रुपए मूल्य के मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट-3 (एमयूटीपी-3) की आधारशिला रखी। इस परियोजना के अंतर्गत एरोली-कलवा एलिवेटेड लिंक, पनवेल-कर्जत नये उपनगरीय डबल लाइन कोरिडोर और 47 नई वातानुकूलित उपनगरीय ट्रेनों के प्रावधान सहित कई निर्माण कार्य शुरू किये गये हैं। इनके फलस्वरूप सुधारित सेवाओं में बढ़ोतरी के साथ ही अति व्यस्त रेल नेटवर्क को सुप्रवाही बनाने में भी मदद मिलेगी।

वर्ष 2018-19 के बजट में उपनगरीय प्रणाली के लिए सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के अनुरूप मुंबई-एमयूटीपी-3 ए के अंतर्गत नई परियोजना के लिए 55000 करोड़ रुपये की अभूतपूर्व निधि की घोषणा की गई है। इसके अंतर्गत कई लाइनें विस्तारित की जायेंगी और कई नई लाइनें बिछाई जायेंगी। इसके अतिरिक्त सुधारित संरक्षा और समयपालनता के लिए संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली की शुरुआत की जायेगी। स्टेशन सुधार और एसी रेकों की खरीद के लिए भी निधि आवंटित की जायेगी।

इस सरकार के अंतर्गत लंबित परियोजनाओं को भी फास्ट ट्रैक पर लाया गया है एवं इन्हें पूर्ण किया जा रहा है। बहुप्रतीक्षित नेरुल-सीवुड/बेलापुर-उरण नई लाइन प्रथम चरण परियोजना को अंततः पूर्ण किया गया है। वर्ष 1996-97 में स्वीकृत इस परियोजना का कार्य काफी धीमा था। यद्यपि 2014 के पश्चात कार्य को फास्ट ट्रैक पर लाया गया तथा अंततः नवंबर, 2018 में लाइन को खोल दिया गया। मुख्यमंत्री जी के निजी हस्तक्षेप से सभी मुद्दों को सुलझाने में मदद मिली। वर्तमान में परियोजना का द्वितीय चरण प्रगति पर है।

एक विद्यार्थी के रूप में व्यक्तिगत रूप से लोकल ट्रेनों में यात्रा के अनुभवों के आधार पर मैं आम यात्री की कठिनाइयों से वाकिफ हूँ। तपती गर्मी एवं उमस से निपटने हेतु पहली बार एसी रेक की शुरुआत की गई। हमने 210 एसी रेकों की खरीद को हरी झंडी प्रदान की है।

यह समझ से परे है कि एक शहर, जो कभी नहीं ठहरता, वहाँ के लोग रुकें एवं लोकल ट्रेनों के लिए टिकट खरीदने हेतु लंबी कतारों में प्रतीक्षा करें। ऑन द स्पॉट अनारक्षित टिकटों की खरीद हेतु यूटीएस मोबाइल एप की शुरुआत से लंबी कतारों में प्रतीक्षा करने के दिन अब अतीत का विषय हो चुके हैं। 27 स्टेशनों पर हाई स्पीड वाई-फाई की शुरुआत के साथ ट्रेनों की प्रतीक्षा और अधिक सुविधाजनक बन गई है।

हमने ट्रेनों के प्रतीक्षा समय में भी कमी की है। वर्ष 2014 से मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर 214 अतिरिक्त सेवाएँ जोड़ी गई हैं। भारत की वित्तीय राजधानी एवं राजनीतिक राजधानी के बीच सीधी कनेक्टिविटी की निरंतर बढ़ती माँग के मद्देनजर दिल्ली तथा मुंबई के बीच एक अतिरिक्त राजधानी ट्रेन की शुरुआत की गई है। यह एक अलग रूट पर चलती है एवं मध्य भारत तथा अब तक असेवित क्षेत्रों को कवर करती है। यह राजधानी एक्सप्रेस अपनी पहली यात्रा के लिए 5 घंटे से कम समय में ही पूर्णतः बुक हो गई थी, जो कि एक रिकॉर्ड कहा जा सकता है। इससे यह प्रतीत होता है कि लोग किस बेसब्री से इस सेवा का इंतजार कर रहे थे।

हम, लिफ्ट, एस्केलेटर की संख्या बढ़ाकर, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दृष्टि से कैमरा लगाकर स्टेशनों का सुधार कर रहे हैं। वास्तव में हमने महिला यात्रियों की सुरक्षा को भी महत्त्व दिया है। यात्रियों से प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए महिला डिब्बों पर बेहतर फोकस सुनिश्चित करने की दृष्टि से स्टेशनों पर अनेक सीसीटीवी कैमरे को रीलोकेट किया गया है।

पिछले 4 वर्षों के दौरान रेलवे और अधिक स्वच्छ, अधिक सुरक्षित, तीव्रतर और अधिक सुविधाजनक बन गई है। भारतीय रेल प्रत्येक मुंबईकर को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध् है और इंफ्रास्ट्रक्चर, यात्री सुख-सुविधाओं और संरक्षा बढ़ाने के लिए उठाये गये प्रयासों से यह सुनिश्चित होता है कि यह प्रतिष्ठित मुंबई उपनगरीय प्रणाली, न्यू इंडिया विज़न का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

( पीयूष गोयल भारत सरकार में कोयला, रेल, वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री हैं)